Sunday 15 May 2016

बुंदेलखंड के 'मांझी' बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर लगाए 30,000 पौधे...


झांसी : बुंदेलखंड क्षेत्र के चित्रकूट में एक व्यक्ति ने 'माउंटेन मैन' दशरथ मांझी की तरह कारनामा कर
 दिखाया है. हालांकि, उन्होंने मांझी की तरह पत्नी को श्रद्धांजलि देने के लिए पहाड़ तो नहीं काटा, लेकिन
 अपनी मेहनत से कोई30,000 पौधे लगा दिए, जो पेड़ बन चुके हैं और अब वो इन पेड़ों की सेवा में लगे रहते हैं.

पर्यावरण के लिए काम करने वाले भैयालाल ने अपनी पत्नी को खोने के बाद बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने 
का संकल्प लिया और जुट गए पौधे रोपने में. दरअसल, 48 वर्षीय भैयालाल की पत्नी की 2001 में मजदूरी 
करते समय मौत हो गई थी. पत्नी की मौत के बाद वह अकेले पड़ गए. तभी 2008 में उन्होंने एक हादसे में 
अपने 7 वर्षीय इकलौते बेटे को भी खो दिया. बेटे की मौत के बाद उनका जिंदगी से मोह भंग हो गया और 
उन्हें समाजसेवा करने का विचार आया तभी उन्होंने बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने का फैसला कर लिया.


इसके बाद वह पौधारोपण के काम में लग गए. चित्रकूट के भरतपुर गांव के रहने वाले भैयालाल ने इसके
 बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह वन विभाग के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर काम करते हैं. 2008 में बुंदेलखंड
 में शुरू किए गए व्यापक वृक्षारोपण अभियान में उन्होंने भाग लिया और उन्होंने उन जगहों को चुना जो वन
 विभाग के अंतर्गत आती थीं और बंजर थीं.

इन जगहों पर उन्होंने तकरीबन 30,000 पेड़ लगाए और उन्हें पोषित किया. भैयालाल ने बताया, 'मेरा मानना
 है कि जंगल को जंगल जैसा दिखना चाहिए और इसीलिए मैं पौधारोपण करता रहता हूं.' इतना ही नहीं इन 
30,000 पौधों की देखभाल अकेले भैयालाल करते हैं. उन्हें प्रकृति के प्रकोप और जानवरों से बचाते हैं, जब तक 
कि बढ़े न हो जाएं.

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया-2015 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 में पौधारोपण अभियान की शुरुआत के बाद से 
इलाके के हरित क्षेत्र में 11 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोत्तरी हुई है. पेड़-पौधों के प्यार में भैयालाल ने अपना गांव 
छोड़ दिया और जंगल में जाकर रहने लगे. भैयालाल ने कहा, 'अपना परिवार खोने के बाद इन पेड़-पौधों ने ही 
मुझे जीने की प्रेरणा दी इसलिए मैं इन्हें महसूस करना चाहता था.' आज लगभग एक दशक के बाद भी 
भैयालाल अपने पेड़-पौधों के साथ रह रहे हैं.

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