Wednesday, 3 September 2014

कॉंग्रेस का जन्म आज से 132 साल पहले अफगानिस्तान में हुआ था । गाजी खान ने अंग्रेज़ो के साथ मिलकर पार्टी बनाई थी। गाजी खान के तीन लड़के थे - सबसे बड़ा फेजल खान उसके बाद सलीम खान ओर सबसे छोटा मोइन खान (मोती लाल नेहरू )। फेजल खान एक बीमारी की वजह से 14 साल की उम्र मे ही मर गया। सलीम खान शादी के बाद कश्मीर मे रहने लगा। उसी सलीम खान के वंशज की औलाद आज कश्मीर मे फारुख अब्दुला ओर उमर अब्दुला है, जो कॉंग्रेस के साथ है। अब बात आती है गाजी खान की। गाजी खान ने चुनाव लड़ा, पर कभी जीता नहीं। गाजी खान के मरने के बाद मोइन खान ने हिन्दू धर्म अपना लिया ओर मोती लाल नेहरू बन गया। पर वो भी कभी चुनाव नहीं जीता। उसके बाद मोती लाल की औलाद, जवाहर लाल नेहरू ने जिन्ना के साथ मिलकर रणनीति बनाई कि (जब अंग्रेज़ 1947 मे देश छोड़ रहे थे) जिन्ना को पाकिस्तान का पीएम बनाया जाएगा ओर नेहरु को इंडिया का पीएम बनाया जाएगा। पर जनता सरदार पटेल को पीएम बनाना चाहती थी। पर महात्मा गांधी ने नेहरू का साथ दिया ओर नेहरू को पीएम बना दिया। फिर नेहरू की बेटी इंदरा (जो फिरोज खान से निकाह किया था) फिर से मुसलमान बन गई। पर महात्म गांधी ने इंदरा को अपना नाम दे दिया। उसी दिन से ये गांधी का नाम लगा कर देश को लूट रहे है। फिरोज खान के बाद राजीव खान, राजीव खान के बाद सोनिया खान, सोनिया खान के बाद अब राहुल खान। इस पोस्ट को इतना शेयर करो दोस्तो की इस नकली गांधी परिवार की असलियत सभी को पता चले।
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इस नालायक सरकार ने इंदिरा गाँधी को एक बहुत
ही जिम्मेदार ,
ताकतवर और राष्ट्रभक्त महिला बताया हैं , चलिए
इसकी कुछ
कडवी हकीकत से मैं भी आज आपको रूबरू करवाता हूँ !!!
इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू राजवंश में
अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर
पहुचाया. बौद्धिक इंदिरा को ऑक्सफोर्ड
विश्वविद्यालय में
भर्ती कराया गया था लेकिन वहाँ से
जल्दी ही पढाई में खराब प्रदर्शन
के कारण बाहर निकाल दी गयी. उसके बाद
उनको शांतिनिकेतन
विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरु
देव रवीन्द्रनाथ
टैगोर ने उन्हें उसके दुराचरण के लिए बाहर कर दिया.
शान्तिनिकेतन से
बहार निकाल जाने के बाद इंदिरा अकेली हो गयी.
राजनीतिज्ञ के रूप में
पिता राजनीति के साथ व्यस्त था और मां तपेदिक के
स्विट्जरलैंड में
मर रही थी. उनके इस अकेलेपन का फायदा फ़िरोज़
खान नाम के
व्यापारी ने उठाया. फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु
के घर पे
मेहेंगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था.
फ़िरोज़ खान और
इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गए.
महाराष्ट्र के तत्कालीन
राज्यपाल डा. श्री प्रकाश नेहरू ने चेतावनी दी,
कि फिरोज खान के
साथ अवैध संबंध बना रहा था. फिरोज खान इंग्लैंड में
तो था और
इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी. जल्द
ही वह अपने धर्म
का त्याग कर,एक मुस्लिम महिला बनीं और लंदन के एक
मस्जिद में
फिरोज खान से उसकी शादी हो गयी.
इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ने
नया नाम मैमुना बेगम रख लिया. उनकी मां कमला नेहरू
इस शादी से
काफी नाराज़ थी जिसके कारण उनकी तबियत और
ज्यादा बिगड़ गयी.
नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे क्युकी इससे
इंदिरा के
प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना खतरे में आ गयी. तो,
नेहरू ने
युवा फिरोज खान से कहा कि अपना उपनाम खान से
गांधी कर लो.
परन्तु इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तन के साथ
कोई लेना -
देना नहीं था. यह सिर्फ एक शपथ पत्र द्वारा नाम
परिवर्तन का एक
मामला था. और फिरोज खान फिरोज गांधी बन
गया है, हालांकि यह
बिस्मिल्लाह शर्मा की तरह एक असंगत नाम है.
