Monday 16 June 2014

दादी मां ने उससे कहा था

एक दंपत्ति की शादी को साठ वर्ष हो चुके थे। उनकी आपसी समझ इतनी अच्छी थी कि इन साठ वर्षों में उनमें कभी झगड़ा तक नहीं हुआ। वे एक दूजे से कभी कुछ भी छिपाते नहीं थे। हां, पत्नी के पास उसके मायके से लाया हुआ एक डब्बा था जो उसने अपने पति के सामने कभी खोला नहीं था। उस डब्बे में क्या है वह नहीं जानता था। कभी उसने जानने की कोशिश भी की तो पत्नी ने यह कह कर टाल दिया कि सही समय आने पर बता दूंगी।
आखिर एक दिन बुढ़िया बहुत बीमार हो गई और उसके बचने की आशा न रही। उसके पति को तभी खयाल आया कि उस डिब्बे का रहस्य जाना जाये। बुढ़िया बताने को राजी हो गई। पति ने जब उस डिब्बे को खोला तो उसमें हाथ से बुने हुये दो रूमाल और 50,000 रूपये निकले। उसने पत्नी से पूछा, यह सब क्या है। पत्नी ने बताया कि जब उसकी शादी हुई थी तो उसकी दादी मां ने उससे कहा था कि ससुराल में कभी किसी से झगड़ना नहीं । यदि कभी किसी पर क्रोध आये तो अपने हाथ से एक रूमाल बुनना और इस डिब्बे में रखना।
बूढ़े की आंखों में यह सोचकर खुशी के मारे आंसू आ गये कि उसकी पत्नी को साठ वर्षों के लम्बे वैवाहिक जीवन के दौरान सिर्फ दो बार ही क्रोध आया था । उसे अपनी पत्नी पर सचमुच गर्व हुआ।
खुद को संभाल कर उसने रूपयों के बारे में पूछा । इतनी बड़ी रकम तो उसने अपनी पत्नी को कभी दी ही नहीं थी, फिर ये कहां से आये?
”रूपये! वे तो मैंने रूमाल बेच बेच कर इकठ्ठे किये हैं ।” पत्नी ने मासूमियत से जवाब दिया।

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दर्शनशास्त्र की कक्षा में प्रोफेसर साहब भगवान के अस्तित्व के संबंध में पढ़ा रहे थे।
- क्या आप में से किसी ने भगवान की आवाज सुनी है ? प्रोफेसर ने छात्रों से सवाल किया।
कोई नहीं बोला ।
- क्या किसी ने भगवान को छुआ है ?
फिर से, कोई नहीं बोला ।
- क्या किसी ने भगवान को देखा है ?
जब इस बार भी छात्रों की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो प्रोफेसर साहब बोले – इससे सिध्द होता है कि भगवान नहीं है ।
एक छात्र से नहीं रहा गया। उसने हाथ उठाकर प्रोफेसर से बोलने की अनुमति मांगी। अनुमति मिलने पर वह प्रोफेसर साहब की डेस्क के पास आकर छात्रों को संबोधित करते हुए बोला – क्या किसी ने प्रोफेसर साहब के दिमाग की आवाज सुनी है ?
कोई नहीं बोला ।
- क्या किसी ने प्रोफेसर के दिमाग को छुआ है ?
फिर से, कोई नहीं बोला।
- क्या किसी ने प्रोफेसर के दिमाग को देखा है ।
कोई आवाज नहीं आई ।
तब छात्र ने निष्कर्ष बताया – इससे सिध्द होता है कि प्रोफेसर साहब के दिमाग है ही नहीं ………… ।

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