Tuesday 23 September 2014

जनवारों के कत्ल के खिलाफ़ आवाज़ उठाने वाली संस्था PETA की Activist Benazir Suraiya भोपाल मे हाथ मे लोगो को 'Make Id Happy for all - Try Vegan' का बोर्ड ले कर शांतिप्रिय लोगो को समझने के लिए निकली थी| ऐसा कर के वह जनवारों पर दया करने का संदेश देना चाहती थी और विरोध करने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का उपयोग कर रही थी|

जैसे की होली पर लोग पानी बचाने के लिए संदेश देते है, दिवाली पर पटाखे न जलाने का संदेश देता है और गणेश पुजा पर नदी मे मूर्ति न डालने का संदेश देते है| परंतु कोई भी लोग ऐसे संदेश देने वालों को पीटते नही है| हाँ ! सोश्ल मीडिया पर जरूर कुछ यहाँ कहते आ रहे है पिछले कुछ सालो से कि मीडिया सिर्फ हिन्दू लोगो को ज्ञान देता है, शान्तिप्रिय समाज के लोगो को ज्ञान नही देता

अब इस मुस्लिम महिला समाजसेवी ने जनवारों पर दया करने का सिर्फ संदेश दिया तो शान्तिप्रिय समाज के लोगो ने इस पर पत्थर और चप्पल मारे और अंत मे धार्मिक भावनाए आहात करने का मुकदमा भी कर दिया

जबकि संविधान मे लिखा है कि हम को अभिव्यक्ति की आजादी है परंतु क्या यह समाज कानून और देश के संविधान से हट कर अपने को मानता है

अगर उस महिला की बात पसंद नही थी तो उस को जाने को बोल सकते थे पत्थर मरने की क्या जरूरत थी ? क्या हम सऊदी अरब, इराक या पाकिस्तान मे रहा रहे है जहां पत्थर मर कर हत्या करने की परंपरा है ?

आखिर ये कैसा धर्म है जहां लोगो को अपनी बात कहने तक का अधिकार नही है ? ओके ठीक है इस को छोड़ देता है \ परंतु कोई शान्तिप्रिय मुझे यहाँ बताए कि जब आप के समाज की महिलाओं के साथ सऊदी का शेख आ कर एक रात की कांट्रैक्ट शादी करता है तो आप की भावनाए क्यू आहात नही होती 


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