मैत्रिणींनो
ह्या फोटो मधे दिसत असलेल्या महिला तुम्हाला वाटत असेल की कोणी ग्रामीण भागातील असतील पण तैसे नाही. ह्या महिला आहेत मंगल मोहिमेत इस्रो च्या शास्त्रज्ञ.
प्रगती , आधुनिक विचार यासाठी टाईट जीन, तोंडाला स्कार्फ , दिवसभर मोबाईल वर गप्पा , रात्री मुलांसोबत चाटिंग ई ची गरज नसते .
भारतीय संस्कारासोबत सुद्धा स्वताची आणि देशाची प्रगती करता येते .
त्यामुळे प्रगती करण्यासाठी परदेशी विचार आणि परदेशी राहणीमान ची गरज असते हा तुमचा भ्रम दूर झाला असेल .
450 करोड़ रूपए के मंगल मिशन की सफलता के पीछे है इसरो के इन 11 वैज्ञानिकों की दिन-रात की मेहनत...
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक बन गया। इसके द्वारा भेजा गया यान 65 करोड़ किमी का सफर करके मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया। भारत पहली ही कोशिश में ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। दुनिया का कोई दूसरा देश पहली कोशिश में मंगल ग्रह पर भेजे मिशन में कामयाबी हासिल नहीं कर पाया है। अमेरिका तक की पहली 6 कोशिशें नाकाम रही हैं। (ये भी पढ़ें- दुनिया के वो 10 सबसे महंगे अंतरिक्ष मिशन, जो हो गए फेल )
अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में भारत की यह कामयाबी इसरो के वैज्ञानिकों के दिन-रात के मेहनत का नतीजा है। आइए जानते हैं उन 11 वैज्ञानिकों के बारे में, जिसके कारण मंगल यान को सफलता मिली है।
2- एम. अन्नादुरई (55)
एम. अन्नादुरई इसरो के मंगल मिशन के प्रोग्राम डायरेक्टर हैं। 1982 में इसरो से जुड़ने के बाद अन्नादुरई ने कई रिमोट सेंसिंग और साइंस मिशन का नेतृत्व किया है। इन्होंने चंद्रयान-1 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में काम किया था। इसके साथ ही वे चंद्रयान-2 के भी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं।
अन्नादुरई ने मंगल मिशन के लिए बजट मैनेजमेंट, अंतरिक्ष यान बनाने और संसाधन जुटाने जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं।
3- एस. रामाकृष्णन (64)
एस. रामाकृष्णन विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर और लॉन्च ऑथोराइजेशन बोर्ड के सदस्य हैं।
1972 में इसरो से जुड़ने के बाद इन्होंने PSLV के विकास में महत्वपूर्ण रोल निभाया है। इसके साथ ही इन्होंने लिक्विड प्रोपलशन स्टेज के विकास और अंतरिक्ष यान में उसके इस्तेमाल पर भी काम किया है।
एस. रामाकृष्णन ने ही PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) रॉकेट को मंगल मिशन के लिए तैयार किया है।
4 एस.के. शिव कुमार (60)
शिव कुमार इसरो सेटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर हैं। 1976 में इसरो से जुड़ने के बाद से इन्होंने भारत के कई सेटेलाइट मिशन को सफलता पूर्वक पूरा करने में भूमिका निभाई है। उन्होंने भारत के पहले डीप स्पेस नेटवर्क एंटीना प्रोजेक्ट के डायरेक्टर के रूप में भी काम किया है।
शिव कुमार ने मंगल मिशन के लिए सेटेलाइट टेक्नोलॉजी के विकास और उसे मिशन के लिए लागू करने की जिम्मेदारी भी निभाई है।
5. पी. कुन्हिकृष्णन (52)
पी. कुन्हिकृष्णन ने PSLV प्रोग्राम के डायरेक्टर के रूप में काम किया है। डायरेक्टर के रूप में यह उनका नौवा मिशन था।
