Thursday 18 September 2014

स्टेशन से जब गाड़ी छूटी तो टाईट
जींस-टॉप पहने और आँखों पर
काला चश्मा लगाए एक युवती दौड़ लगाकर
बोगी मे चढ़ी। उसके हाथों मे एक लंबी स्क्रीन
वाला स्मार्ट फोन और कंधे पर एक
छोटा सा बैग था। बैठने के लिए खाली जगह न
देखकर जगह बनाने के लिए वो युवती ज़ोर-ज़ोर
से बोलकर बैठे हुये लोगों से झगड़ने
लगी तो आखिरकार पहले से फैलकर बैठे लोगों ने
बचाव की मुद्रा अपनाते हुये उसे बैठने की जगह
दे दी। इसके बाद शुरू हुआ उस युवती के
व्यक्तित्व का सबसे खास तत्व, उसका बेलाग
बतियाना। बहुत बातूनी युवती थी वह। एक बार
शुरू हुई तो फिर नानस्टॉप मेल ट्रेन की तरह
दौड़ने लगी, रुकने का नाम तक न लेती थी,
उसकी बातों का विषय किसी भी एक विषय पर
केन्द्रित न था, हर विषय पर वह
अपनी जानकारी के मुताबिक अपनी बात रख
रही थी बिना इस बात की परवाह किए कि कोई
उसकी बातों मे रुचि ले रहा है या नहीं, कोई
उसकी बात से सहमत है या नहीं, कचर-कचर
बतियाना उसकी आदत थी सो वो बतियाये
जा रही थी। उसकी बातों से ही उसका नाम
भी बोगी मे बैठे सारे लोगों को मालूम हो गया था,
उसका नाम रागिनी था।
10 मिनट मे ही सभी लोग उसके बारे मे खुसर-
फुसर करने लगे। एक ने कहा, बहुत गंदे
संस्कारों वाली लड़की है, बिना किसी संकोच के
जो मुंह मे आ रहा है बके जा रही है, लड़कियों मे ये
गुण शोभा नहीं देता, तो दूसरा बोला,
ऐसी लड़कियों के कारण ही लड़के बर्बाद होते हैं,
तीसरा कहाँ पीछे रहता, बोला, जिस घर मे
जाएगी, उसे बर्बाद कर देगी, तो चौथे ने
भी अपनी राय रखी, लड़कियों के ऐसे गुण
नहीं होने चाहिये, किसी ने
कहा ऐसी लड़कियां देश और समाज के लिए
कलंक होती हैं। इस तरह बोगी मे बैठा हर शख्स
उस लड़की रागिनी के ऊपर लांछन लगा कर
अपने आप को सबसे बड़ा सच्चरित्र दिखाने
की कोशिश मे लगा हुआ था।
एक समय ऐसा भी आया कि मुझे महसूस हुआ
कि इन सभी लोगों ने
अपनी पराकाष्ठा खो दी है, किसी भारतीय
नारी को इस तरह जलील
करना तो सच्चरित्रता नहीं, मैंने ईंट का जवाब
पत्थर से देने की ठानी और रागिनी से बातें करने
लगा, बातों का विषय बदलकर लव जेहाद की ओर
मोड़ते हुये मैंने रागिनी से सवाल किया, रागिनी ये
बताओ, आजकल आम चर्चा चल रही है कि भले
घर की लड़कियां शादी को निजी मामला कहकर
मुस्लिमों के साथ भागकर शादी कर लेती हैं
या मुस्लिम युवकों के साथ प्रेमपाश मे पड़कर
वैदिक रीति रिवाज से शादी कर लेती हैं पर बाद मे
राज खुलता है कि उन्होने एक मुस्लिम से
शादी की है, और हर मामले का अंत एक
ही होता है कि उन लड़कियों को धर्म परिवर्तन
कर इस्लाम कुबूल करना पड़ता है, तुम्हारा इस
विषय मे क्या कहना है?
