यदि सिंह अहिंसक हो जाए, गीदड़
भी शौर्य दिखाते हैं, यदि गरुड़ संत
सन्यासी हो, बस सर्प पनपते जाते
हैं l
इस शांति अहिंसा के
द्वारा अपना विनाश आरंभ हुआ,
जब से अशोक ने शस्त्र त्यागे, भारत
विघटन प्रारंभ हुआ...
यही करता है 'सेकुलरिज्म '
का 'जहर' ... वो 'धर्मनिरपेक्षता'
की आड़ में आप को 'कायर'
बनता है ...जो आप के 'शत्रु' ओ के
लिए आप के लिए एक आसान 'शिकार'
बना देता है .......ये एक
सोची समजी 'साजिश' है ..भारत
और हिंदुत्व के दुश्मनों की ....आप
को 'मन' से ही 'कायर' और 'नपुंशक'
बना देना ताकि आप भविष्य में एक
आसान 'शिकार' हो और
उनका मकसद भी 'जल्द'
ही पूरा हो सके ... भारत में
'सेकुलरिज्म ' फ़ैलाने के लिए
क्यों इतना सारा पैसा विदेशों से
'उनके' एजेंट
लोगो को दिया जा रहा है ...क्यों
बहोत सारे उनके पैसे से
पार्टी चला रहे उनके 'दलाल'
देशद्रोही पॉलिटिशियन और उनके
फंड पे चलते 'मीडिया चैनल' जोरजोर से 'सेकुलरिज्म ' 'सेकुलरिज्म '
चिल्ला रहे है ?? क्यों ??
क्यों 'मुल्ले ' आज भारत में जगह जगह
'खुल्ले आम'
देशद्रोही प्रवृत्तिया करने
की 'जुर्रत'
करता है ....क्यों की उनको पता लग
चूका है की हम हिन्दू ( 'सेकुलरिज्म
' का 'जहर' पिने वाले ) उनका कुछ
नहीं उखाड़ेंगे , सिर्फ और सिर्फ
'मोमबत्ती' छाप विरोध करेंगे
या तो फिर 'हाथ' जोड़कर ऐसा न
करने की भीख
मागंगे ...उनका शिकार और आसान
होता जा रहा है क्यों की आप
की 'रगों ' में कायरता पनप
रही है .....जितना जल्दी ये सच
समजलोगे
उनता ही अच्छा होगा हम हिन्दू
ओ के लिए।
और एक आखरी सवाल ....क्यों कोई
'मुल्ला' सेक्युलर हो सकता है ????
नहीं , क्यों की वो आपकी तरह
'मुर्ख' नहीं है ......मुल्ले जहा जिस
जगह होंगे वहा वो 'इस्लाम'
का या उनकी कौम का हित
ही पहेले सोचेगा ...वो अपने
वालो का ही पक्ष लेगा ....चाहे
वो पुलिसवाला हो या पत्रकार
या नेता या फिर 'सुप्रीम कोर्ट
का जज भी क्यों ना हो '
सोचा था धर्म रक्षण
को श्री कृष्ण कहीं से
पैदा हो जाएगे.
.लेकिन पराजित मन के भीतरश्री कृष्ण कहाँ से आयेंगे.......
जो मान चुके हैं ये भारत
माँ नहीं बस थोड़ी सी माटी है
जो मान चुके हैं अनशन का अंजाम
मगर बस लाठी है
उन मृत शरीरों में फिर प्राण
कहाँ से आएगे
पराजित मन के भीतर श्री कृष्ण
कहाँ से आयेंगे ....जय श्री कृष्ण
मेरा इतिहास मुझे बार बार
चेतावनी देता रहा है कि कायर,
शक्तिहीन तथा असमर्थ
लोगों का जीवन मृत्यु से भी बदतर
और निरर्थक होता है,
बनावटी धर्म-
निर्पेक्षता का नाटक बहुत
हो चुका,
भारत हिन्दू प्रधान देश है और
वही रहैगा, मुझे अपने हिन्दू होने
पर गर्व है, भारत मेरा देश है मैं इसे
किसी दूसरे को हथियाने नहीं दूँग”
भी शौर्य दिखाते हैं, यदि गरुड़ संत
सन्यासी हो, बस सर्प पनपते जाते
हैं l
इस शांति अहिंसा के
द्वारा अपना विनाश आरंभ हुआ,
जब से अशोक ने शस्त्र त्यागे, भारत
विघटन प्रारंभ हुआ...
