भारतीय उपमहाद्वीप में जिहाद शुरू कर शरीयत लागू करने के अल कायदा प्रमुख के ऐलान के बाद देशभर में अलर्ट जारी कर दिया गया है। अल कायदा की आधिकारिक मीडिया वेबसाइट 'अस-सहाब' पर जवाहिरी ने भारतीय उपमहाद्वीप में 'कायदात अल जिहाद' नाम से अल कायदा की नई शाखा खोलने का ऐलान किया है। इस शाखा की कमान पाक आतंकी आसिम उमर को दी गई है। यू ट्यूब, सोशल मीडिया पर मौजूद जवाहिरी के विडियो को जांच के बाद एजेंसियों ने सही पाया।
ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अल कायदा के चीफ बने अल जवाहिरी ने इस कदम को बर्मा, बांग्लादेश, असम, गुजरात, अहमदाबाद और कश्मीर के मुस्लिमों के लिए अच्छी खबर बताया है। जवाहिरी ने कहा कि अल कायदा की यह नई शाखा मुस्लिमों को अन्याय और जुल्म से बचाएगी।
ओसामा बिन लादेन का तब के अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय मुसलमानों से भी निजी बातचीत में जिक्र किया करते थे। भारत से अल कायदा के दूर रहने के दूसरे कारण थे। 9/11 के प्रभावशाली के अटैक से इंडिया को आसान टारगेट बनाया गया। पाकिस्तान भी भारत के खिलाफ अलकायदा के मुकाबले स्वतंत्र और चुने हुए आतंकी ग्रुप के पक्ष में रहा है। जवाहिरी का ऐलान कई घटनाक्रमों से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। पहला यह कि पिछले कुछ दशकों से भारतीय मुस्लिमों की अतिवादी पहचान ज्यादा मुखर हुई है।
ऐसे में जवाहिरी को साउथ एशिया में व्यापक समर्थन मिलने की उम्मीद है। पूर्व खुफिया ब्यूरो के एक अधिकारी ने कहा कि भारत में 2002 के दंगे और पश्चिम एशिया के घटनाक्रमों से अल कायदा संभावनाओं की जमीन को दुरुस्त करना चाहता है। इराक पर अमेरिकी कार्रवाई से अतिवादी इस्लामिक चरमपंथियों की गोलबंदी तेज हुई है। पिछले कुछ सालों से छोटे ग्रुप पाकिस्तान और अफगानिस्तान जा रहे हैं। भारतीय खुफिया एजेंसी को पता है कि करीब 20 भारतीय मुस्लिमों ने इस्लामिक स्टेट जॉइन किया है या करने की कोशिश में हैं। इस्लामिक स्टेर शिया समुदाय से घोर नफरत करता है फिर भी ऐसा हो रहा है। पूर्व खुफिया अधिकारी ने
बताया कि 80 से 90 भारतीय मुस्लिमों ने अल कायदा, आईएस या ऐसे ही कट्टरवादी ग्रुप में शामिल हुए हैं। इन वाकयों को जवाहिरी निश्चित तौर पर नोटिस कर रहा होगा।
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ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अल कायदा के चीफ बने अल जवाहिरी ने इस कदम को बर्मा, बांग्लादेश, असम, गुजरात, अहमदाबाद और कश्मीर के मुस्लिमों के लिए अच्छी खबर बताया है। जवाहिरी ने कहा कि अल कायदा की यह नई शाखा मुस्लिमों को अन्याय और जुल्म से बचाएगी।
अमेरिका ने भारत को अल कायदा के खतनाक मंसूबों से सतर्क किया है। अमेरिका ने बताया है कि अगस्त में ही अल कायदा भारतीय उपमहाद्वीप में पांव पसार चुका था। सूत्रों के मुताबिक अमेरिका ने भारत को खुफिया सूचना मुहैया कराई है। यूएस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस महीने अमेरिकी यात्रा से पहले अहम जानकारी दी है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि अल कायदा चीफ अल जवाहिरी का विडियो भारतीय एजेंसियों से लिए चौंकाने वाला नहीं है।साउथ एशियन टेररेजम पोर्टल के अजय साहनी का कहना है कि उसने भारत में खास करके जम्मू-कश्मीर और असम का नाम लिया है। 2002 में गुजरात दंगे के बाद भी अल कायदा की तरफ से कई ऐसे बयान आए हैं। लेकिन हमें अतीत में जाकर देखना होगा कि भारत में अल कायदा का कौन सा अभियान नाकाम रहा।
ओसामा बिन लादेन का तब के अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय मुसलमानों से भी निजी बातचीत में जिक्र किया करते थे। भारत से अल कायदा के दूर रहने के दूसरे कारण थे। 9/11 के प्रभावशाली के अटैक से इंडिया को आसान टारगेट बनाया गया। पाकिस्तान भी भारत के खिलाफ अलकायदा के मुकाबले स्वतंत्र और चुने हुए आतंकी ग्रुप के पक्ष में रहा है। जवाहिरी का ऐलान कई घटनाक्रमों से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। पहला यह कि पिछले कुछ दशकों से भारतीय मुस्लिमों की अतिवादी पहचान ज्यादा मुखर हुई है।
ऐसे में जवाहिरी को साउथ एशिया में व्यापक समर्थन मिलने की उम्मीद है। पूर्व खुफिया ब्यूरो के एक अधिकारी ने कहा कि भारत में 2002 के दंगे और पश्चिम एशिया के घटनाक्रमों से अल कायदा संभावनाओं की जमीन को दुरुस्त करना चाहता है। इराक पर अमेरिकी कार्रवाई से अतिवादी इस्लामिक चरमपंथियों की गोलबंदी तेज हुई है। पिछले कुछ सालों से छोटे ग्रुप पाकिस्तान और अफगानिस्तान जा रहे हैं। भारतीय खुफिया एजेंसी को पता है कि करीब 20 भारतीय मुस्लिमों ने इस्लामिक स्टेट जॉइन किया है या करने की कोशिश में हैं। इस्लामिक स्टेर शिया समुदाय से घोर नफरत करता है फिर भी ऐसा हो रहा है। पूर्व खुफिया अधिकारी ने
बताया कि 80 से 90 भारतीय मुस्लिमों ने अल कायदा, आईएस या ऐसे ही कट्टरवादी ग्रुप में शामिल हुए हैं। इन वाकयों को जवाहिरी निश्चित तौर पर नोटिस कर रहा होगा।
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केरल के इस्लामिकरण के तरफ बढ़ते कदम -- कासरगोड के सिर्फ एक सरकारी अस्पताल में एक साल में पैदा हुए बच्चो का डाटा एक अख़बार में पढ़ा .
हिन्दू - 37
इसाई- 12
मुस्लिम - 138
हिन्दू - 37
इसाई- 12
मुस्लिम - 138
खतरे की घंटी बज चुकी है फिर भी हिन्दू जागने तो तैयार नही हो रहे है
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