..कहा जाता है कि .... समुद्र मंथन के दौरान जब देवतागण अमृतकलश को लेकर जा रहे थे... तो, उस अमृतकलश से छलक कर अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी के दूर्वा घास पर गिर गयी थी.... इसीलिए, दूर्वा घास अमर होते हैं...!
दूर्वा घास के बारे में .भगवान कृष्ण भी..... गीता ( 9-26 ) में कहते हैं कि :
जो भी भक्ति के साथ... मेरे पास में दूर्वा की एक पत्ती , एक फूल , एक फल या पानी के साथ मेरी पूजा करता है.... मैं उसे दिल से स्वीकार करता हूँ...!
खैर....
दूर्वा एक जंगली घास है..... और , आमतौर पर भारत में हर जगह पाया जाता है.... पर, कुछेक हिंदू घरों में इसकी खेती भी की जाती है ...!
यह घास एक बारहमासी घास है और, तेजी से बढ़ती है.. तथा, गहरे हरे रंग की होती है .... और, इसके नोड में जड़ें होती है जो उलझे हुए गुच्छों के रूप में होती है ...!
इस घास को पूरी तरह उखाड़ लेने के बाद भी.....यह वापस जल्द ही उग आती है..... और, इस तरह ..इसका बार-बार अंकुरित होना .... जीवन के उत्थान का एक शक्तिशाली प्रतीक , नवीकरण , पुनर्जन्म और प्रजनन क्षमता को परिलक्षित करता है...!
वैदिक काल से ही ....भगवान गणेश और विश्व पालक नारायण की पूजा में ... दूर्वा घास , आवश्यक तौर पर इस्तेमाल किया जाता है...!
लेकिन.... जैसा कि हम सभी जानते हैं कि.... हमारे हिन्दू सनातन धर्म में ..... किसी भी परंपरा को बनाने से पीछे ... उसका एक ठोस वैज्ञानिक आधार हुआ करता है..... और, दूर्वा घास के साथ भी यही है....!
पवित्र दूर्वा घास का आध्यात्मिक और औषधीय महत्व
यह प्रत्येक और प्राचीन हिंदू धर्म में हर रस्म न केवल आध्यात्मिक महत्व का है , लेकिन यह भी बहुत हमारे भौतिक जीवन में महत्व है कि यह भी रहते उदाहरणों में से एक है . हिंदू अनुष्ठान में प्राचीन काल से, दूर्वा घास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. घास से बने छल्ले अक्सर या तो होमा की रस्म शुरू करने से पहले पहने जाते हैं - प्रसाद आग के लिए - और पूजा . घास प्रतिभागियों पर एक सफ़ाई प्रभाव माना जाता है . घास भी गणेश मंदिरों में एक भेंट के रूप में प्रयोग किया जाता है .
दूर्वा घास का औषधीय लाभ
दूर्वा घास या बरमूडा घास ( वानस्पतिक नाम Cynodan dactylon ) में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं .... और, आधुनिक शोधों से यह स्थापित हो चूका है कि ..... दूर्वा घास का रस.... अपने आप में ही कई बीमारियों के लिए एक शानदार उपाय के तौर पर भारत में प्रयोग किया जाता है .
दूर्वा घास में गेहूँ की घास से भी जयादा .... क्रूड प्रोटीन , फाइबर , कैल्शियम , फास्फोरस और पोटाश मौजूद होता है...!
1) ख़ास बात यह है कि.....दूर्वा घास क्षारीय होता है.... और, अगर हमारा भोजन अधिक अम्लीय है तो.... ये दूर्वा घास ... अपने क्षारीय गुण के कारण हमारे शरीर में अम्ल की तीव्रता को कम कर हमारे शरीर को ख़राब होने से बचाता है... ( ध्यान रहे कि पानी का PH 7 होता है ).
2) साथ ही..... दूर्वा घास ... हमारे तंत्रिका तंत्र टन के लिए एक बहुत अच्छा टॉनिक है .... तथा, यह सभी उम्र के लिए उपयुक्त है ...!
असहज महसूस करने पर..... प्रारंभिक चरण में इसे ... कम मात्रा के साथ शुरू किया जा सकता है...!
3) सिर्फ इतना ही नहीं... बल्कि ... ये दूर्वा घास ... हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को भी निकालता है...
और, जैसा कि .... आप सभी जानते हैं कि....कब्ज, बहुत सारी बीमारियों की जननी है ...तो , इस हालत में .....दूर्वा घास का रस ... अमृत के समान है ... और, दूर्वा घास आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को दूर कर ... हमारी रक्त प्रणाली शुद्ध कर देती है....!
