Sunday, 10 November 2013

क्या महाभारत के युद्ध में परमाणु प्रक्षेपास्त्र का प्रयोग हुआ था?

 महाभारत का युद्ध आखिर भाइयों के बीच ही तो युद्ध था जिसमें उन्होंने एक दूसरे का अत्यन्त भयावह विनाश किया। वह विनाश कितना भयावह था इसका अनुमान महाभारत के निम्न स्पष्ट वर्णन से लगाया जा सकता हैः
अत्यन्त शक्तिशाली विमान से ब्रह्माण्ड की शक्ति से युक्त शस्त्र प्रक्षेपित किया गया।
धुएँ के साथ अत्यन्त चमकदार ज्वाला, जिसकी चमक दस हजार सूर्यों के चमक के बराबर थी, का अत्यन्त भव्य स्तम्भ उठा।
वह वज्र के समान अज्ञात अस्त्र साक्षात् मृत्यु का भीमकाय दूत था जिसने वृष्ण और अंधक के समस्त वंश को भस्म करके राख बना दिया।
उनके शव इस प्रकार से जल गए थे कि पहचानने योग्य नहीं थे। उनके बाल और नाखून अलग होकर गिर गए थे।
बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के बर्तन टूट गए थे और पक्षी सफेद पड़ चुके थे।
कुछ ही घण्टों में समस्त खाद्यपदार्थ संक्रमित होकर विषैले हो गए ….
उस अग्नि से बचने के लिए योद्धाओं ने स्वयं को अपने अस्त्र-शस्त्रों सहित जलधाराओं में डुबा लिया।
अब यदि उपरोक्त वर्णन दृश्य रूप देकर उसकी तुलना यदि हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु विष्फोट के दृश्य से किया जाए तो स्पष्ट रूप से दोनों में पूर्ण साम्य दृष्टिगत होता है।
nuclear power in ancient inida
ज्ञान सागर हिन्दी वेबसाइट
तो क्या महाभारत के युद्ध में परमाणु प्रक्षेपास्त्र का प्रयोग हुआ था? यदि हम अपने समस्त पूर्वाग्रहों को त्यागकर अपनी बुद्धि प्रयोग करें तो हम निर्णायक रूप से कह सकते हैं कि महाभारत के युद्ध में परमाणु प्रक्षेपास्त्र का प्रयोग अवश्य ही हुआ था।
nuclear power in mahabharat
ज्ञान सागर हिन्दी वेबसाइट
रामायण में भी ऐसे आग्नेय अस्त्रों का विवरण मिलता है जो निमिष मात्र में सम्पूर्ण पृथ्वी का विनाश कर सकते थे और उनके द्वारा विनाश के दृष्य का वर्णन पूरी तरह से आज के परमाणु विनाश के दृष्य से साम्य रखता है। खर और दूषण को उनके चौदह हजार राक्षसों की सेना के साथ अकेले राम ने केवल कुछ काल में ही किस अस्त्र से मार गिराया था? क्या वह अस्त्र परमाणु शक्ति सम्पन्न नहीं रहा होगा? हमारे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित ब्रह्मास्त्र, आग्नेयास्त्र जैसे अस्त्र अवश्य ही परमाणु शक्ति से सम्पन्न थे। किन्तु हम स्वयं ही अपने प्राचीन ग्रंथों में वर्णित विवरणों को मिथक मानते हैं और उनके आख्यान तथा उपाख्यानों को कपोल कल्पना। हमारा ऐसा मानना केवल हमें मिली दूषित शिक्षा का परिणाम है जो कि, अपने धर्मग्रंथों के प्रति आस्था रखने वाले पूर्वाग्रह से युक्त, पाश्चात्य विद्वानों की देन है। पता नहीं हम कभी इस दूषित शिक्षा से मुक्त होकर अपनी शिक्षानीति के अनुरूप शिक्षा प्राप्त कर भी पाएँगे या नहीं।
प्राचीन भारत में परमाणु विस्फोट के अन्य और भी अनेक साक्ष्य मिलते हैं। राजस्थान में जोधपुर से पश्चिम दिशा में लगभग दस मील की दूरी पर तीन वर्गमील का एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ पर रेडियोएक्टिव्ह राख की मोटी सतह पाई जाती है। पुरातत्ववेत्ताओं ने उसके पास एक प्राचीन नगर को खोद निकाला है जिसके समस्त भवन और लगभग पाँच लाख निवासी आज से लगभग 8,000 से 12,000 साल पूर्व किसी परमाणु विस्फोट के कारण नष्ट हो गए थे। एक शोधकर्ता के आकलन के अनुसार प्राचीनकाल में उस नगर पर गिराया गया परमाणु बम जापान में सन् 1945 में गिराए गए परमाणु बम की क्षमता के बराबर का था।
मुंबई से उत्तर दिशा में लगभग 400 कि.मी. दूरी पर स्थित लगभग 2,154 मीटर की परिधि वाला एक अद्भुत विशाल गढ़ा (crater), जिसकी आयु 50,000 से कम आँकी गई है, भी यही इंगित करती है कि प्राचीन काल में भारत में परमाणु युद्ध हुआ था। शोध से ज्ञात हुआ है कि यह गढ़ा (crater) पृथ्वी पर किसी 600.000 वायुमंडल के दबाव वाले किसी विशाल के प्रहार के कारण बना है किन्तु  इस गढ़े (crater) तथा इसके आसपास के क्षेत्र में उल्कापात से सम्बन्धित कुछ भी सामग्री नहीं पाई जाती। फिर यह विलक्षण गढ़ा (crater) आखिर बना कैसे? सम्पूर्ण विश्व में यह अपने प्रकार का एक अकेला गढ़ा (crater) है।
nuclear power in ancient india
ज्ञान सागर हिन्दी वेबसाइट
nuclear power in ancient india
ज्ञान सागर हिन्दी वेबसाइट
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई में भी ऐसे स्थान मिले हैं जहाँ पर मानवों की अस्थियों के इस
प्रकार के ढाँचे पाए गए हैं मानो वे भय और दहशत के कारण हाथ उठाकर दौड़ते हुए मरे हों। वहाँ के एक स्थान पर एक सोवियत विद्वान ने मनुष्य की अस्थि का एक ऐसा ढाँचा प्राप्त किया है जो कि सामान्य से पचास गुना अधिक रेडियोएक्टिव्ह है। ऐसा प्रतीत होता है कि सिंधु घाटी सभ्यता का विनाश भी किसी परमाणु विस्फोट के कारण ही हुआ था।

No comments:

Post a Comment