सुश्रुत ने भोजन के छ: प्रकार गिनाए हैं: चूष्य, पेय, लेह्य, भोज्य, भक्ष्य और चर्व्य।
पाचन की दृष्टि से चूष्य पदार्थ सबसे अधिक सुपाच्य बताए गए हैं। फिर क्रम से उनकी सुपाच्यता कम होती जाती है और चर्व्य सबसे कम सुपाच्य होते हैं।
ईख या गन्ने को जो मिठास का प्रमुख स्त्रोत है, पहले वर्ग में रखा गया है, गन्ने का रस, शरबत, फलों के रस पेय पदार्थों में हैं। चटनी-सौंठ-कढ़ी लेह्य। दाल-भात भोज्य ; लड्डू-पेड़ा, बरफी भक्ष्य ; और चना-परवल, मूंगफली चर्व्य हैं।
भोजन में ये सभी प्रकार शामिल करना चाहिए जिससे भोजन से पूर्ण संतुष्टि प्राप्त होती है। संतुष्टि से फिर जंक फ़ूड की तरफ आकर्षण नहीं रहेगा और हम कई परेशानियों से बच जायेंगे।
पाचन की दृष्टि से चूष्य पदार्थ सबसे अधिक सुपाच्य बताए गए हैं। फिर क्रम से उनकी सुपाच्यता कम होती जाती है और चर्व्य सबसे कम सुपाच्य होते हैं।
ईख या गन्ने को जो मिठास का प्रमुख स्त्रोत है, पहले वर्ग में रखा गया है, गन्ने का रस, शरबत, फलों के रस पेय पदार्थों में हैं। चटनी-सौंठ-कढ़ी लेह्य। दाल-भात भोज्य ; लड्डू-पेड़ा, बरफी भक्ष्य ; और चना-परवल, मूंगफली चर्व्य हैं।
भोजन में ये सभी प्रकार शामिल करना चाहिए जिससे भोजन से पूर्ण संतुष्टि प्राप्त होती है। संतुष्टि से फिर जंक फ़ूड की तरफ आकर्षण नहीं रहेगा और हम कई परेशानियों से बच जायेंगे।
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