Friday 9 February 2018

असली वारीस -
एक इलाके में एक भले आदमी का देवाहसान हो गया लोग अर्थी ले जाने को तैयार हुये और जब उठाकर श्मशान ले जाने लगे तो एक आदमी आगे आया और अर्थी का एक पाऊं पकड़ लिया और बोला के मरने वाले ने मेरे 15 लाख देने है, पहले मुझे पैसे दो फिर उसको जाने दूंगा। अब तमाम लोग खड़े तमाशा देख रहे है, बेटों ने कहा के मरने वाले ने हमें तो कोई ऐसी बात नही की के वह कर्जदार है, इसलिए हम नही दे सकतें मृतक के भाइयों ने कहा के जब बेटे जिम्मेदार नही तो हम क्यों दें। अब सारे खड़े है और उसने अर्थी पकड़ी हुई है, जब काफ़ी देर गुज़र गई तो बात घर की औरतों तक भी पहुंच गई। मरने वाले कि एकलौती बेटी ने जब बात सुनी तो फौरन अपना सारा ज़ेवर उतारा और अपनी सारी नक़द रकम जमा करके उस आदमी के लिए भिजवा दी और कहा के भगवान के लिए ये रकम और ज़ेवर बेच के उसकी रकम रखो और मेरे पिताजी की अंतिम यात्रा को ना रोको। में मरने से पहले सारा कर्ज़ अदा कर दूंगी। और बाकी रकम का जल्दी बंदोबस्त कर दूंगी। अब वह अर्थी पकड़ने वाला शख्स खड़ा हुआ और सारे लोगो से मुखातिब हो कर बोला: असल बात ये है मेने मरने वाले से 15 लाख लेना नही बल्के उसका देना है और उसके किसी वारिस को में जानता नही था तो मैने ये खेल किया। अब मुझे पता चल चुका है के उसकी वारिस एक बेटी है और उसका कोई बेटा या भाई नही है।

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