भारत आजाद होने के 50 साल बाद भी इस देश के संसद मे बजट शाम को 5 बजे पेश होता था 1997 तक |
एक बार राजीव भाई ने भारत के एक पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को प्रश्न किया था के बजट शाम को 5 बजे क्यों आता है ? संसद तो सबेरे 10 बजे से चलती है शाम को 5 बजे बजट क्यों आता है ? संसद जब ख़तम होने को आती है तब शाम को 5 बजे बजट क्यों आता है ?
तब उन्होंने कहा के यह अंग्रेजो के ज़माने के नियम है | अब अंग्रेज जब इस देश की संसद मे बैठते थे दिल्ली मे, 1927 से अंग्रेजो ने संसद मे बैठना शुरू किया,तो यहाँ जब शाम के 5 बजते है तब लन्दन मे सबेरे के साड़े गैरा बजते है | अब लन्दन मे ‘House of Commons’ और ‘House of Lords’ मे बैठे हुए MPs को भारत का बजट सुनना होता था, तो इसलिए यहाँ शाम को 5 बजे बजट पेश किया जाता था ताकि सबेरे साड़े गैरा बजे वो लोग सुन सके |
तो ठीक है 1947 के पहले ये सब चलता था तो हमने मान लिया पर 1947 बाद 50 साल तक ये क्यों चलता रहा इस देश मे ? क्यों नही बदला हमने इस नियम को ?
जब पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने राजीव भाई से कहा के वो तो अंग्रेजो के ज़माने के नियम है, तब राजीव भाई ने कहा के अंग्रेजों ने यह कह दिया था के हमारे जाने के बाद भी इसे मत बदलना ! हमारी अकल नही है? हमारी बुद्धि नही है ? हमको समझ नही है ? यह ब्रिटिश पार्लियामेंट को सुनाने के लिए होता था अब हमारे उनसे क्या कनेक्शन है ? क्या लेना देना है ?
और जब ये बहस संसद मे हुई तो किसदीन हुई ? हिन्दुस्तान की आज़ादी का 50 साल का एक उत्सव हुआ था संसद मे, रात को 12 बजे संसद मे विशेष अधिवेशन हुआ, उस समय चंद्रशेखर ने ये मुद्दा उठाया, और बहुत हंगामा हुआ संसद मे इसपर, तब जा कर सरकार ने ये माना की हाँ 50 साल से हम गलती कर रहें है और इसको सुधार जायेगा | अगले साल 1998 से बजट सबेरे 11 बजे पेश होने लगा | माने इस छोटी सी व्यवस्था को बदलने मे 50 साल लग गए ... सोचिये हमारी आज़ादी का क्या अर्थ है ?
एक बार राजीव भाई ने भारत के एक पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को प्रश्न किया था के बजट शाम को 5 बजे क्यों आता है ? संसद तो सबेरे 10 बजे से चलती है शाम को 5 बजे बजट क्यों आता है ? संसद जब ख़तम होने को आती है तब शाम को 5 बजे बजट क्यों आता है ?
तब उन्होंने कहा के यह अंग्रेजो के ज़माने के नियम है | अब अंग्रेज जब इस देश की संसद मे बैठते थे दिल्ली मे, 1927 से अंग्रेजो ने संसद मे बैठना शुरू किया,तो यहाँ जब शाम के 5 बजते है तब लन्दन मे सबेरे के साड़े गैरा बजते है | अब लन्दन मे ‘House of Commons’ और ‘House of Lords’ मे बैठे हुए MPs को भारत का बजट सुनना होता था, तो इसलिए यहाँ शाम को 5 बजे बजट पेश किया जाता था ताकि सबेरे साड़े गैरा बजे वो लोग सुन सके |
तो ठीक है 1947 के पहले ये सब चलता था तो हमने मान लिया पर 1947 बाद 50 साल तक ये क्यों चलता रहा इस देश मे ? क्यों नही बदला हमने इस नियम को ?
जब पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने राजीव भाई से कहा के वो तो अंग्रेजो के ज़माने के नियम है, तब राजीव भाई ने कहा के अंग्रेजों ने यह कह दिया था के हमारे जाने के बाद भी इसे मत बदलना ! हमारी अकल नही है? हमारी बुद्धि नही है ? हमको समझ नही है ? यह ब्रिटिश पार्लियामेंट को सुनाने के लिए होता था अब हमारे उनसे क्या कनेक्शन है ? क्या लेना देना है ?
और जब ये बहस संसद मे हुई तो किसदीन हुई ? हिन्दुस्तान की आज़ादी का 50 साल का एक उत्सव हुआ था संसद मे, रात को 12 बजे संसद मे विशेष अधिवेशन हुआ, उस समय चंद्रशेखर ने ये मुद्दा उठाया, और बहुत हंगामा हुआ संसद मे इसपर, तब जा कर सरकार ने ये माना की हाँ 50 साल से हम गलती कर रहें है और इसको सुधार जायेगा | अगले साल 1998 से बजट सबेरे 11 बजे पेश होने लगा | माने इस छोटी सी व्यवस्था को बदलने मे 50 साल लग गए ... सोचिये हमारी आज़ादी का क्या अर्थ है ?
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