Thursday 14 September 2017


रेलवे से भी अधिक भूमि है चर्च के पास !!
भारत सरकार के बाद इस देश में भूमि का सबसे बड़ा
अकेला मालिक है “चर्च” !!
जी न्यूज़ पर चर्च के बारे दो वर्ष पूर्व में एक सर्वेक्षण हुआ है,
जिसमें बताया गया है कि भारत सरकार के बाद इस देश में
भूमि का सबसे बड़ा अकेला मालिक है “चर्च,जी हाँ।
“चर्च” के पास इस समय समूचे भारत में 52 लाख करोड़ की
(दो वर्ष पूर्व का आकलन)भू-सम्पत्ति है।
इसमें से लगभग 50 प्रतिशत ज़मीन उसके पास अंग्रेजों के समय
से है,लेकिन बाकी की ज़मीन तमाम केन्द्र और राज्य सरकारों ने
उसे धर्मस्व कार्य हेतु “दान” में दी है।
यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि धर्म के नाम पर सबसे अधिक
रक्तपात इस्लाम और ईसाई धर्मावलम्बियों द्वारा किया गया है।
ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार करना,सेवा करने के लिये स्कूल और
अस्पताल खोलना आदि चर्च के मुख्य काम हैं,लेकिन असल में
इसका मकसद ईसाईयों की संख्या में वृद्धि करना होता है।
गरीब,ज़रूरतमंद,अशिक्षित लोग इनके फ़ेंके हुए झाँसे में
आ जाते हैं,
रही-सही कसर भारी-भरकम पैसे और नौकरी का लालच
पूरी कर देता है।
“चर्च” की सत्ता और धन-सम्पत्ति के अकूत भण्डार के बारे
में जब-तब कई पुस्तकों और जर्नलों में प्रकाशित होता रहता है।
भारत में चर्च फ़िलहाल “गलत” कारणों से चर्चा में है,ज़ाहिर है कि
“धर्मान्तरण” के मामले को लेकर।
इन घटनाओं पर “पोप” भी बहुत दुखी हैं और उन्होंने भारत में
अपने प्रतिनिधियों और भारत सरकार (इसे सोनिया गाँधी पढ़े)
के समक्ष चिन्ता जताई है।
पोप का दुखी होना स्वाभाविक भी है,जिस “एकमात्र सच्चे धर्म”
का जन्म 2016 वर्ष पहले समूची धरती से “विभिन्न गलत
अवधारणाओं को मिटाने के लिये” हुआ था,उसकी सर्वत्र थू थू
हो रही है।
चर्च और पोप की सत्ता जिस “प्रोफ़ेशनल” तरीके से काम करती है,
उसे देखकर बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनियाँ भी शर्मा जायें।
जिस तरह विशाल कम्पनियों में “बिजनेस प्लान” बनाया जाता है,
ठीक उसी तरह रोम में ईसाई धर्म के प्रचार के लिये “वार-प्लान”
बनाया जाता है।
यह “योजनायें” विभिन्न देशों,विभिन्न क्षेत्रों,विभिन्न धर्मों के लिये
अलग-अलग होती हैं।
इन सभी योजनाओं को “गहन मार्केटिंग रिसर्च” और विश्लेषण के
बाद तैयार किया जाता है।
जिस प्रकार एक कम्पनी अपने अगले आने वाले 25 वर्षों का एक
“प्रोजेक्शन” तैयार करती है, उसी प्रकार इसे भी तैयार किया जाता है।
ऐसा बताया जाता है कि वर्तमान में ऐसी 1590 योजनायें चल रही हैं
जो कि सन् 2025 तक बढ़कर 3000 हो जायेंगी।
सन् 2025 के “प्रोजेक्शन” के अनुसार बढ़ोतरी इस प्रकार की जाना है
(यानी कि टारगेट यह दिया गया है) वर्तमान 35500 ईसाई संस्थायें
बढ़कर 63000,धर्म परिवर्तन के मामले 35 लाख से बढ़कर 53 लाख,
4100 विभिन्न मिशनरी संस्थायें बढ़कर 6000,,,,
56 लाख धर्म सेवकों की संख्या बढ़ाकर 65 लाख (पूरे यूरोप की समूची
सेना से भी ज्यादा संख्या) किया जाना है।
वर्तमान में चर्च की कुल सम्पत्ति (भारत में) 13,71,000 करोड़ है
(जिसमें खाली पड़ी ज़मीन शामिल नहीं है)।
यह दो वर्ष पूर्व का आकलन है।
यह राशि भारत के GDP का 60% से भी ज्यादा है,इसे भी बढ़ाकर
2025 तक 40,00,000 करोड़ किया जाना है।
समस्त भारतवासी इस छल रुपी युद्ध को समझें,
भारत में यह युद्ध सनातनियों के विरुद्ध ही है।

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