Saturday, 3 March 2018

नागालैंड और मेघालय पूर्वोत्तर का दो ऐसा राज्य जहां 75 फिसदी से अधिक ईसाई आबादी हो जहां लोग मतदान चर्च के इशारे पर करते हैं उस राज्य में भाजपा का कमल खिलना अपने आप में एक महत्वपूर्ण बात है।नागालैंड में जहां ईसाईयों की आबादी 88 प्रतिशत है तो वही मेघालय में 75 प्रतिशत।
....बात करते हैं नागालैंड की जहां "बैप्टिस्ट चर्च काउंसिल " राज्य भर के चर्चों का महत्वपूर्ण संगठन है।जिसने खुले तौर पर राजनैतिक पार्टियों को यह फरमान सुना दिया था कि बिते दिनों सभी राजनैतिक दल को यह फरमान सुना दिया था --"सभी ऐसे राजनैतिक दल जिसके नेता ईसाई है वें राज्य में भाजपा को आने से रोके।"
...जब उसने देखा कि यह अपील ज्यादा असर नही कर रहा है तब उसनें सभी नेताओं के साथ अलग-अलग गुप्त चर्चा किया।उसके बाद भी कुछ फर्क पड़ता नही दिखाई दिया तो पर्चा छपवाया और इस पर्चे को सभी चर्च में भेजा गया।चर्च आनेवाले को पत्रक दिया जाता था उसमें पत्रक में यह बताने की कोशिश की गई थी की भाजपा किस तरह ईसाईयों की दुश्मन है।यह पत्रक तीन भाषा में छपवाया गया था--अंग्रेजी, आसामी और बर्माई भाषा क्योंकी नागालैंड के बहुत सारे लोग वर्माई भाषा जानते हैं।
....इसके बावजूद भी भाजपा गठबंधन वहां 27 सीट लाकर सरकार बनाने जा रही है तो इसके पिछे है संघ और भाजपा का साझा प्रयास।जिस संघ परिवार के इन पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 656 सेवा इकाइंया चलती थी आज 100 गुना बढ़कर 6100 हो गया है।सेवा इकाईयों के कारण फर्क तो पङना ही था।
.....संघ ने नगा ईसाईयों को लुभाने के लिए नगा के स्वतंत्रता सेनानी रानी गाइदिनल्यू को अपना आदर्श मानकर भारत और नगा विरासत दोनों के बिच सामंजस्य स्थापित किया।इसके बाद वहां के राज्यपाल पीबी आचार्य जो संघ के स्वयंसेवक हैं उन्होने रानी गाइदिनल्यू के महानता को बखान करते हुए एक किताब लिखी थी जो यह किताब नागालैंड बहुत पॉपुलर साबित हुई और वहां के नगा समुदाय भाजपा के प्रति आकर्षित हो गई जिसका परिणाम सबके सामने है।
.....अब बात मेघालय की तो नागालैंड की तरह यहां भी बैप्टिस्ट चर्च काउंसिल का अच्छा-खासा प्रभाव है।यहां चर्च ने सारा खेल वही खेला जो नागालैंड में खेला था सिर्फ यहां उसने राजनैतिक दलों से सार्वजनिक अपील नही की गई थी।यहां चर्च के प्रभाव के कारण ही संगमा के बेटे की पार्टी एनपीपी भाजपा से चुनावी गठजोड़ नही की।यहां ईसाईयों और चर्च का प्रभुत्व इतना अधिक है कि यहां आकर गुजरात का जनेऊधारी राहुल भी ईसाई बन गया और उसने मोदी सरकार पर यह आरोप लगाया - मोदी सरकार चर्च और ईसाई विरोधी है।
....मेघालय में चुनाव को प्रभावित करने के लिए बैप्टिस्ट चर्च काउंसिल के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष " पॉल मिस्जा "कोई सम्मेलन में हिस्सा लेने के बहाने आ रहा था लेकिन भाजपा को जैसे ही इसके बायोडाटा और रिकार्ड प्राप्त हुआ तो ऐन वक्त पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसकी वीजा ही रद्द कर दी।इसके विरोध में खुद मेघालय कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा से इसके बदला लेने की अपील की।वीजा बहाल करने के लिए तमाम तरह का चर्च द्वारा धरना-प्रदर्शन किया गया लेकिन विदेश मंत्रालय ने इसकी कोई परवाह नही की और बैप्टिस्ट चर्च के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पॉल मिस्जा भारत आ न सका।

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