भारत की राजनीति का इतिहास देखें तो ये बात आपको बिलकुल स्पष्ट हो जाएगा की अमेरिका हमेशा World Bank,IMF मे काम कर चुके एजंटो को साजिश करके भारत सरकार मे प्रवेश करा देता है ! मनमोहन सिंह ,और चिदम्बरम का उदाहरण तो आपके सामने है 1991 मे अभी चुनाव का दौर चल रहा था की फ्रांस के एक लोकल अखबार Le Monde मे एक खबर छपी ! खबर ये थी की किसी भी पार्टी की सरकार आये अगले वित मंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह होंगे
(Dr. Manmohan Singh would be the next Finance Minister of India.)
और अंत यही हुआ था मनमोहन सिंह ने वित मंत्री का पद संभाला और ऐसे ऐसे समझोते हुए की 1991 से लेकर आज 2014 मे भारत को कंगाल कर छोड़ा है आज भारत के अधकितर उद्द्योगों पर विदेशी कंपनियो का कब्जा हो चुका ! जो डालर 1991 मे 18 रुपए का था वो आज 60 तक पहुँच गया है !! महंगाई ने सब रिकर्ड तो तोड़ दिये है ! 1991 में अगर महज 83.8 अरब डॉलर विदेशी ऋण भारत पर था वो आज 390 अरब डालर को पार कर गया है आज भारत सरकार कर्जे जा ब्याज भरने के लिए कर्ज ले रही है ! राजीव भाई ने तो इस मनमोहन सिंह को 1998 मे दिये एक व्याख्यान मे ही अमरीकी एजेंट घोषित कर दिया था !!
http://goo.gl/Yc8R6m
आप एक नजर डालिए भारत सरकार मुख्य पदो पर बैठे लोग world Bank ,IMF मे काम करके आए होते है वो बेशक योजना आयोग के प्रमुख मोंटंक सिंह अलुवालिया हो ,दो बार वित मंत्री रहे चिदम्बरम हो या मनमोहन सिंह तीनों world Bank ( जो अमेरिका का पिट्टू है) वहाँ से निकलकर आए हैं ! या यूं कहा जाए अमेरिका के एजेंट के रूप मे भारत सरकार मे भेजे गए थे !ताकि वो अमेरिका के हित मे नीतियाँ बनाए !
ऐसी ही साजिश अमेरिका मोदी की सरकार मे करने जा रहा है और हो सकता है भाजपा मे बैठे कुछ अमरीकी एजेंट इस बात के पक्ष मे है ! जगदीश भगवती और अरविंद पानागरिया नाम के दो व्यक्ति जिनके पास अमरीकी नागरिकता है और पेशे से अमरीकी अर्थशास्त्री है जो World Bank IMF मे काम कर चुके हैं भारत को बर्बाद करने वाले WTO समझोते की समिति के बाहरी सलहकार रह चुके हैं अमेरिका इनको मोदी की सरकार मे किसी प्रमुख पद पर बैठना चाहता है ताकि मनमोहन सिंह ,चिदम्बरम ,मोंटेक सिंह आहलूवालिया की तरह भारत को लुटवाने के लिए नीतियाँ बनाए और अमेरिका को लाभ पहुंचाया जा सके !!
अगर अमेरिका इस साजिश मे कामयाब हो गया तो समझिए देश की लूट वैसे ही जारी रहेगी जैसे मनमोहन सिंह के समय मे रही कांग्रेस और मोदी सरकार मे कोई अंतर नहीं रह जाएगा !
क्या इतने बडे भारत में से कोई अर्थशाश्त्री नही मिला ?
जिस देश मे चाणक्य जैसे अर्थशास्त्री रहे हो आज उस देश को विदेशी मानसिकता के अर्थशास्त्रियों की जरूरत है ??
