Wednesday 2 March 2016


श्मशान में बने इस मंदिर में तांत्रिक करते थे पूजा, नहीं जा सकती थीं लेडीज

आमेर की तलहटी में बने इस 900 साल पुराने मंदिर के पास पहले शमशान हुआ करता था। जहां तांत्रिक साधना किया करते थे। तब इस मंदिर में महिलाओं को जाने की मनाही थी। मंदिर के गर्भ गृह के ऊपर ऐसे झरोखे बनाए गए हैं जहां से महिलाएं शिवजी के दर्शन करती थीं।
- जयपुर के इतिहासकार आनंद शर्मा ने अंबिकेश्वर महादेव मंदिर के इतिहास और इसी संरचना पर शोध किया है। उनके मुताबिक मंदिर से सटा लाडो सती का स्थान है। यहां कभी नाथ संप्रदाय के साधु रहते थे। ऐसा माना जाता है कि यहां मंदिर बनने से पहले यह पूरा इलाका श्मशान हुआ करता था। यहा तांत्रिक सिद्धी पाने के लिए अनुष्ठान करते थे। समय के साथ बदलाव हुआ और अब इस मंदिर में महिलाएं दर्शन के साथ पूजा भी करती हैं।
मंदिर के नीचे है एक गुप्त कक्ष

मंदिर के दाईं ओर एक छोटे-से कमरे से नीचे की ओर सीढ़ियां जाती है। ये सीढ़ियां गुप्त कक्ष की ओर ले जाती हैं। जहां साधक साधना किया करते थे, लेकिन अब यहां कई सालों से कोई नहीं गया। दरअसल अब यहां कोई जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। यहां महाराजा अम्बरीश की हवेली है। कभी यह हवेली बहुत बड़ी हुआ करती थी। अब इसका एक चौथाई हिस्सा बचा है।

इतिहासकार आनंद शर्मा ने एक बार हिम्मत जुटाई भी तो वे कुछ दूर आगे जाकर वापस आ गए। वो सुरंग कहां जाती है इसका रहस्य आज भी बना हुआ है। फिलहाल इस सुरंग में सांप और बिच्छुओं की भरमार है।
सावन में भगवान शंकर को जल और दूध का अभिषेक किया जाता है, पर यह कहें कि भगवान शंकर का अभिषेक सावन और भादो में खुद प्रकृति करती है, तो यह आश्चर्य की बात लगती है, लेकिन यह सच है। इस मंदिर में सालों से एेसा हो रहा है, इसमें अभिषेक के लिए पानी कहां से आता है, यह भी आज तक रहस्य बना हुआ है। असल में इस मंदिर का शिवलिंग सावन और भादो माह में पानी में डूब जाता है।
मंदिर बनने से पहले यह पूरा इलाका श्मशान हुआ करता था।लाल घेरे में यही वें झरोखें है जहां से पहल के समय में महिलाएं शिव जी के दर्शन किया करती थी।
बृजेश उपाध्याय Mar 02, 2016
dainikbhaskar.com के अनुसार<< सूर्य की किरण >>


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