दोनों ने ही भारत
की जनता को मूर्ख बनाने के लिए नाम बदला था. जब
वे भारत लौटे,
एक नकली वैदिक विवाह जनता के उपभोग के लिए
स्थापित
किया गया था. इस प्रकार, इंदिरा और उसके वंश
को काल्पनिक नाम
गांधी मिला. नेहरू और गांधी दोनों फैंसी नाम हैं.
जैसे एक गिरगिट
अपना रंग बदलती है, वैसे ही इन लोगो ने
अपनी असली पहचान छुपाने के
लिए नाम बदले. . के.एन. राव की पुस्तक "नेहरू
राजवंश" (10:8186092005 ISBN) में यह स्पष्ट रूप से
लिखा गया है संजय गांधी फ़िरोज़ गांधी का पुत्र
नहीं था,
जिसकी पुष्टि के लिए उस पुस्तक में अनेक
तथ्यों को सामने
रखा गया है. उसमे यह साफ़ तौर पे लिखा हुआ है
की संजय गाँधी एक
और मुस्लिम मोहम्मद यूनुस नामक सज्जन का बेटा था.
दिलचस्प बात
यह है की एक सिख लड़की मेनका का विवाह भी संजय
गाँधी के साथ
मोहम्मद यूनुस के घर में ही हुआ था. मोहम्मद यूनुस ही वह
व्यक्ति था जो संजय गाँधी की विमान दुर्घटना के
बाद सबसे
ज्यादा रोया था. 'यूनुस की पुस्तक "व्यक्ति जुनून और
राजनीति" (persons passions and politics )
(ISBN-10:
0706910176) में साफ़ लिखा हुआ है की संजय गाँधी के
जन्म के बाद
उनका खतना पूरे मुस्लिम रीति रिवाज़ के साथ
किया गया था. कैथरीन
फ्रैंक की पुस्तक "the life of Indira Nehru Gandhi
(ISBN:
9780007259304) में इंदिरा गांधी के अन्य प्रेम संबंधों के
कुछ पर
प्रकाश डाला है. यह लिखा है
कि इंदिरा का पहला प्यार शान्तिनिकेतन
में जर्मन शिक्षक के साथ था. बाद में वह एमओ मथाई,
(पिता के
सचिव) धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) के साथ
और दिनेश सिंह
(विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम संबंधो के लिए
प्रसिद्द हुई. पूर्व
विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गांधी के मुगलों के
लिए संबंध के बारे में
एक दिलचस्प रहस्योद्घाटन किया अपनी पुस्तक
"profiles and
letters " (ISBN: 8129102358) में किया. यह
कहा गया है
कि 1968 में इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री के
रूप में
अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गयी थी .
नटवरसिंह एक
आईएफएस अधिकारी के रूप में इस दौरे पे गए थे. दिन भर
के
कार्यक्रमों के होने के बाद इंदिरा गांधी को शाम में
सैर के लिए बाहर
जाना था . कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद,
इंदिरा गांधी बाबर
की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थी, हालांकि यह
इस
यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया.
अफगान
सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर
आपत्ति जताई पर
इंदिरा अपनी जिद पर अड़ी रही . अंत में वह उस
कब्रगाह पर गयी . यह
एक सुनसान जगह थी. वह बाबर की कब्र पर सर झुका कर
आँखें बंद
करके कड़ी रही और नटवर सिंह उसके पीछे खड़े थे . जब
इंदिरा ने
उसकी प्रार्थना समाप्तकर ली तब वह मुड़कर नटवर से
बोली "आज
मैंने अपने इतिहास को ताज़ा कर लिया (Today we
have had our
brush with history ". यहाँ आपको यह बता दे
की बाबर मुग़ल
साम्राज्य का संस्थापक था, और नेहरु खानदान
इसी मुग़ल साम्राज्य
से उत्पन्न हुआ. इतने सालो से भारतीय
जनता इसी धोखे में है की नेहरु
एक कश्मीरी पंडित था....जो की सरासर गलत तथ्य
है..... इस तरह इन
नीचो ने भारत में अपनी जड़े जमाई जो आज एक बहुत बड़े
वृक्ष में
तब्दील हो गया हैं ,
जिसकी महत्वाकांक्षी शाखाओ ने
माँ भारती को आज बहुत जख्मी कर दिया हैं ,,यह
मेरा एक प्रयास हैं
आज ,,कि आज इस सोशल मीडिया के माध्यम से
ही सही मगर हकीकत
से रूबरू करवा सकू !!! ,,,बाकी देश के
प्रति यदि आपकी भी कुछ
जिम्मेदारी बनती हो , तो अब आप लोग '' निःशब्द ''
ना बनियेगा ,, इसे
फैला दीजिए हर घर में !!!!

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