Wednesday 23 August 2017

लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित पर अब तक चार्जशीट नहीं हुई है...

ले.कर्नल पुरोहित ने 31 मई, 2014 को प्रधानमंत्री के नाम चिट्ठी लिखी थी। ये चिट्ठी 18 पेज की है इस चिट्ठी में पूरी घटना का क्रम से जिक्र किया है।
कर्नल ने इस चिट्ठी में लिखा है कि एटीएस उन्हें मालेगांव बम विस्फोट में एक षड्यंत्र के तहत फंसा रही है। जब बम विस्फोट हुआ, तब वे पंचमढ़ी (मध्य प्रदेश) में थे। उन्होंने चिट्ठी में बताया है कि अरबी भाषा सीखने के लिए सेना के प्रशिक्षण स्कूल आए थे।
इसी बीच 24 अक्टूबर, 2008 को कर्नल आर.के. श्रीवास्तव को सेना ने पंचमढ़ी भेज दिया। आर.के. श्रीवास्तव को सेना ने आदेश दिया कि वे ले. कर्नल पुरोहित से मिलें और उन्हें मुंबई लेकर जाएं। ताकि महाराष्ट्र एटीएस उनसे बम विस्फोट के बारे में पूछताछ कर सके।
सूत्रों के अनुसार कर्नल श्रीवास्तव को ये भी आदेश दिया गया था कि ले. कर्नल पुरोहित को मुंबई ले जाने से पहले दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय लाया जाए। यही कारण था कि पुरोहित को दिल्ली जाने का ऑर्डर मिला।
यह आदेश मिलने के बाद पुरोहित से मोबाइल फोन जमा करने के लिए कहा गया। जिसे सुनकर पुरोहित को आश्चर्य हुआ लेकिन कर्नल श्रीवास्तव का आदेश था इसलिए सेना की मर्यादा को देखते हुए उन्होंने इनकार नहीं किया।
फोन जमा करने के बाद पुरोहित कर्नल श्रीवास्तव के साथ नई दिल्ली मुख्यालय के लिए निकल गये क्योंकि उनके पास मूवमेंट ऑर्डर नई दिल्ली जाने का था।
लेकिन कर्नल श्रीवास्तव आश्चर्यजनक तरीके से पुरोहित को लेकर मुंबई पहुंच गये और वहां उन्होंने पुरोहित को महाराष्ट्र एटीएस के हवाले कर दिया।
चिट्ठी में पुरोहित ने बताया कि यह घटना 29 अक्टूबर, 2008 की है। एटीएस उन्हें खंडाला लेकर गई। जहां उन्हें बंगले में ठहराया गया। वहां उन्हें 4 नवबंर, 2008 तक अवैध तरीके से हिरासत में रखा गया। 5 नवंबर, 2008 को एटीएस ने उनकी औपचारिक गिरफ्तारी की घोषणा की। इस दौरान यानी 29 अक्टूबर से 5 नवंबर, 2008 तक उनकी गिनती लापता लोगों में हो रही थी, क्योंकि तब पुरोहित के बारे में किसी के पास कोई जानकारी नहीं थी।
ले.कर्नल पुरोहित ने चिट्ठी में बताया कि इस दौरान किसी से संपर्क करना उनके लिए संभव नहीं था, क्योंकि उनका गंतव्य बदल दिया गया और इसकी सूचना दिल्ली नहीं भेजी गई। वे चिट्ठी में बताते हैं कि इसके पीछे गहरी साजिश थी। खंडवा में उन्हें खूब प्रताड़ित किया गया।
दबाव बनाया गया कि वे मालेगांव बम विस्फोट की जिम्मेदारी लें और ये भी कहा गया कि यदि वो ऐसा नहीं करेंगे तो उनकी बहन, पत्नी और मां को उनके सामने निर्वस्त्र किया जाएगा। एटीएस ने इसे अंतिम हथकंड़े के रूप में अपनाया। इसके बावजूद पुरोहित नहीं माने। वो झूठे आरोप को स्वीकारने को तैयार नहीं थे।
सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र एटीएस ने गवाह तैयार करने की साजिश रची। इसके लिए कैप्टन नितिन दात्रे जोशी और सुधाकर चतुर्वेदी को इस्तेमाल किया गया। कैप्टन से बंदूक की नोक पर बयान दिलवाया गया और सुधाकर चतुर्वेदी के घर पर भी साक्ष्य रखवाए गए। ये दोनों बातें भी अब सामने आ चुकी हैं।
एमएसएचआरसी को भेजी शिकायत में कैप्टन जोशी ने लिखा हैं, 'उन्हें कोर्ट के सामने पेश किए जाने से पहले एटीएस अधिकारी मोहन कुलकर्णी ने उन्हें धमकाया। साथ ही गोली से भरी पिस्तौल दिखाई और कहा कि यदि तुमने कोर्ट में अपना बयान बदला तो तुम्हारे सिर में एक गोली उतार दी जाएगी।'
कैप्टन जोशी के अनुसार बयान को दिलीप श्रीराव ने एटीएस के मुखिया हेमंत करकरे की सलाह पर अंतिम रूप दिया।
गौरतलब है कि आतंकवादी होने का आरोप लगा होने के बाद भी सेना पुरोहित को निर्दोष मानती है। सेना की जांच में उन्हें निर्दोष पाया गया था।
ले. कर्नल पुरोहित को सेना ने निलंबित तक नहीं किया। पिछले छह साल से सेना उन्हें वेतन दे रही है जबकि पुरोहित जेल में हैं।
सेना हमेशा यही कहती रही कि कर्नल पुरोहित उनके ही मिशन पर थे, लेकिन उन्हें सियासी साजिश के तहत फंसा दिया गया।
ये बात भी चौंकाने वाली है कि सेना से पुरोहित को वेतन मिलता रहा , सेना उन्हें निर्दोष भी मानती रही लेकिन सरकार चुप रही।
कुछ लोग पुरोहित के जेल में होने को कांग्रेस की मंशा का नतीजा मानते हैं।
पुरोहित को मोदी सरकार से न्याय की उम्मीद है इसीलिए उन्होंने पीएम मोदी को 17 पेज की चिट्ठी लिखकर इस पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया था।
गौरतलब है कि 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद ही पहली बार यह खुलासा हुआ कि लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित पर अब तक चार्जशीट नहीं हुई है।
मोदी सरकार आने के बाद तेजी से कानूनी कार्रवाई शुरू हुई 15 अप्रैल 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि कर्नल पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं, इसलिए उनकी जमानत पर विचार होना चाहिए। उन पर मकोका भी हटा दिया गया।
अब पूरे नौ साल बाद पुरोहित जमानत पर रिहा हो सके हैं।
अब सवाल ये उठता है कि चंद हरे वोटों को पाने के लिए इटालियन कांग्रेस की सर्वेसर्वा के नेतृत्व ने जिसमे शामिल उनकी चांडाल चौकड़ी जो दस जनपथ के निर्देशन में साजिशन हिंदू धर्म को बदनाम करने के लिए षड़यंत्र रचकर ना केवल पाकिस्तानी आतंकवादियो को छोड़ा गया बल्कि हमारे वीर बहादुर सैन्य अफसरों को जिस तरह से फंसाकर प्रताड़ित किया गया उसके लिए क्या इन हरामखोरो को सजा मिलनी चाहिए या नही?
Sanjeev Tripathi

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