Tuesday, 24 June 2014

नाम :- भाई मती दास..
तारीख :- 24 नवम्बर 1675 ई.
जगह :- ,चादनी चौक,, डेल्ही,,लाल किला..
प्रशासन की कूररता देखने के लिए भीड़ सुबह से एक्कठी होने लगी थी..
कश्मीर के हिन्दुयो के ढाल बने गुरु तेग बहदुर..जी के साथ 5 सिक्खों को मुसलमान बनाना था...भाई मती जी इन्ही में से एक थे..
सिसगन्ज गुरुद्वारे के बगल में मौजूद सुनहरी मस्जिद के गाजी ने एक बार फिर से अपनी बात रक्खी..इस्लाम - या तलवार-
भाई मती दास जी मुस्कुरा दिए -
आरा उनके सर पर रख दिया गया - गाजी ने फिर पूछा इस्लाम के फायदे गिनाये -
भाई मती दास जी ने बोला हे औंरगजेब तू अपना समय नस्ट कर रहा है-
मेरा मुह मेरे गुरु तेग बहादुर जी के समुक्ख रक्ख मेरा रिश्ता मेरे रूह साथ है- आरी चल पड़ी- खून का फौवारा निकल पड़ा-
भाई मती दास जी तिलक जनेऊ की रक्च्छा के लिए परलोक गमन कर गये-
आज इनकी तस्वीर को सरकार पर सरकार ने प्रतिबन्ध लगा रक्खा है -
और औरंगजेब के नाम की रोड बना रक्खी है--
( भाई मती दास जी संग्रहालय सीस गंज गुरुद्वरा के सौजन्य से)

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