Thursday 12 April 2018

नमस्ते करने में भी हिचकते हैं क्या यही आधुनिकता है ...?
ज्यादातर मम्मियां अपने बच्चों को स्कूल भेजते हुये उसे बाय-बाय करती है ...और फ्लाइंग किस उछालना सिखाती है ...बच्चे मौसियों, चाचियो और नानियों के आने पर खुशी से हेल्लो-हेल्लो करतें हैं....आउटडोर खेल से ज्यादा इंटरनेट सर्फिंग करते हुये अपने छोटे-छोटे बच्चों को देखकर आधुनिक मम्मियों का स्टेटस बढ़ जाता है...विकास करते-करते बच्चे शिशु से सीधे किशोर हो जाते हैं ...इस बीच लड़कपन का समय तो विलुप्ति की कगार पर है ....! !
एक हम लोग थे चौदह-पंद्रह बरस तक तो आइस-पाइस और मिल्ली-कट्टी से आगे सोच भी नही पाते थे ...किसी रिश्तेदार के आने पर दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते की मुद्रा न होने पर मम्मी की मोटी-मोटी खतरनाक आंखों का मुकाबला करना पड़ता था ...स्कूल जाते समय जय-नारायण बोलने का पक्का नियम था जिसे मैं आज भी अपने बच्चों में जीवित रखने को बड़ी कामयाबी मानती हूँ l
अक्सर अपने आस-पास देखतीं हूँ की बच्चे किसी रिश्तेदार के आने पर अगर पैर छूना जरूरी होता है तो घुटने को दो उंगलियों से छूकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं ..नमस्ते करने में भी हिचकते हैं क्या यही आधुनिकता है ...? ? कत्तई नही ये विकास नही ...ये आधुनिकता नही ...ये तो पतन है संस्कृति का ..हमारी परम्पराओं का ...हमारे संस्कारों का तो क्यों न आज से ही हम एक नयी शुरुवात करें छोटे-छोटे नियमों और संस्कारों को उनमें डाल कर 👇👇
* अपने नन्हे-नन्हे बच्चों को सुबह सबसे पहले माता पिता को प्रणाम करना सिखाये l
* स्कूल जाते समय बच्चों को बाय करने की जगह अपने इष्ट का नाम लेने की शिक्षा दें l
* किसी रिश्तेदार के आने पर दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते या दोनों हाथों से पैर छूकर अभिवादन करने की शिक्षा दें l
* रात में सोने से पहले गायत्री मंत्र बोलने के लिये कहें l
*सुबह सम्भव न हो तो शाम की आरती में बच्चों को अवश्य साथ रखें l
*सोते समय कोई न कोई नैतिक कहानी अवश्य सुनायें l
*यदि स्कूल ज्यादा दूर न हो तो स्कूल पैदल ही भेजें l
*बच्चों को शारीरिक श्रम और परेशानियों से संघर्ष करने की ट्रेनिंग दें l
* पढ़ाई के साथ घर के छोटे-छोटे काम अवश्य करवाये l
* घर में काम करने वाले नौकरों को भी उनका नाम लेने की जगह सम्मानजनक रिश्तों का नाम दें जैसे दीदी , चाची , मौसी , अम्मा आदि l
जो लोग पहले से ही बच्चों का पालन इस तरह करते हैं वो बधाई के पात्र हैं पर अगर आप अभी तक बच्चों को फूलकुमार या फूलकुमारी बनाकर पाल रहें हैं तो सावधान हो जायें ! ! !
Meenakshi Srivastava.

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