मित्रों कई विकसित देशों के बाद जैसे चाइना, जापान और अब बर्मा सरकार ने भी अपने यहाँ पर भी मुस्लिम्स के लिए दो बच्चों का कड़ा कानून बना दिया है,
इस कानून के तहत यदि कोई दो बच्चों के बाद बच्चे पैदा करता है, तो वहाँ की सरकार उनको मार सकती है और ये लीगल होता है और जिस पर कोई भी क़ानूनी सजा नहीं बनती क्योंकि उस तीसरे बच्चे या उससे ऊपर के बच्चों का कहीं भी कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं होता जिससे वो बच्चा अवैध माना जाता है, इसलिए उसकी मौत पर कोई क़ानूनी सजा नहीं होती, (जिन देशों में दो बच्चों का कानून है हर जगह ये सजा ना होने वाली बात समान रूप से लागू होती है)
इस कानून को म्यांमार की नेता विपक्ष और नोबल शांति पुरस्कार विजेता आन सान सुकी ने भी अपना जबरदस्त समर्थन दिया है ...!
ये कानून भले ही कुछ मुसलामनो को अपने विरोध में लगे मगर आज मुसलमान समाज सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ है, तो उसका एक सबसे बड़ा कारण है जिसे मैं अनपढ़ता से भी ज्यादा जिम्मेदार समझता हूँ तो वो है, एक मुसलमान द्वारा दर्जनों बच्चे पैदा करना, क्योंकि एक बाप अपने दो या तीन बच्चों को तो अच्छा- २ खिला सकता है वा उनकी अच्छी परवरिश या उनको अच्छे से पढ़ा सकता है, मगर यदि दर्जन भर से ज्यादा बच्चे होंगे तो पढाना और परवरिश तो छोडो एक गरीब बाप उनको एक समय की रोटी भी नहीं खिला सकता.. और फिर ऐसे बच्चों का भविष्य क्या होगा जिन्होंने कभी पढाई नहीं की और जिंदगी भर सिर्फ तंगी देखी ? ऐसे बच्चों को फिर बाद में आराम से बरगला कर या पैसा दिखाकर आंतकवाद की राह पर धकेल दिया जाता है.. कुछ मौलवियों द्वारा मुसलमानों के कान भरे जाते हैं कि जितने ज्यादा हो सकें बच्चे पैदा करो,. बच्चों को पैदा होने से रोकना अल्ला की राह में एक सिर्क है(गलत काम) पर क्या मुसलमान कभी उन मौलवियों ये पूछते हैं हैं कि दर्जन भर बच्चे पैदा करने के बाद क्या तुम हमारे बच्चों को रोटी खिलाओगे या अल्लाताला ऊपर से नीचे आएँगे बच्चों को रोटियाँ खिलाने ?
कुछ ये भी कहते हैं कि जितने ज्यादा बच्चे होंगे उतनी जल्दी ही इस्लाम धरती पर राज करेगा, अरे राज तो बाद की बात है पर पहले जो पैदा हो रहे हैं कम से कम उनके लिए तो दो वक्त की रोटी वा तन ढकने को कपड़े का जुगाड कर लो, खाली पेट और नंगे बदन भी कभी राज होता है क्या ??
आज दुनिया में सिख और पारसी सब से कम संख्या वाले धर्म हैं, पर कभी देखा है इन लोगों को दर्जन भर बच्चे सिर्फ इसलिए पैदा करते हुए कि हमारा धर्म भी जल्दी दुनिया पर राज करेगा ? संख्या में कम हैं फिर भी पैसे और बुद्धि के मामले में दुनिया में सबसे आगे हैं,
और मुसलमानों में आंतकवाद का सबसे बड़ा कारण मैं जनसंख्या बढोतरी, बेरोजगारी, गरीबी और भूख को सबसे बड़ा कारण मानता हूँ, क्योंकि जब आप सबसे पीछे होंगे और दुनिया आपसे आगे होगी तब आपको यही लगेगा कि दुनिया हम को दबा रही है और हमको कुचल कर आगे निकल रही है, जिस कुंठा के फलस्वरूप आंतकवाद होना लाजमी है..
