Monday, 5 January 2015

अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई देने वाले भारतीय सेकुलरो ने समय समय पर कई बार अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोटा हैं...
जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है" सैटेनिक वर्सेज"...
"सैटेनिक वर्सेज" एक ऐसा उपन्यास, जिसका भारत में सभी राजनीतिक दलों और NDTV जैसे चैनलों ने भारी विरोध किया था ..
सैटेनिक वर्सेज यानी शैतान की आयतें।
अपने इस उपन्यास में इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरान की चर्चा सलमान रश्दी ने की है । रश्दी ने यह सच बताने का प्रयास किया है कि कुरान दुबारा लिखा गया । पहली बार मोहम्मद साहब ने उस समय प्रचलित मूर्ती पूजा को अपनाते हुये तीन
देवियों को अल्लाह की जगह पर भगवान के रुप में वर्णित किया, परन्तु बाद में उसमे बदलाव लाया गया क्योंकि उस समय प्रचलित मूर्ती पूजा के विरोध में हीं तो उन्हें इस्लाम को स्थापित
करना था।
इसी सच को रशदी ने रोचक तरीके से अपने उपन्यास के
माध्यम से बताने का प्रयास किया है..
इस उपन्यास की कहानी भारतीय चरित्रों के
आसपास गुंथी गई है, इस उपन्यास के शुरु में दो व्यक्ति जो भारतीय सिनेमा के चरित्र हैं हवाई जहाज से जमीन पर से आते हैं और इस्लाम की स्थापना का प्रयास करते हैं। उपन्यास में यह सच बताया गया है कुरान की रचना मानव ने की है, पहले
मिस्र में तीन देवियों की पूजा होती थीं.., अल उजा , अलात और मनत । इस्लाम की स्थापना काल में इनकी मुर्तियों को खंडित कर दिया गया । कुछ
मुर्तियां जो है जो अब भी म्यूजियम में उपलब्ध हैं ,
इसके अलावा इस उपन्यास में आयेशा बीबी और
मोहम्मद साहब की अन्य पत्नियों के
सबंधो का भी जिक्र हैं... उपन्यास में इस्लाम के बीच
के विरोधाभाष को भी बखूबी दर्शाया गया है ...
कुल मिलाकर यह उपन्यास पढने और विचार करने योग्य
है । अगर इस उपन्यास पर भारत की सरकार ने प्रतिबंध
नहीं लगाया होता तो इसका हिंदी अनुवाद बहुत हीं रोचक होता...
लेकिन अफसोस.. अभिव्यक्ति की दुहाई देने वाले आमिर खान, महेश भट्ट जैसे लोगों के मुंह में दही जम जाता हैं ऐसे मामलों पर .,

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* सभी न्यूज़ चैनल कुशीनगर और बहराइच में ईसाईयों द्वारा करवाए धर्मपरिवर्तन पर खामोश
* सभी न्यूज़ चैनल मुजफ्फरनगर में मुल्लों द्वारा मंदिर पर मांस टांगने और इस्लाम कबूल करने की धमकी पर खामोश

* सभी न्यूज़ चैनल बुखारी द्वारा लव जेहाद कर हिन्दू लड़कियों का धर्मपरिवर्तन कर उनसे शादी करने वाले बयान पर खामोश
* सभी न्यूज़ चैनल बीएमएसी के अध्यक्ष सलीम द्वारा मोदी जी को जान से मारने, संसद पर हमला करने और हथियार उठाकर हिन्दुओं को मारने वाले बयान पर खामोश
*आजम खान खुले आम बार बार आरएसएस जैसे राष्ट्रवादी और स्वयंसेवक संगठन की तुलना तालिबान से कर देता है पर हमारी मिडिया के नज़रों में ये साम्प्रदायिक नहीं है
*न्यूज़ चैनलों पर लगातार और बार-बार कांग्रेस, सपा, आआपा और मुल्ले खुले आम सभी हिंदुत्ववादी संगठनो की तुलना पाकिस्तानी आतंकवाद से करके ना सिर्फ अन्तराष्ट्रीयस्तर पर हिन्दुत्ववादी संगठनों की अपितु हिन्दुओं की छवि पर भी दाग लगाते हैं पर न्यूज़ चैनलों की नजर में ये साम्प्रदायिक नहीं है
पर हाफिज सईद के बयान को हिन्दुस्तान में बार-बार दिखाया जाता है, जिससे की हिन्दुस्तानी मुल्लों के मन में मोदी जी के प्रति जहर भर कर पाकिस्तान की तरह यहाँ भी जेहादी तैयार किये जा सकें.
सभी न्यूज़ चैनलों द्वारा हिन्दुत्ववादी संगठनों पर लगातार जहर उगल कर बार बार उन्हें आतंकवादी बताया जा रहा है....... बात चाहे शांतिपूर्वक चलाये जा रहे "घर-वापसी" कार्यक्रम की हो या गीता को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करने की, बात चाहे राम मंदिर की हो या हिन्दुओं के पक्ष में कही कोई भी बात.
इन न्यूज़ चैनलों द्वारा इन बातों को इस तरह से मिर्च-मसाला लगाकर विवादास्पद और साम्प्रदायिक दिखाया जा ता ह�

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