Sunday, 25 January 2015

यमराज नचिकेत सवाद
यमराज :- मुझसे वरदान मांग लो तो
नचिकेत :- मुझे ब्रह्मज्ञान चाहिए
यमराज :- ये न मांगो बोलो तो राज्य दे देता हूँ वरदान में
नचिकेत :- राज्य छोटा होगा तो भय बना रहेगा बड़े राजाओ से
यमराज :-नहीं बड़ा राज्य देता हूँ
नचिकेत:- अगर रानियों का स्वाभाव ख़राब होगा तो भी दुख बना रहेगा
यमराज :- नहीं रानियाँ भी अच्छी होंगी
नचिकेत :- अगर बच्चो का स्वभाव अच्छा न हुआ तो भी दुख बना रहेगा
यमराज :- बच्चे भी अच्छे होंगे
नचिकेत :- अगर बहुओ का स्वभाव ख़राब हुआ तो भी दुख बना रहेगा
यमराज :- नहीं वो भी अच्छी होंगी
नचिकेत :- अगर तबियत ख़राब हुई तो भी दूख रहेगा
यमराज :- नहीं स्वस्थ जीवन होगा
नचिकेत :- अगर जल्दी म्रत्यु हुई तो
यमराज :-नहीं 100 सालो तक राज्य रहेगा
नचिकेत :- यमदेव देखिये कोई 6 महीने साल भर वाला दोस्त बिछड़ता है तो भी कितना दुख होता है
और यहाँ तो सब सुखदायी और 100 वर्षो का जीवन म्रत्यु के समय कितना दुख होगा
एक साथ सबको छोड़ते समय
और आपके जैसा वक्ता मेरे जैसा श्रोता जो इन सबको तुच्छ मानता हो मुझे तो केवल ब्रह्मज्ञान ही चाहिये
तब यमराज खूब प्रस्सन हुए और ब्रह्म ज्ञान का उपदेश दिया नचिकेत भी ब्रह्मज्ञानी हो गए

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