Sunday 8 March 2015

"अर्जुन सिंड्रोम"

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कुछ बड़ी शक्तिया हैं, जो की भारत को तोड़ने का काम कर रहीं हैं ! और हमें इसेके लिए एक साथ मिलने की और एक साथ अपनी कमर कसने की जरूरत है! भारत को वैचारिक तौर पर तोड़ने के लिए देसी और विदेशी ताकते काम कर रहीं है (आप राजीव मल्होत्रा जी की पुस्तक "ब्रेकिंग इंडिया" पढ़ें) !
ऐसा नहीं है की अतीत में बड़े देश टूटे नहीं है, रूस, एक बड़ी ताकत था, बड़ा देश था, लेकिन वोह १६ देशो में टूट गया ! यूगोस्लाविया एक बड़ा मुल्क था, विश्व की ६ सबसे बड़ी सैन्य शक्ति था, लेकिन वोह भी ५ देशो में टूट गया !
सबसे बड़ा उधाहरण तोह, हमारा अखंड भारत ही है, जिसके बहोत सारे टुकड़े हो चुके हैं ! बर्मा, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्थान, बांग्लादेश, तिब्बत, इंडोनेशिया यह सब अखंड भारत के ही हिस्सा हुआ करते थे, लेकिन धीरे धीरे हमसे अलग कर दिए गए!
रूस और यूगोस्लाविया , दोनो देश ही कोमुनिस्ट (वामपंथी) और सोशलिस्ट (समाजवादी) देश हुआ करते थे ! इन देशों में ये वामपंथी विचारधाराएं ,"एक राष्ट्र(One Nation)" की अवधारणा को नष्ट "deconstruct" के लिए काम करती थीं! वे social fault-lines को बनाना और निर्मित करना, और उसे पोषित करते रहने का काम , सांस्कृतिक सामंजस्य और इतिहास विकृत (History distortion) का काम करती रहती थीं ! मार्क्सवादियों के इन सामाजिक इंजीनियरिंग (Social Engineering) के तरीकों से समुदायों के बीच नफरत फैलाने में करने की दिशा में काम किया! जो इन साम्यवादी देशों में अंतता फाइनल ब्रेकअप (Final Break-up) के रूप में उभर कर आया !
हिंदुओं को एक सामूहिक भारतीय राष्ट्रीय पहचान बनाने की आवश्यकता है जो हरेक भारतीय को उसके अपने सभ्यता, सनातन मानसिकता एवं सच्चे इतिहास से जोड़ता है | जो भी भारत विरोधी बल आपसी सहयोग में काम कर रहे हैं उनके हर षड़यंत्र , हर पहलू को सार्वजनिक क्षेत्र में निर्भय चर्चा और बहस करने की जरूरत है!
हमें चर्चा वामपंथी-पश्चिमी-अब्रहमी लेंस (नजरिये) की तुलना में नहीं , बल्कि भारत के और अपने प्राचीन इतिहास और सभ्यता के नजरिये और माध्यम से करनी पड़ेगी! यह नजरिये को हमें बदलने की अत्यंत जरूरत है !
महाभारत युद्ध के पहले का भ्रम और दुर्बलता(मानसिक) के इस "अर्जुन सिंड्रोम" को दूर और स्पष्ट करने हेतु, अब एक विराट भारत राष्ट्र निर्माण किया जाना चाहिए !
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मुंबई के एक कैथोलिक प्रीस्ट फादर नेविल फर्नांडीज़ का कहना है कि लड़के, लड़कियों की तुलना में अधिक बुद्धिमान होते है, लड़कियां मेहनत ज्यादा करती हैं, इसलिए सफल होती हैं। जरा सोचो अगर यही किसी चाक्षी महाराज ने कह दिया होता, तो भांड मीडिया अब तक सारे साधुओं के कपडे फाड़ चूका होता ?

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