Wednesday 17 September 2014

क्या आप जानते हैं कि... इस्लामी जिहाद क्या होता है.... और, मदरसों में जेहादी कैसे तैयार किये जाते हैं .....???

असल में.... ये सारा झमेला कुरान और इस्लाम के तथाकथित रसूल मुहम्मद का फैलाया हुआ है....!

क्योंकि.... कुरान के तहत मुस्लिमों को ये स्पष्ट आदेश है कि.... किसी भी तरह उन्हें पूरी दुनिया में इस्लाम का परचम लहराना है ...

अर्थात, कुरान कहता है कि.... मुस्लिम जिहाद कर ( आतंक फैला कर ) ... पूरी दुनिया को इस्लाम के झंडे तहत ले आएं.... और, जो इस्लामी झंडे के संरक्षण में आने से मना करे.... उसे मौत के घाट उतार दिया जाए....!

इसीलिए मुसलमानों की नीति है कि... हर उपाय से दूसरों (काफिरों) को मारा जाये , भले ही ऐसा करते समय हम खुद क्यों न मर जाएँ... इसके लिए ही मुसलमानों हर जगह जिहाद करते रहते रहते हैं... और, जो मुस्लिम सीधे तौर पर इस जिहाद में भाग लेते हैं .... उन्हें ""जिहादी या फियादीन"" कहा जाता है...!

शाब्दिक तौर पर..... फियादीन ...... फियादी शब्द से बना है जी कि एक अरबी शब्द है ... अरबी के फिदायी ( فدائي) शब्द का बहुवचन फिदायीन (فِدائيّين ) होता है .जिसका अर्थ बलिदानी या"redeemers "है जो खुद को कुर्बान कर देते है (those who sacrifice ).

वैसे तो जिहाद की शिक्षा .... आतंकी संगठनों के शिविरों में दी जाती है....

लेकिन... मुस्लिमों के मदरसे भी बच्चो को बचपन से ही फिदायीन बनाने की तालीम देते हैं, और कुरान और हदीस की ऐसी बातें उनके दिमाग में भर देते हैं जिस से उनका दिमाग खाली (brain wash ) हो जाता है. मैं यहाँ पर कुरान की वह आयतें और हदीसें दे रहा हूँ .. जिसे फियादीन बनाने के लिए उपयोग किया जाता है..!

@@ "बस मैदान में उतर जाओ ,और समझो कि तुम एक दूसरे के दुश्मन हो ,और तुम्हें इस धरती पर केवल निर्धारित समय तक रहना है ,और तुम्हें उतने जीवन के लिए सामग्री दी गयी है................ "सूरा -अल आराफ 7 :24

(इस तालीम के कारण फिदायीन में अपने जीवन से कोई लगाव नहीं रह जाता है .

@@ (जब लोगों को अपने प्राणों से कोई लगाव नहीं रहता है ,तो अल्लाह उनको लालच देकर उनके प्राण खरीद लेता है ,कुरान कहती है ........
"निस्संदेह अल्लाह ने ईमान वालों से उनके प्राण और माल जन्नत के बदले इसलिए खरीद लिए हैं ,के वह मरते भी रहें और मारते भी रहें "..........सूरा -तौबा -9 :111

"और उन में से कुछ ऐसे भी लोग होते हैं , जो अल्लाह को खुश करने के लिए ,खुद अपना जीवन त्याग देते हैं......................."सूरा -बकरा 2 :207

@@@ (जब फिदायीन का पूरी तरह से ब्रेन वाश जो जाता है ,तो उन से कहा जाता है) ............
"तुम ईमान रखो अल्लाह पर और उसके रसूल पर ,और सिर्फ जिहाद करो अपने प्राणों और साधनों से ,बस तुम्हारे लिए यही उत्तम कार्य है "........सूरा -अस सफ्फ 61 :11 और 12

@@@ (फिर फिदायीन को मुहम्मद की तरह आतंकवादी बनने कहा जाता है ,जैसा इस हदीस में कहा गया है )
"अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा कि अल्लाह ने मुझे आतंक के द्वारा विजय हासिल करने का हुक्म दिया है .और कहा कि मैंने तुम्हें दुनिया की दौलत के खजाने की चाभी तुम्हें सौंप दी है ,और लोगों से कहो कि वह खजाना तुम्हारे हवाले कर दें................... "बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 220

"आस बिन अशरफ ने कहा कि हम लोग रसूल के साथ ,अल अबवा यानी वद्दन नाम की पर जगह गए ,तब रात हो गयी थी .. इसीलिए , हमने रसूल से पूछा कि... रात के समय हमला करना उचित होगा, क्योंकि, इस से सोते हुए बच्चे और औरतें भी मारे जायेंगे .... तो रसूल ने कहा .....यह सभी काफ़िर हैं और मुझे अल्लाह ने इन पर हमला करने का आदेश दिया है........ "बुखारी -जिल्द 4 किताब 52 हदीस 256

