Saturday, 6 September 2014

महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन और कर्ण का युद्ध हो रहा था, तो एक समय ऐसा आया जब कर्ण के रथ का पहिया कीचड़ में धँस गया।

वह शस्त्र रथ में ही रखकर नीचे उतरा और उसे निकालने लगा। यह देखकर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को संकेत किया और उसने कर्ण पर बाणों की बौछार कर दी।

इससे कर्ण बौखला गया। वह अर्जुन की निन्दा करने लगा- इस समय मैं नि:शस्त्र हूँ। ऐसे में मेरे ऊपर बाण चलाना अधर्म है।

पर श्रीकृष्ण ने उसे मुँहतोड़ उत्तर देते हुए कहा - "महाबली कर्ण, आज तुम्हें धर्म याद आ रहा है। पर उस दिन तुम्हारा धर्म कहाँ गया था, जब द्रौपदी की साड़ी को भरी सभा में खींचा जा रहा था। जब अनेक महारथियों ने निहत्थे अभिमन्यु को घेरकर मारा था, तब तुम्हें धर्म की याद क्यों नहीं आयी ?"

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपनी बाण-वर्षा और तेज करने को कहा। परिणाम यह हुआ कि कर्ण ने थोड़ी देर में ही प्राण छोड़ दिये।

यह इतिहास कथा यह बताती है कि धर्म का व्यवहार , सज्जनता का व्यवहार केवल धर्म पर चलने वालों के लिए ही होना चाहिए। गलत व्यक्तियों का साथ देने वालों, असत्य का पक्ष लेने वालों तथा दुष्टों को उनके जैसी दुष्टता से दंड देना बिल्कुल गलत नहीं है।

यह श्री कृष्ण की कथा . . . गांधी जी के सिद्धान्त कि कोई एक गाल पर मारे तो दूसरा भी आगे कर दो या दुष्टों के सामने भी अहिंसक बने रहो, इसे पूरी तरह गलत सिद्ध कर रही है। अतः सज्जनों के प्रति सज्जनता और दुष्टो के प्रति दंड यही श्रेष्ठ नीति है।

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हैदराबाद के निजाम ने खुद को भारत से अलग होने का एलान कर दिया था,
सरदार पटेल ने उसे संधि के लिए दिल्ली बुलाया,
निजाम ने अपने दीवान को उनसे मिलने भेजा, जब निजाम पटेल जी से मिलने आया तो पटेल जी ने उनका पूरा आदर सत्कार किया, भोजन किया और उसके बाद मंत्रणा करने बैठे,
पटेल जी ने पूछा की जब हैदराबाद के 80% हिन्दू भारत में मिलना चाहते है तो आपके निजाम क्यों पाकिस्तान के बहकावे में आ रहे है,
निजाम ने कहा की आप हमारे बीच में न पड़े, हम अपनी मर्जी के मालिक है, और रही हिन्दुओ की बात तो इन 1 करोड़ हिन्दुओ की हम लाशें बिछा देंगे, एक भी हिन्दू आपको जिन्दा नहीं मिलेगा, तब किसकी राय पूछेंगे??
पटेल जी ने कहा - आप जाइए वापिस हैदराबाद, दीवान चला जाता है,
अगली सुबह उसके हैदराबाद पहुँचने से पहले ही भारतीय सेना हैदराबाद पर धावा बोल देती है,
ऐसे कठोर समय में भी बिना समय गँवाए सही निर्णय लेकर खंड खंड देश को हिमाचल से कन्याकुमारी तक एक करने वाले सरदार पटेल को कोटि कोटि नमन,

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