Saturday, 31 January 2015

क्यों खाना चाहिए मिटटी के बर्तन में खाना ??
अगर आप एलुमिनियम के प्रेसर कूकर में खाना बनाते हो तो
87% पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते है,सिर्फ 13% ही बचते है। अगर पीतल के बरतन में
बनाये तो 7% पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते है, 93% बचते है।
"अगर कासे के बरतन में बनाये तो 3% पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते है, 97% बचते
है।" अगर आप मिटटी के बरतन में खाना बनाये तो 100% पोषक तत्त्व बचते है।
और अगर आपने एक बार मिटटी के बरतन का खाना खा लिया तो उसका जो स्वाद
है वो आप जिन्दगी भर नहीं भुलेंगे।
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आयुर्वेद के अनुसार हमारा शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है तथा ये पाँचो तत्व हमारे हाथ में मौजूद हैं ।
अँगूठा - अग्नि तत्व
तर्जनी - वायु तत्व
मध्यमा - आकाश तत्व
अनामिका - पृथ्वी तत्व
कनिष्का - जल तत्व
जब हम हाथ से भोजन करते हैं तो अँगूठे तथा उँगलियों को मिलाकर खाना खाते हैं अतः सारे तत्वों को एकजुट करते हैं जिससे भोजन उर्जादायक तथा स्वास्थवर्धक बन जाता है । हाथ से भोजन करने से हमारा मस्तिष्क हमारे पेट को संकेत देता है जिससे पाचन क्रिया सुधरती है।
इस प्रकार हाथ से भोजन करना पूर्णतया वज्ञानिक है ।
भारतीय परम्पराओँ की यही खासियत है कि उनके पीछे उनका वैज्ञानिक कारण छुपा होता है। पर आजकल तो सबके ऊपर कूल ड्यूड , और विदेशी बनने का भूत सवार है। खुद को बहुत समझदार और कूल ड्यूड समझने वाले अंग्रजो की तरह इन भारतीय परम्पराओ का उपहास बनाते हैं।
ये अंग्रेज म्लेच्छ और विदेशी क्या जाने महत्व भारतीय परम्पराओ का।

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