दोस्त इतिहास को खंगालें......
फ्रेंडशिप डे की अनुगूंज कुछ अरसे पहले से ही भारत में सुनाई दे रही है।
हमारे छत्तीसगढ़ में तो दोस्ती का रिश्ता आदिकाल से चला आ रहा है। यहां इस रिश्ते को संगवारी, मितान, महाप्रसाद, जवॉरा, भोजली, गजामूंग, दौना, तुलसीदल, गंगाजल सहित अनेको नाम से संबोधित किया जाता है। उपरोक्त रिश्तो का संकल्प लेने के लिए गांव में बकायदा समाज और परिवार के लोग एक जगह एकत्रित होते हैं। दो पाटे या पीढ़ा में आमने सामने बैठकर अपने हाथ में नारियल रखते हैं । एक दूसरे को प्रतिकात्मक नारियल और अन्य चीज़ प्रदान करते हैं जो बाद में मित्रता के इस रिश्ते का नाम हो जाता है। जैसे हाथ में जवॉरा लेकर उसे अदान-प्रदान किये तो उस दिन से वे एक दूसरे को जवॉरा बोलकर सम्बोधित करते हैं। इस तरह के रिश्ते का नाम संगवारी, मितान, महाप्रसाद, जवॉरा, भोजली, गजामूंग, दौना, तुलसीदल, गंगाजल पड़ जाता है। यहां यह रिश्ता इतना प्रगाढ़ होता है कि अलग-अलग जाति धर्म के होकर भी एक परिवार की तरह एक दूसरे का साथ ताजिंदगी देते हैं। मितान की पत्नी मितानिन कहलाती है। मितानिन एक दूसरे के पति को पर्दा करके या दूरियां बना कर सम्मान करती हैं। मितान की मां फूलदाई और पिता फूलददा कहलाते हैं। अन्य रिश्ते वही होते हैं जो मितान के हैं। नई पीढ़ी गर अपना इतिहास खंगाले तो उस पर गर्व होगा छाती चौड़ी होगी और कथित फ्रेंडशिप डे पर खुद के ऊपर हंसी भी आएगी
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