सरकार की सलाहकार टीम में क्यों हर बार इन्डो-अमरिकी गद्दार घुस जाते हैं ? नेता क्या बुध्धिहिन है कि उन को सलाहकारों की जरूरत पडती है । जनता ने तो नेताओं को वोट दिया, सलाहकारों को नही ।
और क्या ये अनिवार्य है ?? की सलाहकार World Bank और IMF मे पढ़ कर निकले तो उनके पास ही ज्यादा दिमाग होता है ?? जबकि मनमोहन सिंह जैसे world bank से कम करके निकले अर्थशास्त्री का उदाहरण पूरा भारत देख चुका है ! और पता नही उसका परिणाम अगले कितने वर्षो तक भुगतता रहेगा ! तो फिर क्यों भारत इस गलती को दोबारा दोहराना चाहता है ???
ये जगदीश भगवती मनमोहन सिंह के खास मित्र रह चुके है 1991 मे मनमोहन द्वारा किए economic reforms (आर्थिक सुधारो ??) पर इन्होने Cambridge University मे बहुत चर्चा और तारीफ की !!
reuters.com छपी खबर के अनुसार ये जगदीश भगवती मनमोहन सिंह की तरह ही विदेशी निवेश और open market ,आदि के समर्थक है ! अर्थात मनमोहन सिंह जिसे विकास की नीतियाँ बताते बताते भारत मे लागू करते गए ऐसी ही नीतियो के समर्थक ये लोग भी है !
इस बार भी अगर अमेरिका ने अपने एजेंट भारत सरकार मे बैठा दिये तो ये झूठे विकास की नीतियाँ अंत मे मनमोहन सिंह की विकास नीतियो की तरह भारत के विनाश नीतियाँ ही साबित होंगी !!
इस खबर की पुष्टि के लिए इस लिंक पर click करें !!
http://in.reuters.com/…/uk-india-election-economist-idINKBN…
याद रखे ! देश बढ़ा होता है ,राष्ट्र बढ़ा होता है,पार्टियां आती है जाती है !,नेता आते है जाते है कोई भी पार्टी या नेता राष्ट्र से बड़ा नहीं हो सकता !! आपने कांग्रेस को हटा भाजपा को इसलिए वोट दिया की वो राष्ट्रहित मे कार्य करे ! अगर उनका कोई कार्य राष्ट्रहित के विरुद्ध हो तो उसका विरोध भी करे यही आपका कर्तव्य है !!
(Dr. Manmohan Singh would be the next Finance Minister of India.)
और अंत यही हुआ था मनमोहन सिंह ने वित मंत्री का पद संभाला और ऐसे ऐसे समझोते हुए की 1991 से लेकर आज 2014 मे भारत को कंगाल कर छोड़ा है आज भारत के अधकितर उद्द्योगों पर विदेशी कंपनियो का कब्जा हो चुका ! जो डालर 1991 मे 18 रुपए का था वो आज 60 तक पहुँच गया है !! महंगाई ने सब रिकर्ड तो तोड़ दिये है ! 1991 में अगर महज 83.8 अरब डॉलर विदेशी ऋण भारत पर था वो आज 390 अरब डालर को पार कर गया है आज भारत सरकार कर्जे जा ब्याज भरने के लिए कर्ज ले रही है ! राजीव भाई ने तो इस मनमोहन सिंह को 1998 मे दिये एक व्याख्यान मे ही अमरीकी एजेंट घोषित कर दिया था !!
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आप एक नजर डालिए भारत सरकार मुख्य पदो पर बैठे लोग world Bank ,IMF मे काम करके आए होते है वो बेशक योजना आयोग के प्रमुख मोंटंक सिंह अलुवालिया हो ,दो बार वित मंत्री रहे चिदम्बरम हो या मनमोहन सिंह तीनों world Bank ( जो अमेरिका का पिट्टू है) वहाँ से निकलकर आए हैं ! या यूं कहा जाए अमेरिका के एजेंट के रूप मे भारत सरकार मे भेजे गए थे !ताकि वो अमेरिका के हित मे नीतियाँ बनाए !
