Saturday 31 January 2015


मनु स्मृति को भला-बुरा कहते सुना है| दलित भाई अपनी दुर्दशा का कारण मुख्य रूप से मनुस्मृति को ही मानते हैं और जितने भी उनके साथ जाती के आधार पर अत्याचार हुये या हो रहे है उसका दोष मनु को देते है क्यूँ की मनु ने ही वर्ण व्यवस्था का निर्माण किया और समाज को चार भागो में बांटा|
आज अगर दलित गरीब है , पिछड़ा है, अशिक्षित है तो उसका दोष मनुवाद को समझता है.....ऐसी ही मानसिकता स्वर्ण की भी है | दलितों को अछूत मानना, उनको मंदिर में प्रवेश न करने देना, शिक्षा से वंचित रखना,सामाजिक तथा आर्थिक शोषण जैसे घ्रणित कार्य करने के लिए मनुस्मृति का सहारा लेता है| ऐसी मानसिकता आम स्वर्ण की ही नहीं बल्कि जो अपने आप को शिक्षित और समझदार कहते है उनकी भी है वो अपने आपको जन्म से श्रेष्ठ मान लेते है|
इसी कथित "मनुवाद" के कारण सनातन धर्म के कई टुकड़े हो गए ....मनुस्मृति जलाई गयी....बड़ी संख्या में धर्मांतरण हुये.... और विदेशी मतों द्वारा आज भी हो रहे |
भारत में लगभग १००० साल तक विदेशियों का शासन रहा है ८०० साल मुगलों का और २०० साल ईशाइयों का | मुगलों ने हजारो मंदिर तोड़े....भारतीय संस्कृति को नष्ट किया .....जबरन इस्लाम कबूलावाया....ताक्शिला (takshila ) जैसे विश्वविख्यात विद्यालय को नष्ट करदिया.....तो क्या ये संभव नहीं है की उन्होंने मनुसमृति में फेरबदल कर दी हो ताकि हिन्दू समाज बंटा रहे और वो आसानी से राज कर सके?
मनु जिसको प्रथम पुरुष भी कहा जाता है सब उसकी ही संतान कही जाती है तो वो भला जाती क्यों बनाने लगा? क्या कोई बाप अपने एक बेटे को दलित और एक बेटे को स्वर्ण बना सकता है?
क्या कोई बाप अपने एक बेटे को मंदिर का मालिक बना दे और दूसरे को मंदिर में प्रवेश करने पर उसको खौलते तेल में डालने को कहे?क्या कोई बाप अपने एक बेटे को वेदों को पढने के लिए कहे और दूसरा बेटा अगर गलती से सुन भी ले तो उसके कानो में पिघला शीशा डालने को कहे?
कुछ उदहारण मनु स्मृति से दे रहा हूँ जिसमे जन्म आधारित जाती को नाकारा गया है| शुद्र -क्षत्रिय -वेश्य -ब्रह्मण ये कार्य आधारित वर्ण है न की जन्म आधारित|
१- मनु स्मृति (10 .65 ) के अनुसार ब्रह्मण शुद्र का कार्य कर सकता है और शुद्र ब्रह्मण का( इसी प्रकार क्षत्रिय वैश्य का)
२-मनु स्मृति (4 :245 ) यदि ब्रह्मण बुरी सांगत या आचरण करता है तो वो शुद्र है|
३-मनु स्मृति (2 :238) यदि कोई शुद्र वर्ण में पैदा हुआ पर ज्ञानी है तो वो ब्रह्मण वर्ण में विवाह कर सकता है |
४-मनु स्मृति (2 ;28 ) ब्रह्मण उसे कहा गया है जिसके पास दया, ज्ञान, शुद्ध आचरण, शिक्षा देने और ग्रहण कने की क्षमता, योग, सयमं अदि गुण हो अन्यथा वो ब्रह्मण नहीं है|
इसी तरह कुछ और उधर जिसमे एक वर्ण का व्यक्ति दूसरा वर्ण ग्रहण कर सकता था.
१-मातंग ऋषि जोकि एक चंडाल के पुत्र थे ब्रह्मण बने ( महाभारत, अनुशासन पर्व अध्याय ३)
२-रावण ब्रह्मण कुल में पैदा होने के बाद भी राक्षस कहलाया|
३-त्रिशंकु क्षत्रिये कुल में पैदा होने के बाद भी चंडाल कहलाया|

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