Thursday 30 May 2013



अधिकतर लोग गोरे होने के लिए क्या क्या नहीं करते अलग-अलग cream लगाते रहते हैं जैसे fair n lovely और इससे होता क्या है गोरे तो होते नहीं बल्कि ऐसा करने से त्वचा का प्राकर्तिक रंग ख़राब हो जाता है। और टी वी पर एक एड आती है जिसमे शाहरूख चिल्लाता है कि लडकियों वाली क्रीम छोडो मर्द बनो और मर्दो वाली क्रीम लगाओ.....fair n handsome.......पर किसी भी क्रीम से कोई फ़ायदा नही होता कभी भी.........सिर्फ़ एक तरीका है लूटने का। अगर आपको सच में गोरा होना है तो प्रकृति से जुड़िये जिससे आप सच में गोरे हो जाओगे।

1) हल्दी एक ऐसी ओषधि है जो कि त्वचा के रंग को निखारने में बहुत मदद करती है। मैं आपको एक घरेलु face pack बताता हूँ जिससे आपका रंग कुछ ही दिनों में निखर उठेगा। थोडा सा बेसन लें उसमें थोड़ी सी हल्दी मिलाएं और उसमें इतना दूध मिलाये की एक पेस्ट बन जाए इसके बाद 15 मिनट इसे सूखने दें। उसके बाद हलके गरम पानी से चेहरे को थोडा गीला करके हल्का सा scrub की लरह धीरे धीरे पूरे चेहरे पर मसल लें और फिर चेहरा धो लें। आपको पहले दिन से ही फ़र्क पता चलने लगेगा आपके चेहरे का रंग साफ़ होने लगेगा और कुछ ही दिनों में आपको मिलेगा गोरी त्वचा।

2) अगर आप दाग धब्बो से परेशान है तो रोज उन पर कच्चा आलू काट कर मसले सब साफ़ हो जायेंगे।

3) अगर आप मुहांसो से परेशान है तो अपने चेहरे पर ग्वार(aloevera) की जैल लगाए, आप अपने घर में ग्वार को आसानी से लगा सकते है और उसे छील कर गुद्दे का प्रयोग कर सकते है या फ़िर बाजार से भी जैल ले सकते है।

4) अगर हाथ, पैर की त्वचा का रंग एक सा न हो या त्वचा धूप में जल गयी हो तो आटे को छान कर उसमें से चोकर निकालकर चोकर में हल्दी व मलाई डाल कर उसे मिला ले . मिलाकर हाथ व पैर मैं लगा कर हल्के हाथों से मलकर हटा ले. धूप से जली त्वचा साफ़ हो जाएगी और त्वचा में चमक भी आएगी।

पूरे शरीर की त्वचा के लिए चिरोंजी दाने में दूध डालकर उसे रात भर भीगने दे फिर सुबह पीस कर इसमें देसी गुलाब और गेंदे के फूलों की पत्तियों को मिलाकर उबटन बना ले, फिर उसे लगाये . शरीर की त्वचा कांतिमय हो जाएगी और उसके छिद्रों की सफाई भी अच्छे से हो जाएगी।
परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।"
उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है, अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा, अरे हम तो खुद में हीन हो गए हैं जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा।

लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है, दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है। शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी, समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी। संयुक्त राष्ट संघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है।
जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है उसका कभी भला नहीं होता और यही मैकोले की रणनीति थी।

- स्व॰ श्री राजीव भाई

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