ऐसी ही साजिश अमेरिका मोदी की सरकार मे करने जा रहा है और हो सकता है भाजपा मे बैठे कुछ अमरीकी एजेंट इस बात के पक्ष मे है ! जगदीश भगवती और अरविंद पानागरिया नाम के दो व्यक्ति जिनके पास अमरीकी नागरिकता है और पेशे से अमरीकी अर्थशास्त्री है जो World Bank IMF मे काम कर चुके हैं भारत को बर्बाद करने वाले WTO समझोते की समिति के बाहरी सलहकार रह चुके हैं अमेरिका इनको मोदी की सरकार मे किसी प्रमुख पद पर बैठना चाहता है ताकि मनमोहन सिंह ,चिदम्बरम ,मोंटेक सिंह आहलूवालिया की तरह भारत को लुटवाने के लिए नीतियाँ बनाए और अमेरिका को लाभ पहुंचाया जा सके !!
अगर अमेरिका इस साजिश मे कामयाब हो गया तो समझिए देश की लूट वैसे ही जारी रहेगी जैसे मनमोहन सिंह के समय मे रही कांग्रेस और मोदी सरकार मे कोई अंतर नहीं रह जाएगा !
क्या इतने बडे भारत में से कोई अर्थशाश्त्री नही मिला ?
जिस देश मे चाणक्य जैसे अर्थशास्त्री रहे हो आज उस देश को विदेशी मानसिकता के अर्थशास्त्रियों की जरूरत है ??
सरकार की सलाहकार टीम में क्यों हर बार इन्डो-अमरिकी गद्दार घुस जाते हैं ? नेता क्या बुध्धिहिन है कि उन को सलाहकारों की जरूरत पडती है । जनता ने तो नेताओं को वोट दिया, सलाहकारों को नही ।
और क्या ये अनिवार्य है ?? की सलाहकार World Bank और IMF मे पढ़ कर निकले तो उनके पास ही ज्यादा दिमाग होता है ?? जबकि मनमोहन सिंह जैसे world bank से कम करके निकले अर्थशास्त्री का उदाहरण पूरा भारत देख चुका है ! और पता नही उसका परिणाम अगले कितने वर्षो तक भुगतता रहेगा ! तो फिर क्यों भारत इस गलती को दोबारा दोहराना चाहता है ???
ये जगदीश भगवती मनमोहन सिंह के खास मित्र रह चुके है 1991 मे मनमोहन द्वारा किए economic reforms (आर्थिक सुधारो ??) पर इन्होने Cambridge University मे बहुत चर्चा और तारीफ की !!
reuters.com छपी खबर के अनुसार ये जगदीश भगवती मनमोहन सिंह की तरह ही विदेशी निवेश और open market ,आदि के समर्थक है ! अर्थात मनमोहन सिंह जिसे विकास की नीतियाँ बताते बताते भारत मे लागू करते गए ऐसी ही नीतियो के समर्थक ये लोग भी है !
इस बार भी अगर अमेरिका ने अपने एजेंट भारत सरकार मे बैठा दिये तो ये झूठे विकास की नीतियाँ अंत मे मनमोहन सिंह की विकास नीतियो की तरह भारत के विनाश नीतियाँ ही साबित होंगी !!
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याद रखे ! देश बढ़ा होता है ,राष्ट्र बढ़ा होता है,पार्टियां आती है जाती है !,नेता आते है जाते है कोई भी पार्टी या नेता राष्ट्र से बड़ा नहीं हो सकता !! आपने कांग्रेस को हटा भाजपा को इसलिए वोट दिया की वो राष्ट्रहित मे कार्य करे ! अगर उनका कोई कार्य राष्ट्रहित के विरुद्ध हो तो उसका विरोध भी करे यही आपका कर्तव्य है !!
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