1986 में इसरो से जुड़े कुन्हिकृष्णन PSLV के आठ सफल मिशनों के डायरेक्टर रहे हैं। इन्होंने PSLV-C25/ मार्स ऑर्बिट मिशन के डायरेक्टर के रूप में भी कार्य किया है। इसी मिशन के तहत 5 नवंबर को मंगल यान को रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष में पहुंचाया गया था।
रॉकेट द्वारा मंगल यान को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित करने की जिम्मेदारी कुन्हिकृष्णन ने निभाई है।
6. चंद्रदाथन
चंद्रदाथन लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम के डायरेक्टर हैं।
1972 में इसरो से जुड़ने के बाद इन्होंने SLV-3 प्रोजेक्ट के लिए काम किया है। इसके साथ ही इन्होंने SLV-3 रॉकेट के लिए ठोस प्रणोदक (propellant) बनाने पर काम किया है। SLV-3, ASLV और PSLV रॉकेटों के इंजन के विकास में भी इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
7. एएस किरण कुमार (61)
एएस किरण कुमार सेटेलाइट एप्लिकेशन सेंटर के डायरेक्टर हैं।
1975 में इसरो से जुड़ने के बाद इन्होंने इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इमेजिंग सेंसर के विकास के लिए काम किया है।
किरण कुमार ने मंगल यान के साथ गए तीन पेलोड मार्स कलर कैमरा, मिथेन सेंसर और थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर बनाया है।
8- एम.वाइ.एस प्रसाद (60)
एम.वाइ.एस प्रसाद सतीश धवन स्पेस सेंटर के डायरेक्टर और लॉन्च ऑथोराइजेशन बोर्ड के चेयरमैन है।
1975 में इसरो के साथ जुड़ने के बाद इन्होंने इसरो के रॉकेट के विकास के लिए काम किया है। इन्होंने भारत द्वारा बनाए गए रॉकेट SLV-3 के विकास से लिए भी काम किया है।
प्रसाद को मंगल मिशन के कार्यक्रम को तय समय पर पूरा करने और लॉन्चिंग रेंज की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी दी गई थी। इसके साथ ही वह रॉकेट पोर्ट के ओवरऑल इंजार्ज भी थे।
9- एस अरुण (50)
एस अरुण मार्स ऑर्बिटर मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं। इनके नेतृत्व में टीम ने मंगल यान को बनाया है।
10- बी जयकुमार
बी जयकुमार ने PSLV प्रोजेक्ट के एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में काम किया है। जयकुमार रॉकेट सिस्टम की जांच के लिए जिम्मेदार थे।
11- एमएस पर्न्निसेलवम (59)
पर्न्निसेलवम रॉकेट लॉन्चिंग केंद्र श्रीहरिकोटा के रेंज ऑपरेशन डायरेक्टर और चीफ जनरल मैनेजर है। इनकी जिम्मेदारी मंगल यान के तय समय पर लॉन्च करने की थी।
ह्या फोटो मधे दिसत असलेल्या महिला तुम्हाला वाटत असेल की कोणी ग्रामीण भागातील असतील पण तैसे नाही. ह्या महिला आहेत मंगल मोहिमेत इस्रो च्या शास्त्रज्ञ.
प्रगती , आधुनिक विचार यासाठी टाईट जीन, तोंडाला स्कार्फ , दिवसभर मोबाईल वर गप्पा , रात्री मुलांसोबत चाटिंग ई ची गरज नसते .
भारतीय संस्कारासोबत सुद्धा स्वताची आणि देशाची प्रगती करता येते .
त्यामुळे प्रगती करण्यासाठी परदेशी विचार आणि परदेशी राहणीमान ची गरज असते हा तुमचा भ्रम दूर झाला असेल .
450 करोड़ रूपए के मंगल मिशन की सफलता के पीछे है इसरो के इन 11 वैज्ञानिकों की दिन-रात की मेहनत...
