ताजमहल वास्तव में शिव मंदिर है l
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भाग :2
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श्री पी.एन. ओक का दावा है कि ताजमहल शिव मंदिर है
जिसका असली नाम तेजो महालय है। इस सम्बंध में उनके द्वारा दिये
गये तर्कों का हिंदी रूपांतरण इस प्रकार हैं -
सर्व प्रथम ताजमहन के नाम के सम्बन्ध में ओक साहब ने कहा कि नाम -
(क्रम संख्या 1 से 8 तक)
1. शाहज़हां और यहां तक कि औरंगज़ेब के शासनकाल तक में
भी कभी भी किसी शाही दस्तावेज एवं अखबार आदि में ताजमहल
शब्द का उल्लेख नहीं आया है। ताजमहल को ताज-ए-महल
समझना हास्यास्पद है।
2. शब्द ताजमहल के अंत में आये 'महल' मुस्लिम शब्द है ही नहीं,
अफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक किसी भी मुस्लिम देश में
एक भी ऐसी इमारत नहीं है जिसे कि महल के नाम से
पुकारा जाता हो।
3. साधारणतः समझा जाता है कि ताजमहल नाम मुमताजमहल,
जो कि वहां पर दफनाई गई थी, के कारण पड़ा है। यह बात कम से कम
दो कारणों से तर्कसम्मत नहीं है - पहला यह कि शाहजहां के बेगम
का नाम मुमताजमहल था ही नहीं, उसका नाम मुमताज़-उल-
ज़मानी था और दूसरा यह कि किसी इमारत का नाम रखने के लिय
मुमताज़ नामक औरत के नाम से "मुम" को हटा देने का कुछ मतलब
नहीं निकलता।
4. चूँकि महिला का नाम मुमताज़ था जो कि ज़ अक्षर मे समाप्त
होता है न कि ज में (अंग्रेजी का Z न कि J), भवन का नाम में
भी ताज के स्थान पर ताज़ होना चाहिये था (अर्थात्
यदि अंग्रेजी में लिखें तो Taj के स्थान पर Taz होना था)।
5. शाहज़हां के समय यूरोपीय देशों से आने वाले कई लोगों ने भवन
का उल्लेख 'ताज-ए-महल' के नाम से किया है जो कि उसके शिव
मंदिर वाले परंपरागत संस्कृत नाम तेजोमहालय से मेल खाता है। इसके
विरुद्ध शाहज़हां और औरंगज़ेब ने बड़ी सावधानी के साथ संस्कृत से मेल
खाते इस शब्द का कहीं पर भी प्रयोग न करते हुये उसके स्थान पर
पवित्र मकब़रा शब्द का ही प्रयोग किया है।
6. मकब़रे को कब्रगाह ही समझना चाहिये, न कि महल । इस प्रकार से
समझने से यह सत्य अपने आप समझ में आ जायेगा कि कि हुमायुँ, अकबर,
मुमताज़, एतमातुद्दौला और सफ़दरजंग जैसे सारे शाही और
दरबारी लोगों को हिंदू महलों या मंदिरों में दफ़नाया गया है।
7. और यदि ताज का अर्थ कब्रिस्तान है तो उसके साथ महल शब्द
जोड़ने का कोई तुक ही नहीं है।
8. चूँकि ताजमहल शब्द का प्रयोग मुग़ल दरबारों में
कभी किया ही नहीं जाता था, ताजमहल के विषय में
किसी प्रकार की मुग़ल व्याख्या ढूंढना ही असंगत है। 'ताज' और
'महल' दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं।
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इस लेख मे मेरा योगदान उतना ही है जितना कि रामसेतु के
निर्माण में गिलहरी का था, श्रेय मूल लेखक श्री ओक साहब
तथा अन्य प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से लगे सभी इतिहास प्रेमियो को।
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भाग :2
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श्री पी.एन. ओक का दावा है कि ताजमहल शिव मंदिर है
जिसका असली नाम तेजो महालय है। इस सम्बंध में उनके द्वारा दिये
गये तर्कों का हिंदी रूपांतरण इस प्रकार हैं -
सर्व प्रथम ताजमहन के नाम के सम्बन्ध में ओक साहब ने कहा कि नाम -
(क्रम संख्या 1 से 8 तक)
1. शाहज़हां और यहां तक कि औरंगज़ेब के शासनकाल तक में
भी कभी भी किसी शाही दस्तावेज एवं अखबार आदि में ताजमहल
शब्द का उल्लेख नहीं आया है। ताजमहल को ताज-ए-महल
समझना हास्यास्पद है।
2. शब्द ताजमहल के अंत में आये 'महल' मुस्लिम शब्द है ही नहीं,
अफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक किसी भी मुस्लिम देश में
एक भी ऐसी इमारत नहीं है जिसे कि महल के नाम से
पुकारा जाता हो।
3. साधारणतः समझा जाता है कि ताजमहल नाम मुमताजमहल,
जो कि वहां पर दफनाई गई थी, के कारण पड़ा है। यह बात कम से कम
दो कारणों से तर्कसम्मत नहीं है - पहला यह कि शाहजहां के बेगम
का नाम मुमताजमहल था ही नहीं, उसका नाम मुमताज़-उल-
ज़मानी था और दूसरा यह कि किसी इमारत का नाम रखने के लिय
मुमताज़ नामक औरत के नाम से "मुम" को हटा देने का कुछ मतलब
नहीं निकलता।
4. चूँकि महिला का नाम मुमताज़ था जो कि ज़ अक्षर मे समाप्त
होता है न कि ज में (अंग्रेजी का Z न कि J), भवन का नाम में
भी ताज के स्थान पर ताज़ होना चाहिये था (अर्थात्
यदि अंग्रेजी में लिखें तो Taj के स्थान पर Taz होना था)।
5. शाहज़हां के समय यूरोपीय देशों से आने वाले कई लोगों ने भवन
का उल्लेख 'ताज-ए-महल' के नाम से किया है जो कि उसके शिव
मंदिर वाले परंपरागत संस्कृत नाम तेजोमहालय से मेल खाता है। इसके
विरुद्ध शाहज़हां और औरंगज़ेब ने बड़ी सावधानी के साथ संस्कृत से मेल
खाते इस शब्द का कहीं पर भी प्रयोग न करते हुये उसके स्थान पर
पवित्र मकब़रा शब्द का ही प्रयोग किया है।
6. मकब़रे को कब्रगाह ही समझना चाहिये, न कि महल । इस प्रकार से
समझने से यह सत्य अपने आप समझ में आ जायेगा कि कि हुमायुँ, अकबर,
मुमताज़, एतमातुद्दौला और सफ़दरजंग जैसे सारे शाही और
दरबारी लोगों को हिंदू महलों या मंदिरों में दफ़नाया गया है।
7. और यदि ताज का अर्थ कब्रिस्तान है तो उसके साथ महल शब्द
जोड़ने का कोई तुक ही नहीं है।
8. चूँकि ताजमहल शब्द का प्रयोग मुग़ल दरबारों में
कभी किया ही नहीं जाता था, ताजमहल के विषय में
किसी प्रकार की मुग़ल व्याख्या ढूंढना ही असंगत है। 'ताज' और
'महल' दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं।
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इस लेख मे मेरा योगदान उतना ही है जितना कि रामसेतु के
निर्माण में गिलहरी का था, श्रेय मूल लेखक श्री ओक साहब
तथा अन्य प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से लगे सभी इतिहास प्रेमियो को।
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