Thursday, 25 September 2014

प्रभु श्री राम के पुत्र लव द्वारा बसाया गया ''लवपुर'' अर्थात लाहौर !!
श्रीराम पुत्र लव द्वारा बसाया गया सर्वश्रेष्ठ संस्कृत व्याकरणकार पाणिनी का 
जन्मस्थान एवं राजा जयपाल की राजधानी लवपुर (लाहौर)। 
लाहौर का प्राचीन नाम लवपुर था। 
रामायण में श्रीराम पुत्र लव ने रावी नदी के किनारे के यह नगर बसाया ।
आगे यह लोहावर नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
अब लाहौर नाम से प्रचलित है ।
यह सर्वश्रेष्ठ संस्कृत व्याकरणकार पाणिनी का जन्मस्थान है एवं दसवें शतक में राजा
जयपाल की राजधानी थी।
लाहौर सैकडों हिन्दू एवं अत्यंत अद्भुत मंदिरों का नगर !
लाहौर में न्यूनतम लगभग सौ विद्यालय थे ।
काशी समान ही वह वेदविद्या एवं शास्त्रविद्या का मायका था ।
वहां बडे-बडे पंडित थे ।
उनके नित्य नैमित्तिक आचरण में कभी खंड नहीं होता था ।
वहां सर्वत्र वैदिक ब्राह्मण एवं मीमांसक थे ।
उनके श्रौत यज्ञ संपन्न होते रहते थे ।
स्मार्त यज्ञ यत्र-तत्र भारी मात्रा में होते थे ।
लवपुर में (लाहौर में) श्रीराम मंदिर ! लाहौर में सैकडों मंदिर हैं ।
सहस्रों वर्षों से ये मंदिर जैसे पूर्व में थे वैसे ही थे ।
सर्वत्र नित्य नैमित्तिक पूजन वेदमंत्रों से होता था ।
लाहौर का श्रीराम मंदिर तो मुग्ध करने वाला था ।
उसका प्रवेशद्वार अप्रतिम था ।
आर्यावर्त की समृद्ध प्राचीन शिल्पकलाएं एवं रामायण के अपूर्व प्रसंग रेखांकित की गई
दीवारें,गोपुर एवं नगारखाना था ।
वेदमंत्रों से त्रिकाल रामप्रभू का पूजन होता था ।
श्रीरामचंद्र की कालावधि से लवपुर में सनातन संस्कृति के सैकडों हिन्दू मंदिर हैं तथा
अनेक स्थानों पर प्राचीन सनातन संस्कृति के अवशेष हैं ।
सनातन संस्कृति के प्राचीन अवशेषों के लिए लाहौर पूरे विश्व में प्रसिद्ध था।
सुंदरतम मूर्तिवाले इस श्रीराम मंदिर के कारण संपूर्ण लवपुर रामभक्ति में डूब गया था ।
राममंदिर का कलश,अपितु मुग्ध करने वाला था ।
उसका सौंदर्य देखते ही बनता है ।
वह महाद्वार,वे गोपुर,कलश एवं वे सुंदरतम मूर्तियां,संपूर्ण लाहोर रामभक्त थे।
रामभक्ति में लीन हो रहे थे।
कटास राज मंदिर, चकवाल (लाहौर)
पाकिस्तान के पंजाब के चकवाल में स्थित कटास राज मंदिर की अपनी महिमा है।
यह भगवान शिव का मंदिर है।
कहा जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल से अस्तित्व में था।
पांडवों ने निर्वासन के दौरान यहां कुछ समय बिताया था।
कहा तो यह भी जाता है कि माता सती के वियोग में शिव इतना रोए कि उनके
आंसुओं से नदी बह गई।
-----प्रत्यंचा सनातन संस्कृति
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स्पष्टतया सिद्ध होता है कि इस्लाम के पूर्व सकल विश्व में सनातन संस्कृति
विद्यमान थी एवं इस्लाम पंथ को मानने वाले भी सनातन संस्कृति एवं धर्म
के ही अनुयायी थे।


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