अमरीका की जाल साजी......
अनुच्छेद 3 में ये साफ़ है की किस तरह से भारतीय किसानो को खत्म करना है.
क्या आप जानते हैं अमेरिका भारत से किसानो को खतम करना चाहता है? 15 दिसम्बर 1994 भारत सरकार ने विश्व व्यापर संगठन पर ह्ताक्षर किये थे जिसका उदेश्य अमेरिका और यूरोपीय देशों को अमीर बनाना और एशियाई देशो को कंगाल करना है.,जो अमेरिका दवारा एक तरहं का समझोता है, जो उन्होंने 126 देशों से किया है जिसके अनुच्छेद 3 में ये साफ़ है की किस तरह से भारतीय किसानो को खत्म करना है.
अनुच्छेद 3 के अनुसार किसानो को लगातार जी जा रही सरकारी सहायता मतलब सब्सिडी को कम करना होगा.1 जनवरी 2005 तक किसानो को दी जाने वाली सब्सिडी 24% कम कर दी गई है. और अंत में ये मात्र 5 % रह जायेगी. जिसके चलते किसानो को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं प्राप्त हो सकेगा और वह कृषि उत्पादों की खेती कम करते जायेंगे और फिर एक समय में भारत में कृषि वस्तुं में कमी आ जायेगी और देश की खाद् सुरक्षा खतरे में पड़ जायेगी और भारत जैसे कृषि प्रधान देश को दूसरे देशों से खद्ध्य वस्तुएँ लेनी पड़ेंगी जिससे भारत के आयत और निर्यात पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.और भारत पर दूसरे देशों के कर्ज की मात्रा बढ़ेगी जिसके चलते भारत को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा I
अमेरिका की मोनसेंटो नामक कंपनी जो पेस्टीसाइड्स तैयार करती है ने ऐसे जेनेटिक बीजो का निर्माण किया है जो केवल एक बार फसल देंगे मतलब की उन बीजो से जो फसल पैदा होगी वो अगली बार बीज तैयार नहीं कर सकेगी और बार बार किसानो को नए बीज अमेरिकी कम्पनीयों से खरीदने पड़ेंगे , इस तरह हमारी सरकार और अमरीका वाले हमारे भारत कृषि प्रधान देश को लूटने में और बर्बाद करने में लगे हैं. ,
इसी तरह अब अमेरिका वाले हमारी आपनी सरकार से मिल कर दुकानदारों पर हमला बोल रही है , वाल्लमार्ट अगर भारत में खुलते हैं तो दुकानदारों की हालत भूखे मरने की हो जायेगी क्यूंकि पहले तो विदेशी कंपनियां सिर्फ आपना सामन भारत के बाजारों में बेचती थी जिससे दुकानदार को कुछ लाभ मिल जाता था , लेकिन अब तो सामान भी उनका होगा और बेचने वाले भी वही होंगे I
अनुच्छेद 3 में ये साफ़ है की किस तरह से भारतीय किसानो को खत्म करना है.
क्या आप जानते हैं अमेरिका भारत से किसानो को खतम करना चाहता है? 15 दिसम्बर 1994 भारत सरकार ने विश्व व्यापर संगठन पर ह्ताक्षर किये थे जिसका उदेश्य अमेरिका और यूरोपीय देशों को अमीर बनाना और एशियाई देशो को कंगाल करना है.,जो अमेरिका दवारा एक तरहं का समझोता है, जो उन्होंने 126 देशों से किया है जिसके अनुच्छेद 3 में ये साफ़ है की किस तरह से भारतीय किसानो को खत्म करना है.
अनुच्छेद 3 के अनुसार किसानो को लगातार जी जा रही सरकारी सहायता मतलब सब्सिडी को कम करना होगा.1 जनवरी 2005 तक किसानो को दी जाने वाली सब्सिडी 24% कम कर दी गई है. और अंत में ये मात्र 5 % रह जायेगी. जिसके चलते किसानो को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं प्राप्त हो सकेगा और वह कृषि उत्पादों की खेती कम करते जायेंगे और फिर एक समय में भारत में कृषि वस्तुं में कमी आ जायेगी और देश की खाद् सुरक्षा खतरे में पड़ जायेगी और भारत जैसे कृषि प्रधान देश को दूसरे देशों से खद्ध्य वस्तुएँ लेनी पड़ेंगी जिससे भारत के आयत और निर्यात पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.और भारत पर दूसरे देशों के कर्ज की मात्रा बढ़ेगी जिसके चलते भारत को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा I
अमेरिका की मोनसेंटो नामक कंपनी जो पेस्टीसाइड्स तैयार करती है ने ऐसे जेनेटिक बीजो का निर्माण किया है जो केवल एक बार फसल देंगे मतलब की उन बीजो से जो फसल पैदा होगी वो अगली बार बीज तैयार नहीं कर सकेगी और बार बार किसानो को नए बीज अमेरिकी कम्पनीयों से खरीदने पड़ेंगे , इस तरह हमारी सरकार और अमरीका वाले हमारे भारत कृषि प्रधान देश को लूटने में और बर्बाद करने में लगे हैं. ,
इसी तरह अब अमेरिका वाले हमारी आपनी सरकार से मिल कर दुकानदारों पर हमला बोल रही है , वाल्लमार्ट अगर भारत में खुलते हैं तो दुकानदारों की हालत भूखे मरने की हो जायेगी क्यूंकि पहले तो विदेशी कंपनियां सिर्फ आपना सामन भारत के बाजारों में बेचती थी जिससे दुकानदार को कुछ लाभ मिल जाता था , लेकिन अब तो सामान भी उनका होगा और बेचने वाले भी वही होंगे I
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