Sunday 26 May 2013

सुब्रमन्यन स्वामी ताज महल की असलियत खोलने के लिए कोर्ट जाएंगे .... उन्होंने कहा कि जैसे पद्मनाभन मंदिर को खोला गया वैसे ही वो कोर्ट में ताज महल के पुराने दरवाजे खोलनेके लिए आदेश लेंगे !!
जिससे ताजमहल की सच्चाई सबके सामने आये ..
ज्ञात हो कि ताजमहल दो हज़ार वर्ष पुराना ताजोम्हालय शिव मंदिर है जिसको कुछ सौ वर्ष पूर्व मुगलों ने कब्ज़ा लिया था, पी एन ओक नाम के एक प्रसिद्द वैज्ञानिक ने इसपर रिसर्च करके ये खुलासा किया था और उसे शिव मंदिर होने के प्रमाण दिए थे पर तत्कालीन इन्द्रा गांधी सरकार ने इनको धमकाकर तथ्यों को दबा दिया था !!
स्वामी जी आप महान हो !देश की जनता की तरफ से आपको कोटि-कोटि धन्यवाद !
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aapka patra 
1- हमारे देश की सरकार की क्या मजबूरी है क्यों हम अंग्रेजों के बनाए ऐसे कानून जो की क्रांतिकारियों को दबाने और जनता को गुलाम बनाए रखने के लिए बनाए गए थे उसे हम प्रजातन्त्र में आज तक ढों रहे है इन्हे आजाद भारत के लिए क्यों नहीं बदला गया। जिसमे पुलिस एक्ट मुख्य है ।

2- आजादी मिलने के बाद भी काले अंग्रेजो की बदोलत अँग्रेजी हम पर राज कर रही है संविधान अँग्रेजी में, कोर्ट का फैसला अँग्रेजी में, उच्च शिक्षा अँग्रेजी में !!! हमे मातृ भाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार कब मिलेगा ।

3- कुछ मामलो को छोडकर शेष के लिए वर्तमान एलोपेथि चिकित्सा प्रणाली हानिकारक है ये हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बना रही है शासन आयुर्वेद जैसी प्राचीन कारगर चिकित्सा पद्दती को जानबूझ कर नजर अंदाज कर रहा है।

4- सेंसर बोर्ड सो रहा है और हमारी अश्लीलता सहन करने की सीमा बढ़ती जा रही आने वाले दिनो मे क्या होगा ? हमारे सांकृतिक प्रदूषण के लिए सरकारी छुट बहुत हद तक जिम्मेदार है ।

5- मेकाले ने जो चेलेंज वर्षो पहले किया था कि उसकी शिक्षा पद्दती आने वाली भारतीय पीढ़ी को बुरी तरह प्रभावित करेगी वो सच साबित हो रहा है शिक्षा पद्दती को बदलने की सख्त आवश्यकता है इसने हमारी सांस्कृतिक विरासत को चकनाचूर कर दिया है । शासन इस बारे में क्यों नहीं सोचता ?

6- सरकार खुद नशे को बढ़ावा दे रही है आप यदि किसी नशे के आदि है तो देश के 
किसी भी शहर /गाँव में नशे कि वस्तु आसानी से तलाश कर लेंगे पर हमारे देश कि पुलिस को ये पता ही नहीं चलता । आजाद भारत में सबसे पहले नशा, जुआ, सट्टा, अवैध धंधे बंद होने चाहिए परंतु सभी पर किसी बड़े नेता का हाथ है ।

यदि इस देश में संस्कारवान नेता,पुलिस, शिक्षक, चिकित्सक और अधिकारी हो जाए तो सारा देश संस्कारवान हो जाए पर इस असंभव कार्य को पूरा करने के लिए राजनीति कि परिभाषा बदलना होगी ।

From : स्वदेशी सुनील पूनियाँ भिरानी

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