Saturday 1 November 2014

edhar-udhar

आस्ट्रेलिया के नए कानून के अनुसार यदि किसी शांतिदूत जोड़े ने अपनी बच्चिओं को पब्लिक पैलेस में 'बुर्का' पहनने पर मजबूर किया तो उसको एक साल की जेल के साथ- साथ जुर्म के रूप में 68,000 डॉलर (करीब 41 लाख रुपए) का भुगतान सरकार को करना होगा, एक वो देश है जहाँ पर आंतकवाद पर रोक लगाने के लिए बुर्के पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है और एक हमारा देश है जिसमें आये दिन मदरसों में आंतक की ट्रेनिंग लेती औरतें पकड़ी जा रही हैं मगर वोट बैंक की खातिर इस 'आंतकी पोशाक' पर कुछ नहीं बोला जाता,
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जब एक टीवी चैनल के पत्रकार ने ''रन फॉर यूनिटी'' कार्यक्रम में भाग ले रहे युवाओं से पूछा की क्या आप सरदार पटेल को जानते है .
.तो एक युवा ने बताया की पटेल ने देश के लिए अपने सर में गोली मार ली थी .इसलिए उनको आईरन मैन कहा जाता है ....
दूसरे ने हकलाते हुए कहा I don't Know ..........किसी और ने कहा की उसने कभी भी सरदार पटेल का नाम नहीं सूना ......
ये समाज की बो हकीकत है जिसको पिछले साठ से जादा वर्षों में  कांग्रेस तथा उसके वैचारिक खाने में पत्तल चाटने बाले  इतिहासकारों ने भारत की जनता को शिक्षा व्यबस्था के जरिये दिमाग में घुसाया है !
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 गुजरात से कांग्रेस की वजह से   खत्म हो गयी 

