Wednesday 2 May 2018

sanskar

सांभर साल्ट लेक
भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय नमक झील संभार साल्ट लेक, जयपुर शहर के 96 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। भारत की एकमात्र झील जिसके खारे पानी से उच्च गुणवत्ता वाली नमक बनाई जाती है।
झील की परिधि 96 किमी है, और यह चारों तरफ अरवली पहाड़ियों से घिरा है।नैचुरल खारे पानी एवं नैचुरल नमक की एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी झील है
यह प्रति वर्ष 196000 टन साफ नमक पैदा करता है, जो कि भारत के नमक उत्पादन का लगभग 9% है।लेक के बीच से, फुलेरा जोधपूर रेल्वे लाईन गई है।
सांभर को रामसर स्थल के रूप में नामित किया गया है क्योंकि गीले भूमि हजारों गुलाबी फ्लेमिंगो और अन्य पक्षियों के लिए एक प्रमुख शीतकालीन क्षेत्र है, जो उत्तरी एशिया और साइबेरिया से पलायन करते हैं।
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रेगिस्तान का जहाज ...हमारा ऊंट...
भारत के 80% ऊँट राजस्थान में है। राजस्थान ने ऊंट लाने का श्रेय पाबूजी को जाता है ...
उन्हे ऊंटो का देवता भी कहा जाता है .. 
पश्चिमी राजस्थान में परिवहन का साधन 
है ..पूरी दुनिया में सिर्फ भारत की आर्मी है जो सेना के लिए ऊंटों का प्रयोग करती है
ऊंट शाकाहारी हैं वे घास, अनाज, गेहूं, जई, सूखे पत्ते और बीज पर भोजन करते हैं। अहमदाबाद में ऊँट को बहुत बार नीम के पेड़ से पत्तियां खाते देखा है उंट ही एक मात्र प्राणी है जो लगातार कुल सात दिन  तक बिना पानी पीये जिवित रहता है। यह बबूल के कांटेदार पत्ते को बड़े चाव से खाता है। चूंकि उनके कुबड़े में वसा होता है, वे 3-4 दिनों के लिए भोजन के बिना जा सकते हैं।
 इसके बच्चे को  टोडिया कहते हैं । जन्म के दो घंटे के भीतर चलना शुरू कर देते हैं। ऊंटनी का दूध ऊँटनी का दूध मिठा बहुत होता है और बहुत जल्दी खराब हो जाता है लेकिन बहुत पोष्टिक होता है।ऊटनी का दूध निकालने के तुरंत बाद पीना पङता है।
आप इसे गर्म नही कर सकते। ऊंटनी का दुध 100/₹बिकता है
डेयरी बीकानेर मे है जिससे विदशो मे दूध स्पलाई होता है उसके दूध से मिल्क पाउडर बनता है जो बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है ऊटनी के दुध का दही नही बनता
ऊंट की औसत आयु  2o से 25   साल  होती  है। ऊंटनीं के प्रसव (बच्चा)होने पर राजस्थान सरकार ₹12000/- देती है लेकिन पहले रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है ! क्योंकि ऊंटों की संख्या लगातार घट रही है ! इस निरिह पशु की भी अगणित हत्याएं निरंतर हो रही हैं सरकार को इनकी हत्या पर अविलंब रोक लगानी चाहिए अन्यथा हम इस पशु को केवल किताबों में ही देख पाएंगे 
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हिमालय कस्तूरी हिरण
यह एक कस्तूरी हिरण है जो नेपाल, भूटान, भारत, पाकिस्तान और चीन के हिमालय में पाया जाता है। उत्तराखंड के चौकोड़ी के पास कस्तूरी मृग का अ‌भ्यारण है। हिमालय कस्तूरी हिरण के नाभि में कस्तूरी पायी जाती है। यह जीव भारत की अनमोल धरोहर है।
श्वेतभुजित कस्तूरी हिरण में एक मोमी पदार्थ होता है जिसे कस्तूरी कहा जाता है। हिरण प्रदेशों को चिन्हित करने और सुगन्ध के लिए इसका उपयोग करते हैं | कस्तूरी का उपयोग इत्र और दवाओं के निर्माण में भी किया जाता है।
ये प्राथमिक रूप से उच्च प्रोटीन और कम फाइबर सामग्री वाले पेड़ों और झाड़ियों की पत्तियों को खाते हैं।

हिमालय कस्तूरी हिरण 10 से 14 साल तक रह सकता है

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