Friday 9 February 2018

.मुहम्मद रसूल अल्लाह बन गए !!
( मुहम्मद उनका नाम था ,लोग उनको रसूल के नाम से पुकारते थे , और अल्लाह के बारे में यह लेख ध्यान से पढ़िए )
आप सभी ने गौर किया होगा कि जितने भी इस्लामी आतंकवादी संगठन और कश्मीर के अलगावववादी अपने काले झंडे लेकर घूमते हैं ,जिस पर कलमा लिखा होता है , यहाँ तक पाकिस्तान की संसद पर भी यही कलमा लिखा हुआ है , इस्लामी परिभाषा में इसे "कलमए तौहीद - " कहा जाता है जिसका अर्थ एकेश्वरवाद का मूल मन्त्र "मुस्लिम विद्वानों दावा करते हैं कि दुनियां में इस्लाम है ऐसा धर्म है जो बताता है की ईश्वर एक है , इसलिए जो भी इस कलमा को नहीं मानता वह मुशरिक और क़त्ल किये जाने के योग्य है ,
जबकि मुस्लिम विद्वानों की यह बात सरासर झूठ और भ्रामक है ,क्योंकि इस्लाम से हजारों साल पहले भी लोग एकेश्वरवाद में विश्वास रखते थे ,जैसे
1-वैदिक धर्म में एकेश्वरवाद
ब्रह्मसूत्र में बिलकुल वही बात दी गयी है जो इस्लामी कलमा में है ,सिर्फ इसमें मुहम्मद का नाम नहीं है
एकम ब्रह्म द्वितीयो नास्ति नेह्नानास्ति नास्तैयेकिंचन (ब्रह्मसूत्र-3)
इसी तरह यहूदी धर्म भी यही बात दी गयी है
2-यहूदी कलमा
.यहाँ पर मूल हिब्रू के साथ अरबी और अंगरेजी भी दिए जा रहे हैं .
Hear, O Israel, the LORD our God— the LORD is ONE -Deuteronium 6:4
"اسمع يا إسرائيل ، الرب إلهنا، رب واحد "
""शेमा इस्रायेल यहोवा इलोहेनु अदोनाय इहद "
"שְׁמַע, יִשְׂרָאֵל: יְהוָה אֱלֹהֵינוּ, יְהוָה אֶחָד "
He is the God , and there is no other god beside him.
"" हू एलोहीम व् लो इलोही लिदो "
"انه هو الله ، وليس هناك إله غيره بجانبه."
הוא האלוהים של כל בשר, ואין אלוהים לידו
3- इस्लाम का कलमा मुहम्मद ने गढ़ा था
अधिकांश मुस्लिम भी नहीं जानते होंगे कि वह जिस कलमा को रोज पढ़ते हैं और दूसरों को मुस्लिम बनाने के लिए पढ़ाते है ,वह ज्यों का त्यों कुरान में कहीं नहीं लिखा है , वास्तव में मौजूदा कलमा मुहम्मद ने कुरान की अलग अलग सूरा ( chapter ) की अलग अलग आयतों से लेकर गढ़ लिया था ,जो दो वाक्यों से मिला हुआ है,
पहला भाग
"ला इलाह इल्लल्लाह- لَا إِلَـٰهَ إِلَّا اللَّهُ
سورة الصافات, As-Saaffaat, Chapter #37, Verse #35)
दूसरा भाग
"मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह-مُّحَمَّدٌ رَّسُولُ اللَّهِ
سورة الفتح, Al-Fath, Chapter #48, Verse #29)
"अर्थात नहीं हैं कोई इलाह मगर अल्लाह ,और मुहम्मद अल्लाह का रसूल है ."
मुहम्मद ने यह कलमा लोगों यह समझाने के लिए नहीं बनाया कि ईश्वर एक ही है ,अर्थात सबका ईश्वर एक ही है , बल्कि मुहम्मद ने यह कलमा लोगों पर खुद को अल्लाह के बराबर या खुद अल्लाह साबित करके डराने धमकाने के लिए किया था , ताकि लोग मुस्लमान बन जाएँ
4-ईश्वर की एकता का पाखण्ड
इसके लिए मुहमद ने वही कपट नीति अपनायी जो आजकल मुल्ले मौलवी इस्तेमाल करते हैं , पहले तो यह लोग कहते हैं कि हम सभी धर्मों का सामान रूप से आदर करते हैं , और सभी के देवी देवताओं और आराध्यों का सम्मान करते हैं , इस्लाम के प्रारम्भ में जब अरब में मुस्लिम कम थे मुहमद ने वहां के यहूदी ,ईसाई औरमूर्ति पूजकों से कहा कि ,
"وَقُولُوا آمَنَّا بِالَّذِي أُنْزِلَ إِلَيْنَا وَأُنْزِلَ إِلَيْكُمْ وَإِلَٰهُنَا وَإِلَٰهُكُمْ وَاحِدٌ وَنَحْنُ لَهُ مُسْلِمُونَ"29:46
"कुलू आमन्ना बिल्लजी उंजिला इलैना व् उंजिला इलैकुम व् इलाहुना व् इलाहुकुम वाहिद व् नहनु लहुल मुस्लमून "29:46
अर्थ - लोगों के सामने कहो , हम उन सभी ग्रथों पर ईमान रखते हैं जो हम पर उतारी गयीं , और तुम पर उतारी गयीं , और हमारा भगवान (इलाह ) एक ही है , और हम सभी उसके लिए ही समर्पित ( मुस्लिम " हैं
सूरा -अनकबूत .29:46