@@@@ यामुर बिन याहया ने कहा कि रसूल ने हमें बताया जिबरईल सन्देश भेजा है ,जो भी अल्लाह के लिए घर से बाहर निकल कर जिहाद करेगा वह जन्नत में दाखिल होगा .हमने रसूल से पूछा यदि वह व्यक्ति व्यभिचारी और चोरी करने वाला हो तो ?
रसूल बोले हाँ , तब भी ऐसे लोग जन्नत में जायेगे ..... Sahih El-Boukhary chapter 4, section 883, number १३८६

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बच्चों को इतना सिखलाने के बाद भी.... हो सकता है कि.... कुछलोग जिहाद के नाम पर अपने प्राण देने से मना कर दें.....

इसीलिए.... कुरान में ऐसे लोगों को भी व्यवस्था है.... और, स्पष्ट शब्दों में बताया गया है कि..... अगर वे जिहाद के दौरान ""मर जाते हैं तो उन्हें क्या फायदा है....

कुरान का ""तिरमिजी हदीस का खंड दो"" कहता है कि.... अगर कोई मुसलमान जिहाद के दौरान मर जाता है तो.... अल्लाह उसे जन्नत में ७२ हूरों से नवाजेंगे ....

हदीस तिरमिज़ी खंड-2 पृष्ठ (35-40) :-

प्रत्येक हूर किशोर वय की कन्या होती है और वे हूरें भव्य परिसरों वाले महलों में रहतीं हैं।

उसका रंग सफेद है......और वे साधारण स्त्रियों की तरह शारीरिक कमियों जैसे मल व मूत्रा विसर्जन, गर्भधारण इत्यादि संबंधित विकारों से मुक्त होती है।

हूर एक अत्यधिक सुंदर युवा स्त्री होती है...... जिसका शरीर पारदर्शी होता है और, उसकी हड्डियों में बहने वाला द्रव्य इसी प्रकार दिखाई देता है ...जैसे रूबी और मोतियों के अंदर की रेखाएँ दिखती हैं तथा वह एक पारदर्शी सफेद गिलास में लाल शराब की भाँति दिखाई देता है।

हूर का मुख दर्पण से भी अधिाक चमकदार होता है..... तथा, उसके गाल में कोई भी अपना प्रतिबिंब देख सकता है और, उसकी हड्डियों का द्रव्य ऑंखों से दिखाई देता है।

प्रत्येक व्यक्ति जो जिहाद कर 'जन्नत' में जाता है.... उसको 72 हूरें दी जाएँगी और, जब वह जन्नत में प्रवेश करता है तो....मरते समय उसकी उम्र चाहे कुछ भी हो, वहाँ तीस वर्ष का युवक हो जाएगा और उसकी आयु आगे नहीं बढ़ेगी।

हदीस तिरमिज़ी खंड-2 (पृ.138) आगे कहती है कि......... ''जन्नत में एक पुरुष को एक सौ पुरुषों के बराबर कामशक्ति दी जाएगी''

और, जन्नत में शराब की नदियां बहती रहती है.. तो कभी नहीं सूखती है...!
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शायद अब आप समझ चुके होंगे कि..... ये मुस्लिम जेहादी इतनी आसानी से मरने के कैसे तैयार हो जाते हैं....??????

क्योंकि.... इन मुल्लों को शायद जीते -जी अपने परिवार की ही औरतों से भी मन भरता है ..... तभी वे मरने के बाद भी सेक्स की आशा में..... दुनिया भर में आतंक फैलाये हुए हैं...

लेकिन... सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न ये है कि...... क्या ऐसे जेहादी बनाने वाले कुरान की पढाई करनी अथवा करवानी उचित है...???

और... उससे भी बुरा ये कि... कुरान को पढ़ाने के लिए ""मदरसों" को प्रोत्साहित करना और उसे अनुदान देना कहाँ तक उचित है...????????

सोचो... समझो...... और, खुद ही अपने विवेक से फैसला करो हिन्दुओ....

जय महाकाल...!!!

नोट: यह लेख समाज में विद्वेष फ़ैलाने के लिए अथवा आम मुस्लिम के लिए नहीं लिख गया है... बल्कि, यह लेख ""जेहादी मानसिकता वाले मुस्लिम"" और, उनकी सोच को प्रदर्शित कर समाज में जागरूकता फ़ैलाने के लिए लिख गया है...!

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