Wednesday 13 September 2017

किसी ने भी म्यानमार के हिन्दूआें की रक्षा हेतु कोर्इ भी मांग या कृती नहीं की...

नारीनजारा डॉट कॉम संकेतस्थल में प्रकाशित किए गए एक रिपोर्टके अनुसार जिहादी रोहिंग्या आतंकवादियों ने म्यानमार में १०० से अधिक हिन्दूआें की हत्याकी है । इस कारणवश सहस्रावधी हिन्दूआें ने म्यानमार से पलायनकर बांग्लादेश में शरण ली है । कुछ हिन्दू महिलाआें का भी जिहादी आतंकवादियों ने अपहरण करउनका जबरन इस्लाम में धर्मांतरणकरवाया है 
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 ये वही रोहिंग्या है जिन्हे भारत में बसाने के लिए जबरदस्त राजनीति चलाई जा रही है और कहीं कहीं तो इन्हे अवैध रूप से छिपाया भी जाने लगा है . धर्मनिरपेक्षता आखिर क्यों भारत के ही दरवाजे पर आ कर फैलने फूलने लगती है और जब बात इस्लामिक चरमपंथ की हो तो सब कुछ पीड़ित के हाल पर छोड़ दिया जाता है .
पुष्टी बथहदाँग में स्थित सरकारी स्कूल के हिन्दू अध्यापकश्री. यू मोंग मोंग ने इस विषय में कहा, ''खा मोंग सीत गांव के हिन्दूआें ने म्यानमार पुलीस को जानकारी दी है एैसा मानकर जिहादी आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी ।'' उन्होंने इस बात की पुष्टी की है की इस गांव में ९८ हिन्दूआें की हत्या हुर्इ है।
 पिछले कुछ दिनों में भारत में उत्तराखंड से लेकर केरल तक तथा मुंबर्इ से लेकर बंगाल तक भारतीय मुसलमान संगठन तथा तथाकथित सेक्युलर कार्यकर्ताआें ने रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में रैलियां निकाली थी । क्या यह सभी संगठन तथा कार्यकर्ता रोहिंग्या आतंकवादियों का भी समर्थन करते है ?
 आए दिन पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में जिहादीयों द्वारा हिन्दूआें की हत्याए की जा रही है, मंदिरो पर आक्रपण हो रहे है, उस विषय में यह सभी संगठन आज तक चुप क्यों है?पहले से ही भारत में अवैध तौरपर निवास करनेवाले करोडो बांग्लादेशी भारत की सुरक्षा केलिए एक बडी समस्या बन चुके है । उसी के साथ यदि जिहादी मानसिकता वाले रोहिंग्या भी भारत में रहने लगे तो क्या दु:स्थिती हो सकती है इसकी आप कल्पना कर सकते है ।
 दूसरी आेर भारत में कर्इ हिन्दू संगठन कार्यरत है, लेकिन उनमें से किसी ने भी म्यानमार के हिन्दूआें की रक्षा हेतु कोर्इ भी मांग या कृती नहीं की ।क्या म्यानमार में रहनेवाले हिन्दूआें के लिए हमारे मन में थाेडी सी जगह भी नहीं है ? आज समय की आवश्यकता है की सभी हिन्दू संगठनों ने संगठित होकर म्यानमार के हिन्दूआें की सुरक्षा के लिए प्रयास करने चाहिए ।
कुमार अवधेश सिंह
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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख--जेड बिन राद अल हुसैन.....
उसको रोहिंग्या के लिए सबसे बेहतर भारत ही दिख रहा है . 
उसकी इच्छा है की भारत सरकार उसके हिसाब से चले ,

वो किसी और देश पर ये दबाव नहीं बना रहा है . उसको केवल अत्याचारी भारत दिख रहा है . उसको दिक्कत है भारत की आंतरिक सुरक्षा चिंताओं पर लिये गए कदम से . 
 उसको कभी भी श्रीलंका में तमिलों की दिखात नहीं दिखी , उसने कभी भी कश्मीर के हिन्दुओंकी आवाज में हामी नहीं भरी , उस को कभी इराक में यज़ीदियो की चीखे नहीं सुनाई दी है . पर देखिये तो , वो बौद्धों के बाद अब जुट गया है हिन्दुओं के ऊपर....संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख के पद पर बैठ कर केवल हिन्दू और बौद्ध के खिलाफ जहर उगलने वाले उस तथाकथित और एकपक्षीय बात करने वाले व्यक्तिका नाम है जेड बिन राद अल हुसैन जो भारत की इस बात पर आलोचना कर रहा है की भारत उन सभी लाखों रोहिंग्या दंगाइयों को अपने देशमें रख कर उन्हें शरण और अन्य सुविधाएँ क्यों नहीं दे रहा है..
उसे इस बात से बेहद दिक्कत है की भारत सरकार रोहिंग्या मुसलमान को जल्द से जल्द अपना नागरिक क्यों नहीं बना लेती है ? वो चाहता है की भारत सकरार रोहिंग्या दंगाइयों को वापस भेजने का फैसला तत्काल वापस ले.. उसने एक बार भी किसी मुस्लिम देश को दबाव में नहीं लिया अपने देश में उन्हें शरण देने का , हां उसको केवल भारत में ही कमी दिख रही क्योंकि यहाँ का शासन और प्रशासन अब तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति से ऊपर उठ कर केवल और केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर ध्यान दे रहा है .
 यदि ऐसे किइस अल हुसैन की बात पर ध्यान न दिया जाय तो भारत की तमाम जनता ये चाहती है की बिना विलम्ब के अब इन सभी अवैध घुसपैठियों को बाहर निकाला जाय जिन्होंने दुनिया के सबसे शांत बौद्धों का भी जीना हराम कर दिया और उनके देश को आग लगा कर उस स्थान पर आ गया जो दुनिया के आतंक प्रभावित देश की लिस्ट में बहुत ऊपर है .

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