शायद .... दूर्वा घास के इन्ही औषधीय गुणों के कारण ... दूर्वा घास को पूजा-पाठ के माध्यम से .... इसे पूजनीय एवं हमारे जीवन का अभिन्न अंग बना दिया गया है.....!
दूर्वा घास के बारे में .भगवान कृष्ण भी..... गीता ( 9-26 ) में कहते हैं कि :
जो भी भक्ति के साथ... मेरे पास में दूर्वा की एक पत्ती , एक फूल , एक फल या पानी के साथ मेरी पूजा करता है.... मैं उसे दिल से स्वीकार करता हूँ...!
खैर....
दूर्वा एक जंगली घास है..... और , आमतौर पर भारत में हर जगह पाया जाता है.... पर, कुछेक हिंदू घरों में इसकी खेती भी की जाती है ...!
यह घास एक बारहमासी घास है और, तेजी से बढ़ती है.. तथा, गहरे हरे रंग की होती है .... और, इसके नोड में जड़ें होती है जो उलझे हुए गुच्छों के रूप में होती है ...!
इस घास को पूरी तरह उखाड़ लेने के बाद भी.....यह वापस जल्द ही उग आती है..... और, इस तरह ..इसका बार-बार अंकुरित होना .... जीवन के उत्थान का एक शक्तिशाली प्रतीक , नवीकरण , पुनर्जन्म और प्रजनन क्षमता को परिलक्षित करता है...!
वैदिक काल से ही ....भगवान गणेश और विश्व पालक नारायण की पूजा में ... दूर्वा घास , आवश्यक तौर पर इस्तेमाल किया जाता है...!
लेकिन.... जैसा कि हम सभी जानते हैं कि.... हमारे हिन्दू सनातन धर्म में ..... किसी भी परंपरा को बनाने से पीछे ... उसका एक ठोस वैज्ञानिक आधार हुआ करता है..... और, दूर्वा घास के साथ भी यही है....!
पवित्र दूर्वा घास का आध्यात्मिक और औषधीय महत्व
यह प्रत्येक और प्राचीन हिंदू धर्म में हर रस्म न केवल आध्यात्मिक महत्व का है , लेकिन यह भी बहुत हमारे भौतिक जीवन में महत्व है कि यह भी रहते उदाहरणों में से एक है . हिंदू अनुष्ठान में प्राचीन काल से, दूर्वा घास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. घास से बने छल्ले अक्सर या तो होमा की रस्म शुरू करने से पहले पहने जाते हैं - प्रसाद आग के लिए - और पूजा . घास प्रतिभागियों पर एक सफ़ाई प्रभाव माना जाता है . घास भी गणेश मंदिरों में एक भेंट के रूप में प्रयोग किया जाता है .
दूर्वा घास का औषधीय लाभ
दूर्वा घास या बरमूडा घास ( वानस्पतिक नाम Cynodan dactylon ) में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं .... और, आधुनिक शोधों से यह स्थापित हो चूका है कि ..... दूर्वा घास का रस.... अपने आप में ही कई बीमारियों के लिए एक शानदार उपाय के तौर पर भारत में प्रयोग किया जाता है .
दूर्वा घास में गेहूँ की घास से भी जयादा .... क्रूड प्रोटीन , फाइबर , कैल्शियम , फास्फोरस और पोटाश मौजूद होता है...!
1) ख़ास बात यह है कि.....दूर्वा घास क्षारीय होता है.... और, अगर हमारा भोजन अधिक अम्लीय है तो.... ये दूर्वा घास ... अपने क्षारीय गुण के कारण हमारे शरीर में अम्ल की तीव्रता को कम कर हमारे शरीर को ख़राब होने से बचाता है... ( ध्यान रहे कि पानी का PH 7 होता है ).
2) साथ ही..... दूर्वा घास ... हमारे तंत्रिका तंत्र टन के लिए एक बहुत अच्छा टॉनिक है .... तथा, यह सभी उम्र के लिए उपयुक्त है ...!
असहज महसूस करने पर..... प्रारंभिक चरण में इसे ... कम मात्रा के साथ शुरू किया जा सकता है...!
3) सिर्फ इतना ही नहीं... बल्कि ... ये दूर्वा घास ... हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को भी निकालता है...
और, जैसा कि .... आप सभी जानते हैं कि....कब्ज, बहुत सारी बीमारियों की जननी है ...तो , इस हालत में .....दूर्वा घास का रस ... अमृत के समान है ... और, दूर्वा घास आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को दूर कर ... हमारी रक्त प्रणाली शुद्ध कर देती है....!
शायद .... दूर्वा घास के इन्ही औषधीय गुणों के कारण ... दूर्वा घास को पूजा-पाठ के माध्यम से .... इसे पूजनीय एवं हमारे जीवन का अभिन्न अंग बना दिया गया है.....!
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