Wednesday, 29 May 2013

**एक बार स्वामी विवेकानद जी से किसी ने एक सभा में कहा कि ..स्वामी जी ,मैंने कभी मूर्ति पूजा नहीं कि है क्योंकि मैं मूर्ति पूजा का विरोधी हूँ ..

स्वामी जी हलकी सी मुस्कराहट के बाद बोले - "आपने मूर्ति पूजा नहीं की और आप इस निर्णय पर पहच गए कि मूर्ति पूजा से ईस्वर नहीं मिल सकता है। यह तो वैसा ही है कि आप पानी में उतरे नहीं और आपने सिध्यांत बना लिया की तैरना संभव ही नहीं है"

स्वामी जी मूर्ति तो खाती नहीं है फिर उसे भोग लगाने का क्या लाभ -यह तो पाखण्ड ही है ..उस सज्जन ने फिर से पूछा

स्वामी जी पहले जोर से हँसे और बोले ... " भगवान् की मूर्ति को भोग लगाने वाला भी जानता है कि मूर्ति खाती नहीं है और वैसे भी भगवान को खिलाने वाला वह होता ही कौन है ? भगवान् ही उसके पालन करता हैं ,किन्तु वह अपना भाव सम्प्प्रेषित करता है।जो कुछ भगवान् ने उसे प्रदान किया है वह उसी में से भगवान् का भोग लगाकर ,अपनी कृतज्ञता जताता है जिसे अन्तर्यामी प्रभु ग्रहण करते हैं "
स्वामी जी थोड़ी देर के लिए चुप हुए और आगे बोले .. "जैसे इन भोतिक आँखों से ,न दिखाई पड़ने वाला ,आपका प्रभु आपकी प्रार्थना या मुसलमानों की नमाज़ को ग्रहण करता है ,वैसे ही वह भोग लगाने वाले अपने भक्त का भाव ग्रहण करता है "

अब स्वामी जी की आवाज़ में तेज़ और उग्रता आने लगी थी ..स्वामी जी आगे बोले " आपके पास क्या प्रमाण है कि आपकी प्रार्थना या नमाज़ तो वह सुन लेता है ,किन्तु भोग लगाने वाले भक्त का भाव वह ग्रहण नहीं करता है , क्या आपके पास आपकी प्रार्थना या नमाज़ , सुनी गई है .इसकी कोई रसीद यानी पावती आती है क्या ?..... और सभा में एक गहन शांत छा गई 
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पटाखे भी घर में एक दो सालो तक पडे रहे तो बारूद ...
अपनी औकात भूल जाता हे ,फिर आप , मै ,और देश तो ....
अहिंसा के आदर्श के निचे ...नपुंसक बन गया ६५ वर्षों में तो ...
इतनी हैरानी क्यूँ हे !
 

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अग्निवेश उसी छतीसगढ़ के रहने वाले है जहाँ सबसे अधिक धर्मान्तरण का कार्य हो रहा है! भोले भले आदिवासियों को लगातार इसाई बनाया जा रहा है! बहुत से लोगो का मानना है की अग्निवेश क्रिस्चियन मिशनरी का एजेंट है जो की भगवा वस्त्र का फायदा उठा कर हिन्दू धर्म की नीव कमज़ोर कर रहा है ताकि लोगो के दिमाग में प्रश्न उठाये जा सके, उनको भ्रमित किया जा सके!
सबसे बड़ी दुर्भाग्य की बात की अग्निवेश एक संस्था चलता है जिसका नाम " World Council of Arya Samaj" जिसका की वह अध्यक्ष भी है! अपने पद का दुरूपयोग कर इसने "सत्यार्थ प्रकाश" के आखिरी 4 अध्याय हटवा दिए हैं! सोनिया गाँधी के यह बहुत बड़े प्रशंसक है और सोनिया इनको अधेरी सुरंग में अध्यात्म की रौशनी की किरण की तरह लगती है! सालो साल इनकी वेबसाइट पर इनकी फोटो पड़ी थी सोनिया और पोप के आगे शीश झुकाए! क्या यह सब एक आर्य समाजी सन्यासी को शोभा देता है?
इन महाशय की संस्था ही लगातार यह बात फैला रही है की आर्य बाहर से आये थे जबकि विश्व के शीर्षस्थ इतिहासकारों ने इस बात का खंडन किया है!
बाकि इनके किस्से तो आप सभी जानते ही होंगे! आगे क्या कहूं? यह व्यक्ति भगवा वस्त्रो में छिपा भेड़िया है!


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