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक बन गया। इसके द्वारा भेजा गया यान 65 करोड़ किमी का सफर करके मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित हो गया। भारत पहली ही कोशिश में ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। दुनिया का कोई दूसरा देश पहली कोशिश में मंगल ग्रह पर भेजे मिशन में कामयाबी हासिल नहीं कर पाया है। अमेरिका तक की पहली 6 कोशिशें नाकाम रही हैं। (ये भी पढ़ें- दुनिया के वो 10 सबसे महंगे अंतरिक्ष मिशन, जो हो गए फेल )
अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में भारत की यह कामयाबी इसरो के वैज्ञानिकों के दिन-रात के मेहनत का नतीजा है। आइए जानते हैं उन 11 वैज्ञानिकों के बारे में, जिसके कारण मंगल यान को सफलता मिली है।
2- एम. अन्नादुरई (55)
एम. अन्नादुरई इसरो के मंगल मिशन के प्रोग्राम डायरेक्टर हैं। 1982 में इसरो से जुड़ने के बाद अन्नादुरई ने कई रिमोट सेंसिंग और साइंस मिशन का नेतृत्व किया है। इन्होंने चंद्रयान-1 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में काम किया था। इसके साथ ही वे चंद्रयान-2 के भी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं।
अन्नादुरई ने मंगल मिशन के लिए बजट मैनेजमेंट, अंतरिक्ष यान बनाने और संसाधन जुटाने जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं।
3- एस. रामाकृष्णन (64)
एस. रामाकृष्णन विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर और लॉन्च ऑथोराइजेशन बोर्ड के सदस्य हैं।
1972 में इसरो से जुड़ने के बाद इन्होंने PSLV के विकास में महत्वपूर्ण रोल निभाया है। इसके साथ ही इन्होंने लिक्विड प्रोपलशन स्टेज के विकास और अंतरिक्ष यान में उसके इस्तेमाल पर भी काम किया है।
एस. रामाकृष्णन ने ही PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) रॉकेट को मंगल मिशन के लिए तैयार किया है।
4 एस.के. शिव कुमार (60)
शिव कुमार इसरो सेटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर हैं। 1976 में इसरो से जुड़ने के बाद से इन्होंने भारत के कई सेटेलाइट मिशन को सफलता पूर्वक पूरा करने में भूमिका निभाई है। उन्होंने भारत के पहले डीप स्पेस नेटवर्क एंटीना प्रोजेक्ट के डायरेक्टर के रूप में भी काम किया है।
शिव कुमार ने मंगल मिशन के लिए सेटेलाइट टेक्नोलॉजी के विकास और उसे मिशन के लिए लागू करने की जिम्मेदारी भी निभाई है।
5. पी. कुन्हिकृष्णन (52)
पी. कुन्हिकृष्णन ने PSLV प्रोग्राम के डायरेक्टर के रूप में काम किया है। डायरेक्टर के रूप में यह उनका नौवा मिशन था।
1986 में इसरो से जुड़े कुन्हिकृष्णन PSLV के आठ सफल मिशनों के डायरेक्टर रहे हैं। इन्होंने PSLV-C25/ मार्स ऑर्बिट मिशन के डायरेक्टर के रूप में भी कार्य किया है। इसी मिशन के तहत 5 नवंबर को मंगल यान को रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष में पहुंचाया गया था।
रॉकेट द्वारा मंगल यान को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित करने की जिम्मेदारी कुन्हिकृष्णन ने निभाई है।
6. चंद्रदाथन
चंद्रदाथन लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम के डायरेक्टर हैं।
1972 में इसरो से जुड़ने के बाद इन्होंने SLV-3 प्रोजेक्ट के लिए काम किया है। इसके साथ ही इन्होंने SLV-3 रॉकेट के लिए ठोस प्रणोदक (propellant) बनाने पर काम किया है। SLV-3, ASLV और PSLV रॉकेटों के इंजन के विकास में भी इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
7. एएस किरण कुमार (61)
एएस किरण कुमार सेटेलाइट एप्लिकेशन सेंटर के डायरेक्टर हैं।
1975 में इसरो से जुड़ने के बाद इन्होंने इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इमेजिंग सेंसर के विकास के लिए काम किया है।
किरण कुमार ने मंगल यान के साथ गए तीन पेलोड मार्स कलर कैमरा, मिथेन सेंसर और थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर बनाया है।
8- एम.वाइ.एस प्रसाद (60)
एम.वाइ.एस प्रसाद सतीश धवन स्पेस सेंटर के डायरेक्टर और लॉन्च ऑथोराइजेशन बोर्ड के चेयरमैन है।
1975 में इसरो के साथ जुड़ने के बाद इन्होंने इसरो के रॉकेट के विकास के लिए काम किया है। इन्होंने भारत द्वारा बनाए गए रॉकेट SLV-3 के विकास से लिए भी काम किया है।
प्रसाद को मंगल मिशन के कार्यक्रम को तय समय पर पूरा करने और लॉन्चिंग रेंज की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी दी गई थी। इसके साथ ही वह रॉकेट पोर्ट के ओवरऑल इंजार्ज भी थे।
9- एस अरुण (50)
एस अरुण मार्स ऑर्बिटर मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं। इनके नेतृत्व में टीम ने मंगल यान को बनाया है।
10- बी जयकुमार
बी जयकुमार ने PSLV प्रोजेक्ट के एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में काम किया है। जयकुमार रॉकेट सिस्टम की जांच के लिए जिम्मेदार थे।
11- एमएस पर्न्निसेलवम (59)
पर्न्निसेलवम रॉकेट लॉन्चिंग केंद्र श्रीहरिकोटा के रेंज ऑपरेशन डायरेक्टर और चीफ जनरल मैनेजर है। इनकी जिम्मेदारी मंगल यान के तय समय पर लॉन्च करने की थी।
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