यही करता है 'सेकुलरिज्म '
का 'जहर' ... वो 'धर्मनिरपेक्षता'
की आड़ में आप को 'कायर'
बनता है ...जो आप के 'शत्रु' ओ के
लिए आप के लिए एक आसान 'शिकार'
बना देता है .......ये एक
सोची समजी 'साजिश' है ..भारत
और हिंदुत्व के दुश्मनों की ....आप
को 'मन' से ही 'कायर' और 'नपुंशक'
बना देना ताकि आप भविष्य में एक
आसान 'शिकार' हो और
उनका मकसद भी 'जल्द'
ही पूरा हो सके ... भारत में
'सेकुलरिज्म ' फ़ैलाने के लिए
क्यों इतना सारा पैसा विदेशों से
'उनके' एजेंट
लोगो को दिया जा रहा है ...क्यों
बहोत सारे उनके पैसे से
पार्टी चला रहे उनके 'दलाल'
देशद्रोही पॉलिटिशियन और उनके
फंड पे चलते 'मीडिया चैनल' जोरजोर से 'सेकुलरिज्म ' 'सेकुलरिज्म '
चिल्ला रहे है ?? क्यों ??
क्यों 'मुल्ले ' आज भारत में जगह जगह
'खुल्ले आम'
देशद्रोही प्रवृत्तिया करने
की 'जुर्रत'
करता है ....क्यों की उनको पता लग
चूका है की हम हिन्दू ( 'सेकुलरिज्म
' का 'जहर' पिने वाले ) उनका कुछ
नहीं उखाड़ेंगे , सिर्फ और सिर्फ
'मोमबत्ती' छाप विरोध करेंगे
या तो फिर 'हाथ' जोड़कर ऐसा न
करने की भीख
मागंगे ...उनका शिकार और आसान
होता जा रहा है क्यों की आप
की 'रगों ' में कायरता पनप
रही है .....जितना जल्दी ये सच
समजलोगे
उनता ही अच्छा होगा हम हिन्दू
ओ के लिए।
और एक आखरी सवाल ....क्यों कोई
'मुल्ला' सेक्युलर हो सकता है ????
नहीं , क्यों की वो आपकी तरह
'मुर्ख' नहीं है ......मुल्ले जहा जिस
जगह होंगे वहा वो 'इस्लाम'
का या उनकी कौम का हित
ही पहेले सोचेगा ...वो अपने
वालो का ही पक्ष लेगा ....चाहे
वो पुलिसवाला हो या पत्रकार
या नेता या फिर 'सुप्रीम कोर्ट
का जज भी क्यों ना हो '
सोचा था धर्म रक्षण
को श्री कृष्ण कहीं से
पैदा हो जाएगे.
.लेकिन पराजित मन के भीतरश्री कृष्ण कहाँ से आयेंगे.......
जो मान चुके हैं ये भारत
माँ नहीं बस थोड़ी सी माटी है
जो मान चुके हैं अनशन का अंजाम
मगर बस लाठी है
उन मृत शरीरों में फिर प्राण
कहाँ से आएगे
पराजित मन के भीतर श्री कृष्ण
कहाँ से आयेंगे ....जय श्री कृष्ण
मेरा इतिहास मुझे बार बार
चेतावनी देता रहा है कि कायर,
शक्तिहीन तथा असमर्थ
लोगों का जीवन मृत्यु से भी बदतर
और निरर्थक होता है,
बनावटी धर्म-
निर्पेक्षता का नाटक बहुत
हो चुका,
भारत हिन्दू प्रधान देश है और
वही रहैगा, मुझे अपने हिन्दू होने
पर गर्व है, भारत मेरा देश है मैं इसे
किसी दूसरे को हथियाने नहीं दूँग”
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