तब रागिनी बोली, कौन कहता है
कि शादी करना निजी मामला है,
संतानोत्पत्ति के लिए शारीरिक सम्बंध
बनाना जरूरी है और उसके लिए शादी नाम
का एक सामाजिक बंधन है
तो किसी भी लड़की-लड़के को यह कहने
का अधिकार
नहीं कि शादी करना उनका निजी मामला है, जब
शादी करना सामाजिक बंधन है तो हिन्दू
का हिन्दू से और मुस्लिम का मुस्लिम से
शादी करना भी एक सामाजिक बंधन है
जिसका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिये,
जो भी लड़की किसी मुस्लिम से प्रेमपाश मे
पड़कर शादी करती है तो वह एक सामाजिक
अपराध करती है, अगर कोई मुस्लिम
किसी लड़की के साथ बिना सच बताए वैदिक
रीति-रिवाज से शादी करता है तो वह भी एक
अक्षम्य सामाजिक अपराध है
जिसकी इतनी कड़ी सजा होनी चाहिए कि दूसरे
मुस्लिमो को इससे सबक मिले और वे ये
धोखाधड़ी करने से पहले सौ बार सोंचे। मै किस
वक्त, किस काम की वजह से कैसे वस्त्र पहनूँ
यह मेरी अपनी निजी पसंद हो सकती है पर मै
किसके साथ शादी करूँ इस पर मुझे सामाजिक
रिवाजों का कड़ाई से पालन करना चाहिए। मै
आपको एक वाकया बताती हूँ, मेरे साथ घट
चुका है, एक मुस्लिम लड़का जावेद मुझे भी शीशे
मे उतारने की कोशिश कर रहा था, उसने मेरे
नजदीक आने के कई जतन किये और एक दिन
मुझे कह ही बैठा कि मै तुमसे
शादी करना चाहता हूँ, मैंने कहा मै किसी मुस्लिम
के साथ सपने मे भी ब्याह न करूंगी, वास्तविक
रूप मे तो कभी नहीं, सुनकर वह बहुत उदास
हो गया। कई दिनों तक उसने मुझसे इस बारे मे
बात नहीं की पर अचानक फिर से शुरू हो गया, पर
मेरा जवाब न ही था तो आखिरकार उसने एक
दिन मुझसे कह ही दिया मै हिन्दू बन जाऊंगा और
तुमसे ही शादी करूंगा, तब मैंने उसे सबक सिखाने
की सोची और उससे कहा कि अगर तुम मेरे साथ
शादी करने के लिए मरे जा रहे हो तो मेरी दो शर्ते
पूरी करनी पड़ेगी। पहला तुम्हारे मस्जिद के
इमाम की लड़की रूबीना को भी तैयार करो कि वह
भी अपना धर्म बदलकर किसी हिन्दू लड़के के
साथ शादी करे। किसी हिन्दू लड़के को उसके
साथ शादी करने के लिए तैयार
करना मेरा जिम्मा। असल मे
रूबीना मेरी क्लासफ़ेलो है और उसके बाप
इस्लाम धर्म के बहुत कट्टर अनुयायी, वे
अपनी लड़की की गरदन काट देंगे पर किसी हिन्दू
लड़के के साथ उसकी शादी नहीं होने देंगे। मैंने
दूसरी शर्त बताई, जावेद अगर मुझसे ब्याह
करना है तो अपने पूरे परिवार को हिन्दू धर्म
अपनाने के लिए कहो क्योंकि मै घर-परिवार
वाली लड़की हूँ किसी भरे-पूरे परिवार के बिना मै
नहीं रहूँगी, और बेजुबान जानवर का बेरहमी से
कत्ल करने वाले इस्लाम मनाने वालो के साथ
तो बिलकुल नहीं, सबको मेरी तरह
शाकाहारी बनना पड़ेगा,
पूजा आरती करनी पड़ेगी। बोलो अगर ये
दोनों शर्ते पूरी कर सकते हो तो मै भी तैयार हूँ।
अब जावेद को साँप सूंघ गया। बेचारे के सर से
लव जेहाद का भूत उतर गया।
मेरा तो यही कहना है कि जब कोई मुस्लिम
लड़का किसी हिन्दू लड़की को लव जेहाद
का शिकार बनाने की कोशिश करे तो वह हिन्दू
लड़की मेरी तरह उस मुस्लिम के सामने
यही दो शर्तें रख दे तो सारा फसाद ही खत्म
हो जाएगा, या तो लव जेहाद ही खत्म
हो जाएगा या फिर इस्लाम।
जो लड़की किसी मुस्लिम के साथ यह कहकर
शादी करती है
कि शादी उसका निजी मामला है वह अपने
परिवार, समाज, धर्म और देश
की अपराधिनी है और सच्चे अर्थों मे
कलंकिनी भी। मैंने देखा बोगी मे मौजूद हर
व्यक्ति उसकी बातें सुनकर अवाक रह
गया था और थोड़ी देर पहले जो लोग एक
नारी की गरिमा को तार-तार कर देने पर
आमादा थे, वे ही मिलकर उस बहादुर और
सच्ची हिन्दू लड़की के लिए तालियाँ बजा रहे है।
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