 आपने एक तश्वीर देखी होगी जिसमे गाँधी के बगल में नेहरु बड़ी आत्मीयता से बैठे है जबकि उस तश्वीर में सरदार पटेल भी थे ।
1980 में कांग्रेस के महाधिवेशन में राजीव गाँधी ने इस फोटो को क्रोप करके मंच पर लगाया था । फोटो को इस तरह से क्रोप किया गया ताकि सरदार पटेल फोटो से निकल जाये । और बाद में उसी क्रोप्ड फोटो के आधार पर संसद के बाहर गाँधी और नेहरु की मूर्ति भी लगी ।
लेकिन इस फोटो को खीचने वाली महिला फोटोग्राफर ने असली फोटो की एक कापी गुजरात के एक बड़े अख़बार को दी । उस अख़बार ने असली फोटो को छापते हुए लिखा की आखिर कांग्रेस ने सरदार पटेल का अपमान क्यों किया । फिर उसके बाद से ही कांग्रेस गुजरातियों के मन से गिर 
गयी 
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काश किसी भारतीय मीडिया ने रेहाना जब्बार केस पर ईरान की सर्वोच्च अदालत की टिप्पड़ी दिखाई होती
रेहाना जब्बार ने एक पुरुष को मार डाला क्योकि वो उसका बलात्कार करने पर आमादा था अपनी इज्जत बचाने के लिए उसने उसका कतल कर दिया । लेकिन ईरान ने इस्लामिक कानूनों के तहत रेहाना को फांसी पर लटका दिया ।
ईरान में हर फैसले शरियत के तहत होते है और जज ने कहा की चूँकि अभी बलात्कार हुआ नही था भले ही मृतक ने अपने और रेहाना के कपड़े फाड़ दिए थे और रेहाना को कई जगहों पर काटा था लेकिन उसने अभी रेप नही किया था इसलिए इस्लामिक अदालत की नजर में वो बेकसूर है और रेहाना एक मुस्लिम दीनी की कातिल है इसलिए इसे फांसी दी जाती है ताकि फिर कोई लडकी ऐसी गुस्ताखी न करे ।
इन शांतिदूतो ने तो नीचता की हद कर दी है
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क्या देश में सब नागरिको के लिये ''एक समान'' कानून नहीं होना चाहिए ?
 आप ट्रेन में शराब नहीं पी सकते क्योंकि ये एक सामाजिक बुराई है, पर आप हवाई जहाज में पीकर जा सकते है ! यहाँ आर्डर पर शराब एवं बीयर उपलब्ध हो जायेगी ये एक ''प्रोफेशनल स्टेटस'' है यहाँ एअरपोर्ट में 'वाइन बार' भी है !
आप बस स्टैंड,रेलवे स्टेशन में धूम्रपान नहीं कर सकते इसके लिए जुर्माना है पर यदि कोई एअरपोर्ट में पीना चाहे तो वहा आपके लिए 'स्मोकिंग' जोन है ! आप स्टेडियम जैसे public place पर पुलिस सुरक्षा में बीयर एवं शराब पीते हुए मैच का 'लुत्फ़' उठा सकते है ! लेकिन यदि आप किसी बरात में, ढ़ाबे पर सड़क किनारे, खेत पर दारु पीऐ तो ''पुलिस'' आपको दौड़ा-दौड़ा कर पीटेगी ! आप कसिनो में लाखो का जुआ लाटरी खेल सकते है पर यदि आप दीपावली पे भी 100-50 का जुआ खेले,पुलिस कुत्ते की तरहा सूंघती हुई पहुँच जायेगी वो कौन है जो ''गरीबो'' और ''अमीरों'' के लिए अलग अलग क़ानून बनाता है ! …। दोस्तों,क़ानून की गाज़ सिर्फ गरीब पर ही गिरती है ! अमीर को खुली छूट ।
मैं शराब का कत्तई हिमायती नहीं हूँ, लेकिन क्या ये अमीरों और गरीबों के प्रति भेदभाव नहीं है?
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दिल्ली जैसी राजधानी के बीचोंबीच सैकड़ों एकड़ जमीन घेरकर बनी हुई जे एन यू
और इसके हॉस्टल में छात्र छात्राओं को ...
क्या सडकों पर किस ऑफ़ लव करने के लिए रखा गया है..?
कैम्पस में बीफ फेस्टिवकल के लिए इनका एडमिशन हुआ है 
या पढ़ने लिखने के लिए ..?
इनको कैम्पस से बाहर जाने की अनुमति कैसे मिल जाती है ..?
और शहर में अश्लील नाच करके वापस हॉस्टल में सोने की परमिशन कौन दे देता है ..?
यह यूनिवर्सिटी है या टेरर कैम्प ..?
जे एन यू के छात्रों के एक गुट द्वारा प्रायोजित दिल्ली की सडकों पर किस ऑफ़ लव के नाम पर नंगा नाच हुआ
पर जे एन यू के वाईस चान्सलर पर कार्रवाई अब तक क्यों नहीं हुई..?
विश्वविद्यालय और इसके हॉस्टल पढ़ने लिखने के लिए हैं या
राष्ट्रविरोधी देशद्रोही समाज विरोधी गतिविधियों के लिए... ?
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एक सामान्य व्यक्ति एक अदद पत्नी और दो बच्चों ... इन 3 लोगों .. सिर्फ 3 लोगों के भरण पोषण और सेवा सुश्रुषा में पूरा जीवन बिता देता है । सिर्फ इन 3 लोगों के लिए , उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए .. उनके नाजो नखरे उठाता उनकी बातें सुनता , उनकी झिडकियां खाता है .. लात जूता भी खाता है ... बेइमानियाँ करता है .. अपना ज़मीर बेचता है ,अपना स्वाभिमान अपनी अंतरात्मा को गिरवी रख देता है . सिर्फ इन 3 लोगों की सेवा में ?
 क्या मनुष्य का जीवन जो मिला वो इसीलिए मिला था ? इतनी बड़ी दुनिया में जहां इतने सारे लोग हैं  6 अरब लोग . और एक भरा पूरा समाज ..एक राष्ट्र ..और धर्म ... और इन सबसे ऊपर आपकी अपनी आत्मा ... क्या इनके प्रति कोई कर्त्तव्य नहीं .. ?
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