*गिलोय बेल (Tinospora cordifolia) *
इसका नाम है : हिन्दी = गिलोय, संस्कृत = गुडूची , वज्ञानिक =Tinospora cordifolia है
*रंग: गिलोय हरे रंग की होती है।
स्वाद: गिलोय खाने में तीखी होती है।
स्वरूप: गिलोय एक प्रकार की बेल होती है जो बहुत लम्बी होती है। इसके पत्ते पान के पत्तों के समान होते हैं। इसके फूल छोटे-छोटे गुच्छों में लगते हैं। इसके फल मटर के दाने के जैसे होते हैं।
प्रकृति: गिलोय की प्रकृति गर्म होती है।
तुलना: गिलोय की तुलना सत गिलोय से की जा सकती है।
मात्रा: गिलोय की 20 ग्राम मात्रा में सेवन कर सकते हैं।
************************** *************
1-गिलोय पुरानी पैत्तिक और रक्तविकार वाले बुखारों का ठीक कर सकती है। यह खांसी, पीलिया, उल्टी और बेहोशीपन को दूर करने के लिए लाभकारी है। यह कफ को छांटता है। धातु को पुष्ट करता है। भूख को खोलता है। वीर्य को पैदा करता है तथा उसे गाढा करता है, यह मल का अवरोध करती है तथा दिल को बलवान बनाती है। ]
2-घी के साथ गिलोया का सेवन करने से वात रोग नष्ट होता है।
3-गुड़ के साथ गिलोय का सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
4-शहद के साथ गिलोय का सेवन करने से कफ की शिकायत दूर होती है।
5-यह जड़ी (वनस्पति) जादू कि सी चीज है , पुरे शारीर के जाने अनजाने रोगों के लिए राम बाण कि तरह है
6-गिलोय बुखार को दूर करने की सबसे अच्छी औषधि मानी जाती है।
7-यह सभी प्रकार के बुखार जैसे टायफाइड (मियादी बुखार), मलेरिया, मंद ज्वर तथा जीर्ण ज्वर (पुराने बुखार) आदि के लिए बहुत ही उत्तम औषधि है।
8- इससे गर्मी शांत करने की शक्ति होती है।
9-गिलोय की प्रकृति गर्म और खुश्क होती है। यह तीखा होने के कारण से पेट के कीड़ों को मारता है।
10-यह सभी प्रकार के बुखार में बहुत ही लाभदायक है।
— with Rakesh Sharma.इसका नाम है : हिन्दी = गिलोय, संस्कृत = गुडूची , वज्ञानिक =Tinospora cordifolia है
*रंग: गिलोय हरे रंग की होती है।
स्वाद: गिलोय खाने में तीखी होती है।
स्वरूप: गिलोय एक प्रकार की बेल होती है जो बहुत लम्बी होती है। इसके पत्ते पान के पत्तों के समान होते हैं। इसके फूल छोटे-छोटे गुच्छों में लगते हैं। इसके फल मटर के दाने के जैसे होते हैं।
प्रकृति: गिलोय की प्रकृति गर्म होती है।
तुलना: गिलोय की तुलना सत गिलोय से की जा सकती है।
मात्रा: गिलोय की 20 ग्राम मात्रा में सेवन कर सकते हैं।
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1-गिलोय पुरानी पैत्तिक और रक्तविकार वाले बुखारों का ठीक कर सकती है। यह खांसी, पीलिया, उल्टी और बेहोशीपन को दूर करने के लिए लाभकारी है। यह कफ को छांटता है। धातु को पुष्ट करता है। भूख को खोलता है। वीर्य को पैदा करता है तथा उसे गाढा करता है, यह मल का अवरोध करती है तथा दिल को बलवान बनाती है। ]
2-घी के साथ गिलोया का सेवन करने से वात रोग नष्ट होता है।
3-गुड़ के साथ गिलोय का सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
4-शहद के साथ गिलोय का सेवन करने से कफ की शिकायत दूर होती है।
5-यह जड़ी (वनस्पति) जादू कि सी चीज है , पुरे शारीर के जाने अनजाने रोगों के लिए राम बाण कि तरह है
6-गिलोय बुखार को दूर करने की सबसे अच्छी औषधि मानी जाती है।
7-यह सभी प्रकार के बुखार जैसे टायफाइड (मियादी बुखार), मलेरिया, मंद ज्वर तथा जीर्ण ज्वर (पुराने बुखार) आदि के लिए बहुत ही उत्तम औषधि है।
8- इससे गर्मी शांत करने की शक्ति होती है।
9-गिलोय की प्रकृति गर्म और खुश्क होती है। यह तीखा होने के कारण से पेट के कीड़ों को मारता है।
10-यह सभी प्रकार के बुखार में बहुत ही लाभदायक है।
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