Thursday 3 May 2018

जरा गहराई से विचार करें...  kahani
मशहूर उपन्यासकार इरविंग वैलेस ने 1980 में प्रकाशित अपने उपन्यास 'दी सेकंड लेडी' मे दर्शाया है कि रूस की गुप्तचर संस्था केजीबी, कैसे कैसे हथकंडे अपनाती है।
इस उपन्यास की रोमांचक कहानी यह है कि केजीबी का एक एजेंट 'व्हाइट हाउस', जो कि अमेरिका के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास और दफ्तर है, मे व्यक्तिगत स्टाफ के रूप में भी मौजूद हैं। वह राष्ट्रपति की पत्नी की हर आदत, हर विशेषता की जानकारी केजीबी को पहुचाता रहता हैं। उधर मास्को में केजीबी एक खतरनाक महिला एजेंट को एक खास काम के लिए तैयार कर रही है। यह महिला अमेरिका के राष्ट्रपति की पत्नी की हमशक्ल है।
अमेरिका के राष्ट्रपति की पत्नी मॉस्को की पूर्व नियोजित यात्रा पर जाती है। यहां केजीबी उनका अपहरण करके बड़ी सफाई से उस हमशक्ल महिला को वापिस अमेरिका भेज देता है। सारा काम इतनी सफाई से होता है कि किसी को कोई शक़ नही होता । महिला एजेंट की तैयारी इतनी सम्पूर्ण है कि वापसी पर स्वयं अमेरिकी राष्ट्रपति उसे अपनी पत्नी ही समझते है।
व्हाइट हाउस पहुंच कर, राष्ट्रपति अन्य अधिकारी और कर्मचारियों का विस्वाश जीत कर एवं वहाँ पर पहले से मौजूद अपने एजेंटों की मदद से वह महिला और केजीबी ऐसी स्थिति में है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के मार्फत अपने हित मे मनचाहे काम कर सकते हैं कोई भी सूचना उनके लिए गुप्त नही।
आगे की कहानी बेहद रोमांचक और विस्तृत है जिसे एक पोस्ट में वर्णन करना संभव नही। बेहतर होगा आप स्वयं इस उपन्यास को पढ़ें। इस बात की गारंटी है कि इसको पढ़ना शुरू करके बगैर खत्म किये छोड़ना संभव नही।
इसको पढ़ते वक्त यह भी विचार आ सकता है कि क्या सत्तर के दशक में भारत के युवराज राजीव गांधी की एक इटैलियन महिला सोनिया माइनो से इंग्लैंड के एक रेस्तरां में मुलाकात और अंततः शादी क्या मात्र एक संयोग था या किसी गहरी साजिश का नतीजा ?
जरा गहराई से विचार करें।।
भारत की सत्ता पर १० साल पूर्ण रूप से काबिज रहने और ५० साल से प्रभावशाली भूमिका निभाने वाली श्रीमती सोनिया गाँधी का व्यक्तित्व हमेशा से संदिग्ध रहा है .
कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें रूस की सीक्रेट एजेंसी के. जी. बी. के द्वारा भारत में प्लांट किया गया . १९५० से १९८० तक के. जी. बी. और सी. आई. ऐ. के द्वारा दुनिया में अपना प्रभाव ज़माने की जबरदस्त होड़ लगी थी . उस समय इन के द्वारा बड़े बड़े राजनेताओं को मरवा देना , उनके आस पास अपने एजेंट स्थापित करना सामान्य बात थी . वैसे भी रूस और इंदिरा गाँधी शाषित भारत उन दिनों एक दूसरे के बेहद निकट थे .
के. जी. बी. के द्वारा भारत की प्रधानमंत्री के खूबसूरत और महत्वकांगशी पुत्र को फंसाने के लिए एक अदद अपने विशवास की खूबसूरत कन्या की आवश्यकता थी . इसके लिए अपने करियर के लिए संघर्ष कर रही और एक छोटे से इंगलिश भाषा सिखाने वाले स्कूल में पढ़ने के साथ साथ रेस्टोरेंट में काम करने वाली एंटोनियो मनो को चुना गया . वे उन्हें पहले भारत की सबसे प्रभावशाली फेमिली में और बाद में प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित करना चाहते थे और इसके अनेक प्रमाण हैं . रूस का भारत की राजनीती में हस्तक्षेप का सबसे बड़ा उदहारण अपनी चॉइस की श्रीमती इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए लाल बहादुर शास्त्री को घर बुलाकर मारना है .
सोनिया गाँधी के राजनैतिक सफर में आने वाले सभी लोगों की संदिग्ध मृत्यु इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि कुछ ताकतवर बाहरी ताकतें उनके लिए काम कर रही हैं .
कहते हैं कि अपने राजनैतिक अनुभवों के बाद इंदिरा गाँधी के विचार रूस के प्रति बदलने लगे थे इसलिए सोनिया जी को सत्ता के शीर्ष तक पहुँचाने के लिए क्रमबद्ध तरीके से सारी बाधाओं को साफ़ किया गया फिर चाहे इंदिरा जी हों , संजय गाँधी हो , राजेश पाइलेट , माधवराव सिंधिया या खुद राजीव गाँधी हों .
एक ऐक्नीकल प्रोबलम के कारण विदेश से आई अनपढ़ , संदिग्ध , बेहद लालची और देश की सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक श्रीमती सोनिया गाँधी भारत की पी. एम्. बनते बनाते रह गई थी . बीमारी के बहाने अपने निकट से निकट व्यक्ति को बताये बिना अमेरिका की गुप्त यात्रायें करना , राहुल गाँधी के द्वारा दुनिया के विभिन्न देशों की यात्राओं में आपत्तिजनक लोगों से मिलना , चुपके से चीन के राजदूत से मुलाकात और सोनिया गाँधी का रूस जाकर पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष से मुलाकात उनके अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्रों में आज भी शामिल रहने के प्रमाण हैं .
Ravindra Kant Tyagi

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