Friday 9 February 2018

कभी कानपुर उत्तर भारत का सबसे बड़ा औधोगिक नगर था ..फिर कम्युनिस्टों की काली नजर कानपुर पर पड़ी ..सुभाषिनी अली जो आजाद हिंद फौज की कैप्टन डॉक्टर लक्ष्मी सहगल की बेटी थी वो लव जेहाद में फंसकर मुस्लिम से निकाह करके कट्टरपंथी बन गयी और कानपुर को बर्बाद करके का ठेका ले लिया । ये भूल गयी कि उसकी सगी मां नेताजी सुभाषचंद्र बोस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी थी और अंग्रेज से लेकर जर्मन और जापानी तक कैप्टन लक्ष्मी सहगल की बहादुरी का लोहा मान गए वो डॉक्टर थी और फ़ौज में घायल हजारो जवानों का जान बचाई थी और खुद भी मोर्चा पर अंग्रेजी सेना से लडी थी
फिर सत्तर के दशक में कानपुर में हर जगह कम्युनिस्ट झंडे नजर आते थे, मुझे लगता था ये लोग किसी स्कूल का झंडा या लोगो है। पिताजी कहते थे कम्युनिस्ट सांप होते है। कानपुर को भारत का मैनचेस्टर कहा जाता था पर कम्युनिस्ट विचार ने बर्बाद कर दिया। जो सबसे बड़ा नेता था वो कहता था ग्रासिम एल्गिन और लाल इमली लोगो से काम कर के ज्यादा मुनाफा कमाती है, तुम उनके मालिक बनो। वो 50 का कपड़ा तुम्हारी मव्हन्त से 200 का बेचते है काम करना बंद करो, मालिक की हत्या कर दो। लाल इमली ऊनी कपड़े का विश्व प्रसिद्ध ब्रांड था ..दो पीढ़ी पहनती थी । भारतीय सेना से लेकर ब्रिटिश और अमेरिकी सेना भी इसकी ग्राहक थी । ये विचार ग्वालियर तक फैल गए। 2 साल तक लाल क्रांति हुई। एल्गिन लाल इमली ग्रेसिम , रेमंड्स और ग्वालियर ग्रेसिम बंद हो गयी। या ये कहिये, उन्हने नई तकनीक के साथ उत्तर प्रदेश के बाहर अपने प्लांट लगा दिए। मेहनत काम सैलरी ज्यादा पे लोगो को रखा। इन कंपनियो को कुछ फर्क नही पड़ा लेकिन कानपुर से ग्वालियर तक लाखो लोग अपनी नौकरी गांव बैठे, ज्यादातर कम्युनिस्ट नेताओ की हत्या उन्ही के समर्थकों ने कर दी, और मुख्य कम्युनिस्ट नेता आपको कानपुर सेंट्रल स्टेशन के बाहर रिक्शा चलता दिख जाएगा, उनके रिक्शे में कम्युनिस्ट झंडा अब भी है।
यही हाल jnu गैंग का होगा आज नही तो कल। देखते जाइये

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