Monday 21 August 2017

वाह क्या इस्लाम है

अधिकतर मुस्लिम खेती नहीं करते पर कृषि उत्पादों की दलाली करते।
गाय नहीं पालते पर गाय खाने को लार टपकाते हैं।
गंदगी के अम्बार लगाते पर सफाई कर्मचारी नहीं बनते।
चैरिटेबल चिकित्सालय नहीं खोलते पर सरकारी अस्पताल इन्ही की तीमारदारी में लगे रहते हैं।
फौज में भर्ती नहीं होते पर फौजियों पर गोलीबारी और पत्थर बरसाते हैं।
बातें इमान की करते पर अपराधियों में 98% यही मिलते हैं।
राष्ट्र से सुविधा व सुरक्षा चाहते हैं पर राष्ट्र को मानते नहीं हैं।
बात बेबात पर फतवे जारी करते हैं पर कानून तोड़ने में पहले दर्जे की बदमाशी देते हैं।
भाई चारे की बात करते हैं लेकिन सभी आतंकवादी इसी समुदाय से मिलते हैं।
इस्लाम की तारीफ़ में बाते बड़ी बड़ी इस्लाम की और इस्लाम की अमन की करते है और कहते है इस्लाम अमन (शांति) का मजहब है ,और सारी दुनिया में इस्लाम दहशत और आतंकवाद फैलता आया है और फैला रहा है,,, शुरू से ही,
कुर्बानी हलाला तीन तलाक चार चार शादी 10-12 बच्चे जैसी जाहिली का शौक फरमाते हैं लेकिन बात कुराने पाक की करेंगे।
इस्लाम की अमन (पीस) शांति तो मानो ऐसी है कि कहीं से भी कभी भी किसी भी समय बम के या गोली के रूप में बरस जाती है,, और वह शांति अकारण ही निर्दोष लोगो की हत्या कर देती है,,, और यह सब इस्लाम के कट्टरवादी आतंकवादी केवल किसी दलाल के बहकावें में आकर उसके झांसे में जन्नत मिलने की बीमारी और उस जन्नत में 72 हूरे पाने के लिए या दिलाने के लिए करते है,,
वाह क्या इस्लाम है !

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