Friday 19 August 2016

इस जांबाज सैनिक ने अकेले ही मार गिराया 30 तालिबानी आतंकियों को...

आज पूरी दुनिया में आतंकवादीयों ने हथियार के दम पर भय का माहौल बना रखा हैं। इन आतंकवादियों से हर देश में वहां के सैनिक व सुरक्षा बल अपनी जान जोखिम में डालकर आम जनता व देश की रक्षा करते हैं। वे इन आतंकियों से एक टीम के रूप में लगातार भिड़ते रहते हैं लेकिन कई बार कुछ विषम परिस्थितियों में अकेला सैनिक इनके बीच फस जाता है।
ऐसे ही एक सैनिक हैं दीपप्रसाद, जो अकेले तालिबानी आतंकवादियों के बीच फस गये लेकिन इस जांबाज सैनिक ने हार नहीं मानी और अकेले ही 30 आतंकियों को देर कर दिया। यह वाक्या अफगानिस्तान का है जब सितम्बर 2010 में दीपप्रसाद अपनी चौकी पर अकेले ही तैनात थे और तालिबानी आतंकियों ने चौकी को चारों तरफ से घेर लिया।
जब दीपप्रसाद को पता चला की वो चारों तरफ से घिर चुके हैं तो वे घबराये नहीं बल्कि अकेले ही मोर्चा संभाल लिया। दोनों तरह से गोलियों की बोछार होने लगी, ग्रेनेड चलने लगे। दीपप्रसाद ने उन पर 17 ग्रेनेड फैंके और ग्रेनेड ख़त्म होने पर रायफल से आतंकियों पर गोलियों की बोछार कर दी। जब तक उनकी मदद के लिये बाकि सेना पहुंची तब तक वे अकेले ही 30 तालिबानी आतंकियों को ढेर कर चुके थे।
दीपप्रसाद को ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने उनकी इस बहादुरी के लिए ‘बकिंघम पैलेस’ में एक समारोह के दौरान ‘कॉन्सपिक्युअस गैलेंट्री क्रॉस’ पुरस्कार से सम्मानित किया। समारोह में उन्होंने कहा कि जिस तरह से मुझे उन्होंने चारों ओर से घेर लिया था, मैं समझ चुका था कि मेरा मारा जाना तय है। तब सोचा जितने ज्यादा लोगों को मार सकूंगा, मारकर ही मरूंगा।
उस घटना का अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि “एक तालिबानी लड़ाकू गार्ड हाउस से सटे टावर की ओर चढ़ने की कोशिश कर रहा था, तब मुझे किसी भी तरह से उसे ज़मीन पर गिरा देना था। मैंने उस लड़ाकू को वहां से हटाने में कामयाबी हासिल तो कर ली लेकिन तभी मेरे हथियार ने धोखा दे दिया। गोली नहीं चली। मैंने मशीनगन का ट्राईपॉड उठाकर तालिबानी के चेहरे पर दे मारा, जिससे दुश्मन लड़ाकू बिल्डिंग की ज़मीन पर गिर गया।”

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