Saturday, 11 May 2013

असल में कश्मीर अमरीका को चाहिए


पाकिस्तान कश्मीर को भारत से अलग
करना चाहता है इसलिए वो भारत में आतंकवाद
फैलाता है ........ये पूर्णतया बकवास बात है l
आप ही सोचिये की कर्जे की रोटी खाने वाले एक
बिकाऊ भिखमंगा देश जहाँ खुद रोज़ धमाके होते है
उसकी इतनी औकात कबसे हो गयी जो वो भारत
जैसे देश को परेशान कर सके ..??
दरअसल कश्मीर पर पाकिस्तान केवल एक
मुखौटा है , असल में कश्मीर अमरीका को चाहिए
अपना सैन्य अड्डा बनाने के लिए .....जिससे चीन,रूस
और भारत तीनों को घेर सके परन्तु इसमें भारत
की राष्ट्रवादी हिन्दू जनता सबसे बड़ी रुकावट है l
अब इस राष्ट्रवादी जनता का मन बदलने के लिए
अमरीका अरुंधती रॉय , प्रशांत भूषण, अग्निवेश
आदि जैसे बिकाऊ बुद्धिजीवियों के ज़रिये
'इंटेलेक्चुअल टेरेरिस्म' का सहारा ले रहा है , जो कहते
हैं की कश्मीर तो कभी भारत
का हिस्सा था ही नहीं, कश्मीर को भारत से अलग
कर देने में सबकी भलाई है .....आदि जैसी बकवास
बातें करते हैं l साथ
ही अमरीका आदिवासी इलाकों में इसाइयत
का प्रचार और प्रसार ज़ोरों शोरों से करवा रहा है
l
जिस सुनकर मकौले
शिक्षा पद्धति का पढ़ा युवा जिसे अंग्रेजियत के
अलावा कुछ पता नहीं होता, अंग्रेजी में
इनकी बकैती सुनकर प्रभावित हो जाता है l
इसी प्रकार अमरीका पाकिस्तान के
बलोचिस्तान प्रांत को पाकिस्तान से अलग
करना चाहता है क्योंकि बलोचिस्तान में बंदरगाह
भी है साथ ही इसकी सीमा अफगानिस्तान से
भी लगती है ....पर उसे अलग करने में सबसे बड़ी रुकावट
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की जनता है जिसके
लिए अमरीका भारत को मुखौटा बनाता है l
अब हर भारतीय कहता है की कश्मीर में सब कुछ करने
वाला पाकिस्तान है इसी प्रकार पाकिस्तान के
लोग कहते हैं की बलूचिस्तान में चल
रही आज़ादी की लड़ाई के पीछे भारत का हाथ है
जबकि असल में दोनों में अमरीका का हाथ है l
अमरीका मीडिया के ज़रिये दोनों देशों में एक दुसरे
के खिलाफ नफरत फैलाता है साथ
ही दोनों देशों को हथियार भी बेचता है
तथा मीडिया के ज़रिये
किसी भी आतंकवादी गतिविधि के पीछे
अपना नाम नहीं आने देता l
हमें पाकिस्तान जैसे देश के साथ कोई
हमदर्दी नहीं पर यदि पाकिस्तान के टुकड़ों में
अमरीका आकर बैठ गया तो यह यह भारत के लिए
सबसे ज्यादा खतरनाक होगा l
इसीलिए अपने असल दुश्मन को पहचानिए,
अमरीका की कम्पनियों द्वारा बनाया गया कोई
सामान ना खरीदें क्योंकि यह अपने दुश्मनों की मदद
खुद करने जैसा है l

No comments:

Post a Comment