सोचिये वामपंथियों ने इतिहास को हमे कितना विकृत करके पढ़ाया है
बचपनसे हमे कहा जाता हैं कि राणी कमाँवती ने हुमायूं को राखी भेजी औऱ हुमायूं ने राणी कमाँवती की रक्षा की थी
सच्चाई कुछ ओर है
सन 1535 में गुजरात के अहमदाबाद के बादशाह बहादुर शाह ओर दिल्ली के बादशाह हुमायूं के बीच युद्ध हुआ था
युद्ध की दृष्टि से महत्वपूर्ण चित्तौड़गढ़ किले को जितने के लिए बाहादुर शाह ने चितोडगढ़ पर आक्रमण किया तब चितोडगठ के महाराजा इनंदरसिह छोटे थे
अपनी रक्षा के लिए राणी कमाँवती ने हुमायूं को राखी भेजी हुमायूं रक्षा के लिए आगे बढे
युद्ध की दृष्टि से महत्वपूर्ण चित्तौड़गढ़ किले को जितने के लिए बाहादुर शाह ने चितोडगढ़ पर आक्रमण किया तब चितोडगठ के महाराजा इनंदरसिह छोटे थे
अपनी रक्षा के लिए राणी कमाँवती ने हुमायूं को राखी भेजी हुमायूं रक्षा के लिए आगे बढे
तब बाहादुर शाहने हुमायूं को एक पत्र लिखा
की जब एक मुस्लिम काफिरो के साथ जेहाद जगाता है
तब दुसरे मुस्लिम को बीच मे नहीं आना चाहिए
की जब एक मुस्लिम काफिरो के साथ जेहाद जगाता है
तब दुसरे मुस्लिम को बीच मे नहीं आना चाहिए
यह पत्र पढ़कर हुमायूं ग्वालियर में रुक गया
कुछ दिनों बाद हुमायूं ओर बाहादुर शाह के बिच
1535 में मंदोसर का युध्द हुआ
कुछ दिनों बाद हुमायूं ओर बाहादुर शाह के बिच
1535 में मंदोसर का युध्द हुआ
उनमें बाहादुर शाह की हार हुए
यह मोका देखकर राणी कमाँवती ने वापस
चितोडगठ जित लिया
चितोडगठ जित लिया
सच्चाई यह है
कोई हुमायूं के हिन्दू बहन की रक्षा नहीं की,,,
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