And our God and your God is one; and we are Muslims [in submission] to Him
Sura Ankabut 29:46
5-उसके सिवा कोई उपास्य नहीं
और जब अरब में मुस्लमान बढ़ गए तो मुहम्मद कहने लगे कि उसके सिवा कोई उपासना के योग्य नहीं है ,यानी यह कलमा का प्रारंभिक रूप है
पूरी कुरान में 47 बार यह बात दी गयी है कि "उसके सिवा कोई इलाह नहीं है , जैसे 3:6-4:87
لا اله الّا هْو
(ला इलाह इल्ला हुव )
उसके सिवा को भगवान god नहीं है
There is no deity save He
और इलाह का अर्थ देवता या भगवान होता है ,लेकिन " वह " कौन है ? जिसके सिवा कोई उपास्य नहीं है , इसका उत्तर कुरान में इस प्रकार दिया गया है
6-मेरे सिवा कोई (उपास्य ) नहीं
चूँकि उस समय तक अल्लाह शब्द नहीं गढ़ा गया था , इसलिए कुरान में यही लिखना पड़ा कि मेरे सिवा कोई इलाह नहीं है , कुरान में यह बात 10 बार दी गयी है
لا اله الّا انا
"ला इलाह इल्ला अना "
अर्थ - मेरे सिवा कोई देवता नहीं है
there is no deity save Me-16:2,यह कलमा का दूसरा रूप है
7-मुहम्मद ने खुद को ही अल्लाह बता दिया
एक उर्दू शायर ने कहा है "शुक्र कर खुदाया मैंने तुझे बनाया , तुझे कौन जानता था मेरी बंदगी से पहले " यह बात मुहम्मद पर सटीक बैठती है क्योंकि
जब "इलाह - اِله " शब्द के आगे "अल -ال " लगा कर " अल्लाह-الله " शब्द बना लिया गया तो मुहम्मद साहब लोगों से कहने लगे की
إِنَّنِي أَنَا اللَّهُ لَا إِلَٰهَ إِلَّا أَنَا فَاعْبُدْنِي -- 20:14
"इन्ननी अना अल्लाह ,ला इलाह इल्ला अना फ़अ बुदनी " 20:14
अर्थ -निश्चय ही मैं ही अल्लाह हूँ ,और कोई और अल्लाह नहीं है , इसीलिए मेरी ही इबादत करो
"Verily, I – I alone – am God; there is no deity save Me. Hence, worship
Me20:14
इस तरह जब मुहम्मद ही अल्लाह बन गए तो लोगों से कहने लगे कि
"हे ईमान वालो अल्लाह का हुक्म मानो ,और रसूल का हुक्म मानो "
सूरा निसा 4 :59
(या अय्युहल्लजीन आमिनु अतियुल्लाह व् अतियु र्रसूल )
"يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا أَطِيعُوا اللَّهَ وَأَطِيعُوا الرَّسُولَ
O you who have believed, obey Allah and obey the Messenger -4:59
"मैं काफिरों के दिलों में भय डालता रहूँगा ,तुम उनकी गर्दनों पर वार करो ,और उनके हर जोड़ पर चोट लगाओ " सूरा -अल अनफाल "8:12
سَأُلْقِي فِي قُلُوبِ الَّذِينَ كَفَرُواْ الرَّعْبَ.
I will cast terror into the hearts of those who have disbelieved then smite the neck and smite them each finger
8:12
8-कलमा तौहीद क्यों बनाया गया
मुहम्मद साहब मानते थे कि मूर्तिपूजक और बहुदेववादी सभी मुशरिक हैं , और अल्लाह के शत्रु हैं , इसलिए एक अल्लाह को मानने वाले मुस्लिमों का कर्तव्य है कि वह ऐसे लोगों को क़त्ल कर दे ,उनकी मूर्तियों और उपासना स्थलों को नष्ट कर दे ,उनकी औरतों को दासी बना ले या बेच डाले , लेकिन कुछ ऐसे भी धर्म थे , जो एक ही ईश्वर को मानते थे और मूर्तिपूजा भी नहीं करते थे , और चूँकि मुहमद सारी दुनिया पर इस्लामी राज की स्थापना करना चाहते थे , इसलिए उन्होंने कलमा में अपना नाम भी शामिल कर दिया , इसका मतलब था कि जोभी उन्हें रसूल नहीं मानते हैं वह भी क़त्ल करने के योग्य हैं , वह भी काफिर माने जायेंगे ,तब से मुस्लमान यही काम करते आये हैं , और आगे भी करते रहेंगे , जैसा कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि इकबाल ने कहा है
"जब नबी हो खड़े , सारे बुत गिर पड़े , बोले हरगिज न भूल है मुहम्मद रसूल "
"किस के डर से यह बुत सहमे हुए रहते हैं ,
मुंह के बल गिर के हुवल्लाहु अहद कहते हैं ,
फिर तेरे नाम से तलवार उठाई किसने ,
बात जो बिगड़ी तो बनाई किसने
दिश्त तो दिश्त सहरा भी न छोड़े हमने ,
बहरे जुलमात में दौड़ा दिए घोड़े हमने "
(381)

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