Thursday, 6 February 2014

एलुमिनियम को बंद करके पीतल, कांसा तथा मिट्टी के बर्तनो का प्रयोग किजिए

हमारे देश में एल्युमिनियम के बर्तन 100-200 साल पहले ही ही आये है । उससे पहले धातुओं में पीतल, काँसा, चाँदी के बर्तन ही चला करते थे और बाकी मिट्टी के बर्तन चलते थे । हमारे पूर्वजो ने कभी भी एल्युनिनियम के बर्तनो का प्रयोग नही किया अंग्रेजो ने जेलों में कैदियो के लिए एल्युमिनिय के बर्तन शुरू किए क्योंकि उसमें से धीरे धीरे जहर हमारे शारीर में जाता है । एल्युमिनियम के बर्तन के उपयोग से कई तरह के गंभीर रोग होते है । जैसे अस्थमा, बात रोग, टी बी, शुगर, दमा आदि । पुराने समय में काँसा और पीतल के बर्तन होते थे जो जो स्वास्थ के लिए अच्छे मने जाते है । यदि सम्भव हो तो वही बर्तन फिर से ले कर आयें । हमारे पुराने वैज्ञानिकों को मालूम था की एल्युमिनिय बोक्साईट से बनता है और भारत में इसकी भरपूर खदाने हैं, फिर भी उन्होंने एल्युमिनियम के बर्तन नहीं बनाये क्योंकि यह भोजन बनाने और खाना खाने के लिए सबसे घटिया धातु है । इससे अस्थमा, टी बी, दमा, बातरोग में बढावा मिलता है । इसलिए एल्युमिनियम के बर्तनों का उपयोग बन्द करें ।

कुछ लोग कहेंगे कि हम तो कई साल से इसमें खा रहे है , इसका melting point ज्यादा है वैगेरह वैगहर तो उनके लिए जवाब है कि हमारे पुराने वैज्ञानिकों (पूर्वजों) को मालूम था की एल्युमिनिय बोक्साईट से बनता है और भारत में इसकी भरपूर खदाने हैं, फिर भी उन्होंने एल्युमिनियम के बर्तन नहीं बनाये क्योंकि उनको यह पता था कि यह भोजन बनाने और खाना खाने के लिए सबसे घटिया धातु है ।

एलुमिनियम को बंद करके पीतल, कांसा तथा मिट्टी के बर्तनो का प्रयोग किजिए

स्टील के बर्तन एल्युमिनियम से कम हानि करते है अगर आपको अपने स्वास्थय की चिन्ता है तो पीतल, कांसे तथा मिट्टी के बर्तन ही प्रयोग करे

अधिक जानकारी के लिए ये विडियो देखे :
http://www.youtube.com/watch?v=EwSr2TsZMXc

मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करें -

हजारों सालोंसे हमारे यहाँ मिट्टी के बर्तनों का उपयोग होता आया है। अभी कुछ सालो पहले तक गाँव की शादियों में तो मिट्टी के बर्तन ही उपयोग में आते थे। घरों में दाल पकाने, ढूध गरम करने, दही ज़माने, चावल बनाने और आचार रखने के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग होता रहा है। मिट्टी के बर्तन में जो भोजन पकता है उसमे सुक्ष्म पोषक तत्वों (Micronutrients) की कमी नही होती जबकि प्रेशर कुकर व अन्य बर्तनों में पकाने से सुक्ष्म पोषक तत्वों कम हो जाते हैं जिससे हमारे भोजन की पौष्टिकता कम हो जाती है। खाना धीरे धीरे पकाना चाहिए तभी वह पौष्टिक और स्वादिष्ट पकेगा और उसके सुक्ष्म पौषक तत्वों सुरक्षित रहेंगे।
हमारे शरीर को प्रतिदिन 18 प्रकार के सुक्ष्म पौषक तत्त्व चाहिये जो मिट्टी से ही आते है। जैसे Calcium, Magnesium, Sulfur, Iron, Silicon, Cobalt, Gypsum - आदि। मिट्टी के इन्ही गुणों और पवित्रता के कारण हमारे यहाँ पूरी के मन्दिरों (उड़ीसा) के अलावा कई मंदिरों में आज भी मिट्टी के बर्तनों में प्रसाद बनता है। अधिक जानकारी के लिए पूरी के मन्दिर की रसोई देखे।

अपने आसपास के कुम्हारों से मिट्टी के बर्तन लें व उन्हें बनाने के लिए प्रेरित करें।

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