तो बस अपने मुस्लिम मित्रों से यही आग्रह है कि इस कानून को अपने विरोध में कतई ना लें, यदि बर्मा ने ऐसा कानून पास किया है, तो कहीं ना कहीं इससे मुसलमानों का भला ही होगा,
आशा है कि मुस्लिम मित्रों को मेरा ये पोस्ट गलत नहीं लगा होगा, और वे मेरे इस पोस्ट या बर्मा में लागू किए गए कानून को अपने विरोध में नहीं समझेंगे...
http://m.indianexpress.com/ news/ myanmar-introduces-child-limit- for-rohingya-muslims/1120532/
इस कानून के तहत यदि कोई दो बच्चों के बाद बच्चे पैदा करता है, तो वहाँ की सरकार उनको मार सकती है और ये लीगल होता है और जिस पर कोई भी क़ानूनी सजा नहीं बनती क्योंकि उस तीसरे बच्चे या उससे ऊपर के बच्चों का कहीं भी कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं होता जिससे वो बच्चा अवैध माना जाता है, इसलिए उसकी मौत पर कोई क़ानूनी सजा नहीं होती, (जिन देशों में दो बच्चों का कानून है हर जगह ये सजा ना होने वाली बात समान रूप से लागू होती है)
इस कानून को म्यांमार की नेता विपक्ष और नोबल शांति पुरस्कार विजेता आन सान सुकी ने भी अपना जबरदस्त समर्थन दिया है ...!
ये कानून भले ही कुछ मुसलामनो को अपने विरोध में लगे मगर आज मुसलमान समाज सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ है, तो उसका एक सबसे बड़ा कारण है जिसे मैं अनपढ़ता से भी ज्यादा जिम्मेदार समझता हूँ तो वो है, एक मुसलमान द्वारा दर्जनों बच्चे पैदा करना, क्योंकि एक बाप अपने दो या तीन बच्चों को तो अच्छा- २ खिला सकता है वा उनकी अच्छी परवरिश या उनको अच्छे से पढ़ा सकता है, मगर यदि दर्जन भर से ज्यादा बच्चे होंगे तो पढाना और परवरिश तो छोडो एक गरीब बाप उनको एक समय की रोटी भी नहीं खिला सकता.. और फिर ऐसे बच्चों का भविष्य क्या होगा जिन्होंने कभी पढाई नहीं की और जिंदगी भर सिर्फ तंगी देखी ? ऐसे बच्चों को फिर बाद में आराम से बरगला कर या पैसा दिखाकर आंतकवाद की राह पर धकेल दिया जाता है.. कुछ मौलवियों द्वारा मुसलमानों के कान भरे जाते हैं कि जितने ज्यादा हो सकें बच्चे पैदा करो,. बच्चों को पैदा होने से रोकना अल्ला की राह में एक सिर्क है(गलत काम) पर क्या मुसलमान कभी उन मौलवियों ये पूछते हैं हैं कि दर्जन भर बच्चे पैदा करने के बाद क्या तुम हमारे बच्चों को रोटी खिलाओगे या अल्लाताला ऊपर से नीचे आएँगे बच्चों को रोटियाँ खिलाने ?
कुछ ये भी कहते हैं कि जितने ज्यादा बच्चे होंगे उतनी जल्दी ही इस्लाम धरती पर राज करेगा, अरे राज तो बाद की बात है पर पहले जो पैदा हो रहे हैं कम से कम उनके लिए तो दो वक्त की रोटी वा तन ढकने को कपड़े का जुगाड कर लो, खाली पेट और नंगे बदन भी कभी राज होता है क्या ??
आज दुनिया में सिख और पारसी सब से कम संख्या वाले धर्म हैं, पर कभी देखा है इन लोगों को दर्जन भर बच्चे सिर्फ इसलिए पैदा करते हुए कि हमारा धर्म भी जल्दी दुनिया पर राज करेगा ? संख्या में कम हैं फिर भी पैसे और बुद्धि के मामले में दुनिया में सबसे आगे हैं,
और मुसलमानों में आंतकवाद का सबसे बड़ा कारण मैं जनसंख्या बढोतरी, बेरोजगारी, गरीबी और भूख को सबसे बड़ा कारण मानता हूँ, क्योंकि जब आप सबसे पीछे होंगे और दुनिया आपसे आगे होगी तब आपको यही लगेगा कि दुनिया हम को दबा रही है और हमको कुचल कर आगे निकल रही है, जिस कुंठा के फलस्वरूप आंतकवाद होना लाजमी है..
तो बस अपने मुस्लिम मित्रों से यही आग्रह है कि इस कानून को अपने विरोध में कतई ना लें, यदि बर्मा ने ऐसा कानून पास किया है, तो कहीं ना कहीं इससे मुसलमानों का भला ही होगा,
आशा है कि मुस्लिम मित्रों को मेरा ये पोस्ट गलत नहीं लगा होगा, और वे मेरे इस पोस्ट या बर्मा में लागू किए गए कानून को अपने विरोध में नहीं समझेंगे...
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