Thursday, 20 February 2014

सौगंध मुझे इस मिट्टी की

सौगंध मुझे इस मिट्टी की
मैं यह देश नहीं झुकने दुंगा 


वह लुट रहे है सपनो को मैं चैन से कैसे सो जाउ ।
वह देश को बेच रहे है मैं चुप कैसे बैठ जाउ ।
वह जितने अंधेरे लायेंगे । मैं उतने सुरज लाऊंगा ।
सौगंध मुझे इस मिट्टी की

 मैं इस देश को नहीं मिटने दुंगा ।

वह नशा बांटते जाए और यह देश बीमार हो जाए
पर हर भारतवासी अब जाग रहा ।
माँ और बहनो की असमत पर गिद्ध नजर गराए बैठे है ।
मैं अपने देश की धरती पर अब दर्द नहीं उगने दुंगा ।
सौगंध मुझे इस मिट्टी की

 मैं देश नहीं झुकने दुंगा ।

अब घडी परीक्षा की है आई
हम खुद को नहीं भटकने दुंगा
सौगंध मुझे इस मिट्टी की
मैं देश नहीं झुकने दुंगा 

:- Narendra Modi

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