Friday 26 August 2016

"निर्बल ही असुरक्षित होते हैं क्योंकि आत्मबल की शक्ति ही सबल की सुरक्षा का आश्वासन, ऐसे में, अगर समाज को वैचारिक रूप से निर्बल बना दिया जाए तो वह स्वतः ही असुरक्षित महसूस करने लगेगी , और तब, समय की आवश्यकताओं को भी समस्या और भय का पर्याय मान लिया जाएगा और जीवन संघर्ष की चुनौतियों को टालने और अपनी सहुलयतों के लिए परिस्थितियों से समझौता करना सीख जाएगा ; यही वर्तमान की स्थिति है।
हमें राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त हुए लगभग सत्तर वर्ष हो गए फिर भी अगर हम एक राष्ट्र के रूप में विकसित होने के लिए अब तक संघर्षरत हैं तो केवल इसीलिए क्योंकि शताब्दियों की पराधीनता ने हमसे हमारी वास्तविकता छीन ली है; आत्मबोध, आत्मज्ञान और आत्मविश्वास के आभाव में हम अपने समाज में लोगों को फिर चाहे जितना भी शिक्षित क्यों न कर लें, जीवन की सफलता के आधार पर हम जीवन की सार्थकता नहीं सिद्ध कर सकते।
 अतीत हमारे इस वर्तमान के लिए जो कुछ भी कर सकता था, उसने किया, चूँकि आज हम वर्त्तमान हैं इसलिए यह हमारा दायित्व है की हम बेहतर भविष्य के लिए अपने जीवन काल में जो भी कर सकते हैं, करें! 
 क्यों न हम अपने वर्तमान के प्रयास से एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण करें जो आत्मबोध, आत्मज्ञान और आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो, जनमें असंभव को भी संभव बनाने का सामर्थ हो ;ऐसा किया जा सकता है और हमें करना भी पड़ेगा, पर यह तभी संभव है जब हम यथार्थ में ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करें जो व्यवहारिकता की पुनर्व्याख्या कर सके,,
Mohan Bhagwat ji
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नासा में लगती है 15 दिन की संस्कृत क्लास ! हर विज्ञानिक को अनिवार्य !

अमरीकी अंतरीक्ष एजेंसी नासा (नेशनल एकेडमी फॉर स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) में भर्ती होने वाले वैज्ञानिक के प्रशिक्षण काल में 15 दिन की संस्कृत की कक्षा लगती है। इसमें आर्यभट्ट, वराहमिहिर जैसे भारत के विद्वानों की ओर से दिए गए वैज्ञानिक सिद्धांत के अलावा मय दानव का दिया सूर्य सिद्धांत पढ़ाया जाता है। सूर्य सिद्धांत में ढाई हजार वर्ष पहले सौरमण्डल के सम्बंध में दिए गए तथ्य और आज के वैज्ञानिक तथ्यों का तुलनात्मक अध्ययन होता है।
नासा के अतिथि वैज्ञानिक, दिल्ली के डॉ. ओमप्रकाश पाण्डेय ने जोधपुर प्रवास के दौरान पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि भारत का खगोल विज्ञान इतना अधिक समृद्ध था कि उसे अब वेद और वेदांग के जरिए वैज्ञानिक सीख रहे हैं। मय दानव ने 500 बीसी में सूर्य सिद्धांत के जरिए बताया कि पृथ्वी अपनी धुरी के साथ सूर्य के चारों और भी चक्कर लगाती है।
मय दानव ने एक साल की अवधि 365.24 दिन बताई। वर्तमान वैज्ञानिक सिद्धांत के अनुसार इसमें केवल 1.4 सैकेण्ड की ही त्रुटि है। मय दानव ने बुध से लेकर सभी ग्रहों और पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुके होने की जानकारी दी थी। मय दानव का सिद्धांत आर्यभट्ट और वराहमिहिर की लिखी पुस्तकों में भी है।

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