त्रिपुरा---
ईश्वरचंद विद्यासागर डिग्री कॉलेज चौराहे पर कम्युनिस्टों ने लाखों लोगों के हत्यारे रूसी तानाशाह लेनिन की मूर्ति लगा रखी थी....
त्रिपुरा की जनता ने बुलडोज़र से उस मूर्ति को ध्वस्त कर मॉस्को भेज दिया।
ईश्वरचंद विद्यासागर डिग्री कॉलेज चौराहे पर कम्युनिस्टों ने लाखों लोगों के हत्यारे रूसी तानाशाह लेनिन की मूर्ति लगा रखी थी....
त्रिपुरा की जनता ने बुलडोज़र से उस मूर्ति को ध्वस्त कर मॉस्को भेज दिया।
यही नहीं जिस भी सी.पी.एम. वर्कर्स ने कम्युनिस्टों के चिह्न लगा रखे थे उनको भी ध्वस्त किया।
त्रिपुरा में लेनिन के पुतले को ढहाना, मानसिक जीत का प्रतीक है!
त्रिपुरा में इनका 'लाल किला' ढहते ही वहाँ दशकों से लाल गुंडों sorry for दहशत के साये में जी रहे स्थानीय लोगों ने लेनिन का पुतला ढहा दिया।
कम्युनिस्टों के 'हँसिया-हथौड़ा' का सही उपयोग आज त्रिपुरा की जनता ने किया!
जिन्होंने भी #कहानी_कम्युनिस्टों_की पढ़ी है, वो जानते हैं कि कम्युनिस्टों को देशद्रोह का पहला सबक लेनिन ने ही सिखाया था!
वह लेनिन ही था जिसने रूसी सैनिकों से कहा था कि (प्रथम विश्व युद्ध में) अपने देश की जगह दुश्मन देश जर्मनी की मदद करो!
वह लेनिन ही था जिसने रूसी सैनिकों से कहा था कि (प्रथम विश्व युद्ध में) अपने देश की जगह दुश्मन देश जर्मनी की मदद करो!
उस देशद्रोही लेनिन से भारतीय कम्युनिस्टों ने अपने देश के खिलाफ 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' का फलसफा पढ़ा,
1962 में चीन की मदद की और उसकी प्रतिमा लगाए आज भी 'भारत की बर्बादी' के गीत गा रहे हैं!
लाल सलाम' को जड़ से नेस्तनाबूद करना है तो इनके एक-एक प्रतीक का अर्थ पहले समझिए, फिर ढहाइए!
'कहानी कम्युनिस्टों की' को जड़ से जानिए....
'कहानी कम्युनिस्टों की' को जड़ से जानिए....
और वामियों, आज जो तुम एक हत्यारे तानाशाह के निर्जीव पुतले के धराशायी होने पर 'कुत्तोँ वाला रोना' रो रहे हो ,उस समय तुम्हारी संवेदना कहाँ थी जब त्रिपुरा में और केरल में निर्दोषों को बेरहमी से कत्ल किया जा रहा था...
आज ये तुम्हारी भोंडी रुदाली की आवाज भी कानों को मधुर लग रही है ....
जम के रोओ ...रोते रहो ...अच्छा लग रहा है ...अच्छे दिन का एहसास हो रहा है...
मेरा देश बदल रहा है...
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त्रिपुरा के चौराहे से लेनिन के पुतले को ढहाना जरूरी था!
त्रिपुरा के चौराहे पर कम्युनिस्टों ने लाखों लोगों के हत्यारे रूसी तानाशाह लेनिन की प्रतिमा लगा रखी थी। त्रिपुरा में इनका 'लाल किला' ढहते ही वहां दशकों से दहशत के साये में जी रहे स्थानीय लोगों ने लेनिन का पुतला ढहा दिया। कम्युनिस्टों के 'हसिया-हथौड़ा' का सही उपयोग आज त्रिपुरा की जनता ने किया!
जिन्होंने भी #कहानीकम्युनिस्टोंकी पढ़ी है, वो जानते हैं कि कम्युनिस्टों को देशद्रोह का पहला सबक लेनिन ने ही सिखाया था! वह लेनिन ही था जिसने रूसी सैनिकों से कहा था कि (प्रथम विश्व युद्ध में) अपने देश की जगह दुश्मन देश जर्मनी की मदद करो!
उस देशद्रोही लेनिन से भारतीय कम्युनिस्टों ने अपने देश के खिलाफ 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' का फलसफा पढ़ा, 1962 में चीन की मदद की और उसकी प्रतिमा लगाए आज भी 'भारत की बर्बादी' के गीत गा रहे हैं!
'लाल सलाम' को जड़ से नेस्तनाबूद करना है तो इनके एक-एक प्रतीक का अर्थ पहले समझिए, फिर ढहाइए! 'कहानीकम्युनिस्टोंकी' को जड़ से जानिए....
आज ये तुम्हारी भोंडी रुदाली की आवाज भी कानों को मधुर लग रही है ....
जम के रोओ ...रोते रहो ...अच्छा लग रहा है ...अच्छे दिन का एहसास हो रहा है...
मेरा देश बदल रहा है...
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त्रिपुरा के चौराहे से लेनिन के पुतले को ढहाना जरूरी था!
त्रिपुरा के चौराहे पर कम्युनिस्टों ने लाखों लोगों के हत्यारे रूसी तानाशाह लेनिन की प्रतिमा लगा रखी थी। त्रिपुरा में इनका 'लाल किला' ढहते ही वहां दशकों से दहशत के साये में जी रहे स्थानीय लोगों ने लेनिन का पुतला ढहा दिया। कम्युनिस्टों के 'हसिया-हथौड़ा' का सही उपयोग आज त्रिपुरा की जनता ने किया!
जिन्होंने भी #कहानीकम्युनिस्टोंकी पढ़ी है, वो जानते हैं कि कम्युनिस्टों को देशद्रोह का पहला सबक लेनिन ने ही सिखाया था! वह लेनिन ही था जिसने रूसी सैनिकों से कहा था कि (प्रथम विश्व युद्ध में) अपने देश की जगह दुश्मन देश जर्मनी की मदद करो!
उस देशद्रोही लेनिन से भारतीय कम्युनिस्टों ने अपने देश के खिलाफ 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' का फलसफा पढ़ा, 1962 में चीन की मदद की और उसकी प्रतिमा लगाए आज भी 'भारत की बर्बादी' के गीत गा रहे हैं!
'लाल सलाम' को जड़ से नेस्तनाबूद करना है तो इनके एक-एक प्रतीक का अर्थ पहले समझिए, फिर ढहाइए! 'कहानीकम्युनिस्टोंकी' को जड़ से जानिए....
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